यूपीः निषादराज जयंती के जरिए निषाद वोटों में सेंध लगाती बीजेपी
अगले लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरु हो गई हैं। विपक्ष ही नहीं सत्तारुढ़ भाजपा भी अगले चुनाव की तैयारियों में जोर शोर से जुटी हुई है। इसके लिए उसने हर जाति और समुदाय तक पहुंचने के प्रयास शुरु कर दिये हैं। इस सिलसिले में नया बीजेपी ने कदम उठाया निषादराज की जयंति को मनाने का, इसके लिए सरकारी आदेश जारी किया गया है।
निषाद समाज पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री डॉ संजय निषाद ने मंगलवार को कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार इस साल निषादराज की जंयती को धूमधाम से मनाएगी। संजय निषाद ने कहा कि हम अपने स्तर पर पिछले दस सालों से निषादराज की जंयती का आयोजन कर रहे हैं। लेकिन ये पहली बार है जब प्रदेश सरकार की तरफ से इसका आयोजन किया जा रहा है। जयंति के लिए बकायदा सरकार ने बजट का भी आवंटन किया है।
डॉ संजय निषाद ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने जंयति को बड़े उत्सव के रूप में मनाने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार के संस्कृति मंत्रालय को इसके आयोजन का जिम्मा दिया गया है। जिसके लिए वह तैयारियां भी कर रहा है। इलाहाबाद स्थित श्रंगेरपुर मंदिर में इसकी तैयारियां जोरो से चल रही हैं। 26 मार्च को निषादराज की जंयति का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान कई सांस्कृतिर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। जिसमें निषादराज का इतिहास प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा। इसके साथ ही भगवान राम के साथ उनकी दोस्ती का इतिहास प्रदर्शित किया जाएगा।
संजय निषाद ने बताया कि श्रंगेरपुर मंदिर में सौंदर्यीकरण का काम किया जा रहा है, जिसको जल्दी ही पूरा कर लिया जाएगा। सौंदर्यीकरण का काम पूरा होते ही प्रधानमंत्री को इसके उद्घाटन के लिए बुलाया जाएगा। हमने प्रधानमंत्री को इस साल के कार्यक्रम में आमंत्रित किया था, लेकिन उन्होंने हमें काम पूरा हो जाने तक रुकने को कहा है।
मंदिर परिसर में भगवान राम और निषादराज का एक 56 फुट ऊंची मूर्ति की स्थापना भी की जा रही है, जिसका अनावरण उनकी जंयति वाले दिन किया जाएगा।
संजय निषाद समाज के इकलौते बड़े नेता हैं, जिनकी समाज में पहुंच है। बीजेपी उनके सहारे समाज तक अपनी पहुंच बनाना चाह रही है। इसके लिए वह समाज में भगवान राम और निषादराज की दोस्ती का खूब प्रचार-प्रसार कर रही है। इसके पीछ उसका मकसद अगले लोकसभा चुनाव में समाज के वोट हासिल करना है। नदियों के किनारे बसा निषाद समाज पूरे प्रदेश में फैला एक बड़ा वोटर वर्ग है जो राजनीतिक दलों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। बीजेपी इस समाज को पूरी तरह अपने पाले में रखना चाहती है। जबकि समाजवादी पार्टी और बसपा भी इसकी कोशिश कर रहे हैं।