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पीपीई किट: ‘घोटाले’ की नहीं, इसे उजागर करने वालों की जाँच में जुटी योगी सरकार!

पीपीई किट: ‘घोटाले’ की नहीं, इसे उजागर करने वालों की जाँच में जुटी योगी सरकार!

उत्तर प्रदेश सरकार ने कथित तौर पर घटिया पीपीई किट सप्लाई के मामले में किसी तरह के घोटाले से साफ़ इनकार कर दिया है। घटिया पीपीई किट की सप्लाई को लेकर लिखी गयी महानिदेशक की चिट्ठी के लीक होने की अलबत्ता जाँच शुरू कर दी है। 

शूट द मैसेंजर…! कोरोना संकट के इस दौर में कुछ इसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार काम कर रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कथित तौर पर घटिया पीपीई किट सप्लाई के मामले में किसी तरह के घोटाले से साफ़ इनकार कर दिया है। सरकार ने हालाँकि माना है कि पीपीई किट मानकों के अनुरूप नहीं थीं और इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है। योगी सरकार ने घटिया पीपीई किट की सप्लाई को लेकर लिखी गयी महानिदेशक की चिट्ठी के लीक होने की अलबत्ता जाँच शुरू कर दी है। 

उत्तर प्रदेश सरकार के इस रवैये से साफ़ है कि अधोमानक पीपीई किट की खरीद करने वाले यूपी मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन और ज़िम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं होने जा रही है बल्कि इस तथाकथित पूरे घोटाले को उजागर करने वालों की जाँच ज़रूर होगी।

इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश सरकार ने इसी मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन की ओर से खरीदे गए महँगे व घटिया मास्क की शिकायत को भी कूड़े में डाल दिया है। हापुड़ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) ने भी एक पत्र लिखकर बताया था कि घटिया और दोयम दर्जे का मास्क खरीद कर अस्पतालों में भेज दिया गया है। उन्होंने इस बाबत बीते 22 अप्रैल को ही पत्र लिखकर चेता दिया था।

पत्र लीक होने की जाँच एसटीएफ़ को

उत्तर प्रदेश के महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा (डीजीएमई) ने एक पत्र लिख कर घटिया पीपीई किट की सप्लाई का मामला उजागर किया था। उस पत्र के सार्वजनिक होने व मीडिया में लीक होने को गंभीरता से लेते हुए योगी सरकार ने स्पेशल टास्क फ़ोर्स (एसटीएफ़) को जाँच सौंप दी। एसटीएफ़ का गठन जघन्य व बड़े अपराधों की जाँच व कार्रवाई के लिए किया गया था। अब यह फ़ोर्स ‘घोटाले’ की जाँच संबंधी कागज के लीक होने की जाँच करेगी। 

एसटीएफ़ ने अपना काम शुरू भी कर दिया है। मंगलवार को एसटीएफ़ ने डीजीएमई को चिट्ठी लीक होने के मामले में अपना बयान दर्ज करने के लिए बुलाया।

‘घोटाला नहीं, मानकों के अनुरूप नहीं थी पीपीई किट’

मंगलवार को ही यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह एवं सूचना अवनीश अवस्थी ने कहा कि मेडिकल कॉरपोरेशन ने पीपीई किट भेजी थी जो पुराने मानकों की थी और उन्हें वापस ले लिया गया है। उन्होंने जानकारी दी कि अब नयी किट भेजी जा रही हैं जो मानकों के अनुरूप हैं। उन्होंने किसी भी जाँच से पहले क्लीन चिट देते हुए कहा कि किट की गुणवत्ता में कोई गड़बड़ी नहीं है।

डीजीएमई के पत्र की जाँच के बारे में अवस्थी ने कहा कि इसकी जाँच की जा रही है कि यह कैसे लीक हुई। उन्होंने कहा कि जाँच हो रही है कि किसने इसे लीक किया और भ्रम फैलाया। इससे पहले भी कई जगहों से पीपीई किट की कमी, मास्कों की घटिया क्वालिटी को लेकर ख़बरें आती रही हैं।

केंद्र की तय दर से भी महँगे मास्क

उत्तर प्रदेश के हापुड़ ज़िले के सीएमओ ने पत्र लिखकर अस्पतालों में घटिया मास्कों की महंगी क़ीमत पर सप्लाई होने की बात बीते 22 अप्रैल को ही उठाई। उन्होंने पीपीई किट से लेकर वीटीएम वायल के भी घटिया होने की बात कही है। सीएमओ ने आपूर्तिकर्ता यूपी मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन को लिखे पत्र में कहा कि 19 रुपये की दर पर खरीदे गए मास्क भेजे गए हैं जबकि केंद्र सरकार ने ट्रिपल लेयर मास्क की अधिकतम क़ीमत पहले 10 रुपये और बाद में 16 रुपये तय की थी। यूपी के अस्पतालों में भेजी गई पीपीई किट के आपूर्तिकर्ता का नाम एचएलएल (हिन्दुस्तान लेटेक्स लिमिटेड) बताया गया है जबकि किट पर मेड इन चाइना अंकित है।

प्रियंका गाँधी ने साधा सरकार पर निशाना

इस बीच घटिया पीपीई किट की सप्लाई को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने सवाल उठाए हैं। प्रियंका का कहना है कि सरकार को इस बात की चिंता नहीं है कि ख़राब पीपीई किट सप्लाई की गई बल्कि वह इसलिए परेशान है कि डीजीएमई का पत्र कैसे लीक हुआ।

इस पूरे बवाल के बीच प्रदेश के अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों तक पीपीई का पहुँचना एक बार फिर लटक गया है। सप्लाई को लेकर विवादों में आए मेडिकल कॉरपोरेशन ने एक बार फिर से इसके लिए टेंडर निकाले हैं जिसकी आख़िरी तारीख़ 29 अप्रैल है। तय है कि कोरोना के इस ज़बरदस्त संकट के बीच स्वास्थ्यकर्मियों तक अब पीपीई किट अगले महीने ही पहुँचेंगी।

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