मृत किसान को तिरंगे में लपेटा तो केस, लिंचिंग आरोपी मामले में नहीं
ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल होने निकले एक किसान की मौत के बाद तिरंगे में लपेटे जाने पर उसकी पत्नी और भाई के ख़िलाफ़ यूपी पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज की है। उन पर राष्ट्रीय झंडे का अपमान करने का आरोप लगाया गया है। हालाँकि, अखलाक लिंचिंग मामले में एक आरोपी के मृत शरीर पर तिरंगा लपेटने में ऐसा कोई केस नहीं हुआ था। ये दोनों मामले यूपी के ही हैं।
यह ताज़ा मामला यूपी के पीलीभीत का है। बारी बूझिया पंचायत के भोपतपुर गाँव के 32 वर्षीय किसान बलविंदर सिंह ग़ाज़ीपुर में प्रदर्शन स्थल से लापता थे। 23 जनवरी को अपने घर से ग़ाज़ीपुर के लिए निकले थे। उनका शव दिल्ली के अस्पताल में पाया गया। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि उनकी मौत सड़क दुर्घटना में हुई थी।
बता दें कि ग़ाज़ीपुर बॉर्डर दिल्ली की सीमा पर किसान आंदोलन के तीन प्रदर्शन स्थलों में से एक है। इन तीन प्रदर्शन की जगहों पर ही किसान क़रीब ढाई महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं और नये कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इन जगहों पर देश के अलग-अलग हिस्सों से किसान आए हुए हैं। सरकार के साथ कई दौर की वार्ता विफल होने के बीच किसानों ने गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर रैली निकाली थी। उन रूट पर भी किसानों की रैली पहुँच गई जहाँ उनको जाने की अनुमति नहीं थी। पुलिस से झड़प हुई। हिंसा की घटनाएँ हुईं। उस हिंसा में ट्रैक्टर पलटने से 45 वर्षीय एक व्यक्ति नवरीत सिंह की मौत हो गई थी। उस हिंसा की घटना के बाद किसान आरोप लगाते रहे हैं कि कई लोग अभी भी लापता हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार बलविंदर के परिवार को दिल्ली पुलिस ने 1 फ़रवरी को फ़ोन कर बताया कि बलविंदर सिंह सड़क हादसे में मारे गए थे।
लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में शव की जाँच करवाकर अगले ही दिन परिवार को शव सौंप दिया गया। परिवार ने बुधवार को अंतिम संस्कार कर दिया। उनका शव तिरंगे में लिपटा हुआ दिखा था।
तिरंगा झंडा लिपटे होने को लेकर केस दर्ज किया गया है। 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' की रिपोर्ट के अनुसार, सेरामऊ उत्तर पुलिस थाने के एसएचओ आशुतोष रघुवंशी ने बताया कि उनकी पत्नी जसवीर कौर, भाई गुरविंदर सिंह और एक अज्ञात व्यक्ति के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय गौरव का अपमान रोकने की धारा 2 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
जिस धारा के तहत उन पर आरोप लगाया गया है, वह कहती है, 'जो भी किसी सार्वजनिक स्थान पर या सार्वजनिक नज़रों में किसी अन्य स्थान पर राष्ट्रीय झंडा या भारत के संविधान या उसके किसी भाग को जलाता है, काटता है, अवहेलना करता है, अपमानित करता है, नष्ट करता है, या उस पर अपमान प्रकट करता है या अवमानना करता है (चाहे शब्दों से लिखकर या बोलकर या किसी कार्रवाई से) तो कारावास की सजा दी जाएगी। यह तीन साल तक या जुर्माना या दोनों एक साथ हो सकती है।' अनुभाग के स्पष्टीकरण 4(डी) में कहा गया है कि "राजकीय अंतिम संस्कार या सशस्त्र बलों या अन्य अर्ध-सैन्य बलों के अंतिम संस्कारों को छोड़कर किसी भी रूप में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का किसी चीज को लपेटने के लिए इस्तेमाल करना 'अनादर' है।"
लिंचिंग का आरोपी मृतक तिरंगे में
हालाँकि ऐसे एक अन्म मामले में एफ़आईआर दर्ज नहीं की गई थी। अक्टूबर 2016 में जब दादरी लिंचिंग मामले के आरोपियों में से एक उत्तर प्रदेश के बिसडा के निवासी रविन सिसोदिया की चिकनगुनिया होने से मौत हुई थी तो उसके शरीर को लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा था। 'द वायर' की रिपोर्ट के अनुसार, उस अंतिम संस्कार में बीजेपी के कई मंत्री मौजूद थे। तिरंगे में लिपटे शव की तसवीरें सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से उपलब्ध थीं। 2015 में गौहत्या के झूठे आरोपों को लेकर मोहम्मद अखलाक की हत्या के कई आरोपियों में से एक रविन सिसोदिया था।रिपोर्ट के अनुसार गुरविंदर ने गुरुवार को कहा कि बलविंदर के शरीर पर तिरंगा लगाने का एक कारण था, 'हमारा मानना है कि किसान देश के लिए लड़ रहे हैं, जैसे कि सीमा पर सैनिक। बलविंदर किसानों के लिए शहीद थे। अंतिम संस्कार एक पवित्र अनुष्ठान है। यह देशभक्ति का प्रदर्शन था।'
बता दें कि इस मामले में किसानों ने उस किसान परिवार के प्रति समर्थन व्यक्त किया है और मांग की है कि योगी सरकार उस एफ़आईआर को वापस ले। 'टीओआई' की रिपोर्ट के अनुसार, आरएलडी की यूपी इकाई के उपाध्यक्ष मनजीत सिंह संधू ने कहा, 'किसानों की आवाज़ को दबाने के लिए एफ़आईआर का इस्तेमाल किया जा रहा है। अगर एफ़आईआर वापस नहीं ली गई तो सड़कों पर बड़े पैमाने पर आंदोलन किया जाएगा। परिवार ने तिरंगे का अपमान करने जैसा कुछ नहीं किया है।'