बदायूँ गैंगरेप का मुख्य आरोपी पुजारी 4 दिन बाद गिरफ़्तार
उत्तर प्रदेश को झकझोर देनेवाले बदायूँ गैंगरेप और हत्या मामले का मुख्य आरोपी मंदिर का पुजारी गिरफ़्तार कर लिया गया है। घटना के चार दिन पुलिस उसे गिरफ़्तार कर पाई है। घटना के बाद से वह फरार था और उसकी जानकारी देने पर 50 हज़ार रुपये का इनाम घोषित किया गया था। इस मामले में दो अन्य आरोपियों की गिरफ़्तारी पहले ही हो चुकी है।
पुलिस के अनुसार पुजारी की पहचान सत्यानंद के रूप में की गई है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार ज़िला मजिस्ट्रेट कुमार प्रशांत के हवाले से बताया गया कि आरोपी एक गाँव में अपने एक अनुयायी के घर में छिपा हुआ था जहाँ से उसे पकड़ा गया और गिरफ्तार कर लिया गया।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के बदायूं में पचास साल की एक आंगनबाड़ी सहायिका 3 जनवरी की शाम पूजा करने मंदिर गई थी, लेकिन वह वहाँ से लौट कर अपने घर नहीं जा सकी। पीड़िता के बेटे का कहना है कि मंदिर के पुजारी दो लोगों के साथ उसकी माँ का शव लेकर आए और बिना कुछ बताए शव छोड़ कर चले गए।
अभियुक्तों में एक मंदिर के पुजारी और दो उनके सहयोगी हैं। पुलिस ने इस मामले में घटना के एक दिन बाद यानी बुधवार को दो लोगों को गिरफ़्तार किया था। पुजारी फरार हो गया था।
मुख्य आरोपी को पकड़ने के लिए मंदिर के बाहर तीन पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था। इस मामले में पुलिस पर लापरवाही बरतने का आरोप लगा था इसलिए थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया।
पीड़िता के परिवार वालों ने पुजारी पर बलात्कार और हत्या के आरोप लगाए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि पुलिस वालों ने समय पर प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई और इसमें जानबूझ कर देरी की। पुलिस को इस कांड की जानकारी सोमवार को ही दी गई थी, उसने बाद में शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
महिला की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पीड़िता के यौनांग में चोट के निशान थे और उसके पैर टूटे हुए थे।
इस कांड के कई घंटे बाद पुलिस हरकत में आई और तीन लोगों के ख़िलाफ एफ़आईआर दर्ज कर छानबीन शुरू की। घटना के बाद बदाऊँ के वरिष्ठ पुलिस सुपरिटेंडेंट संकल्प शर्मा ने पत्रकारों से कहा था कि मामले की जाँच और सभी लोगों की गिरफ़्तारी के लिए चार पुलिस टीम बनाई गई हैं।
लेकिन पुलिस की भूमिका पर शुरू से सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इंस्पेक्टर राघवेंद्र प्रताप सिंह ने दावा किया था कि महिला कांस्टेबल से पीड़िता के शरीर की जाँच करवाई गई थी, शरीर पर चोट का निशान नहीं पाया गया था। लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में चोट के निशान की बात साफ तौर पर कही गई है। इसके अलावा थाना प्रभारी ने मामले की रिपोर्ट मिलने के 18 घंटे बाद एफ़आईआर दर्ज किया।