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यूपी: स्कूलों में बच्चों की जगह आवारा गोवंश, किसान बेहाल

यूपी: स्कूलों में बच्चों की जगह आवारा गोवंश, किसान बेहाल

फसल के सीजन में आवारा गायों के उत्पात से परेशान किसान उन्हें सरकारी स्कूलों में क़ैद करने को मजबूर हैं।

जुलाई में शैक्षिक सत्र शुरू होने पर उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चे नहीं आवारा गोवंश नज़र आ रहे हैं। फसल के सीजन में आवारा गायों के उत्पात से परेशान किसान उन्हें सरकारी स्कूलों में क़ैद करने को मजबूर हैं। प्रदेश के विभिन्न जिलों में लाखों की तादाद में आवारा गोवंश धान की फसल चर रहे हैं और हलकान किसान उन्हें खदेड़ रहे हैं और मार रहे हैं। 

बाराबंकी, अलीगढ़ से लेकर सुल्तानपुर तक किसान आवारा गोवंश को खदेड़ कर सरकारी स्कूलों में क़ैद कर रहे हैं। बीते दो सालों से आवारा गोवंश की व्यवस्था करने में नाकाम योगी सरकार ने हाल ही में किसानों को प्रति आवारा गोवंश की देखभाल के लिए 900 रुपये महीने देने को कहा है। इसके साथ ही हाटों, मेलों से खरीदे गए गोवंश को ले जाने के लिए ग्रामीणों को लाइसेंस देने की व्यवस्था भी की है पर ये सभी उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं।

योगी सरकार ने सभी जिलों में निराश्रित गोवंश को रखने के लिए आश्रय स्थल बनाने के लिए बजट भी दिया पर अभी तक यह सिर्फ़ एक दर्जन जिलों में ही बन सके हैं।

आवारा जानवरों से परेशान सुल्तानपुर के चंडेरिया इलाक़े के किसानों ने किसानों ने हाल ही में इन्हें पकड़ कर और खदेड़ कर मोहनपुर के सरकारी प्राथमिक विद्यालय में बंद कर दिया। सुल्तानपुर में कहने को एक सरकारी गोवंश आश्रय स्थल भी खुला है पर वहाँ भी देखरेख के अभाव में बीते दिनों सैकड़ों गायों व सांड़ों की मौत हो गयी थी। 

सुल्तानपुर में लोकसभा चुनाव के दौरान 100 से ज़्यादा गायों की जिला प्रशासन के द्वारा संचालित गोशाला में मर जाने की घटना हुई। चुनाव के समय में हो-हल्ला न मचे इसलिए जिला प्रशासन ने मृत गोवंश को दफना दिया। हालाँकि यह ख़बर फैल जाने के बाद कई धार्मिक संगठनों व संघ से जुड़े लोगों ने बवाल काटा और गायों को कब्र से निकाल कर उनका विधिवत अंतिम संस्कार करने के लिए कहा।

बाराबंकी में रामसनेहीघाट इलाक़े में थोर्थिया गाँव के सरकारी स्कूल में भी सैकड़ों गोवंश क़ैद किए गए हैं। बाराबंकी के किसानों का कहना है कि अभी हाल में धान की नर्सरी लगायी गयी है जिसे आवारा जानवर चर रहे हैं। छुट्टे जानवर क़ीमती मैंथे की फसल को भी बर्बाद कर रहे हैं।

बाराबंकी जिले की क़रीब-क़रीब हर तहसील में यही हाल है। जिले के कामरान अल्वी बताते हैं कि शहर तक में आवारा गोवंश का आतंक है जो राहगीरों तक को घायल कर रहे हैं। उनका कहना है कि जिले के अधिकारियों के दफ़्तर परिसर तक में आवारा गोवंश का राज है लेकिन इनकी धरपकड़ करने वाला कोई नहीं है।अलीगढ़ में फसल नष्ट करने से बेहाल किसानों के आवारा गोवंश को पीटने का वीडियो ख़ूब वायरल हुआ था। यहाँ के किसानों का कहना है कि साल भर की मेहनत बरबाद करने वाले गोवंश को वो छोड़ेंगे नही और सरकारी दफ़्तरों में क़ैद कर देंगे।

सरकार से नही संभले हालात

निराश्रित गोवंश को संभालने में बेबस योगी सरकार ने अब किसानों का सहारा लिया है। योगी सरकार किसानों को गोवंश के चारे के लिए पैसा देगी। इस तरह के पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत आवारा गोवंश से सबसे ज़्यादा पीड़ित बुंदेलखंड से होगी। इस योजना के मुताबिक़, अगर कोई किसान दो गायें रखता है और उनका व्यापारिक इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है यानी वे गायें दूध नहीं दे रही हैं तो सरकार किसान को हर गाय के चारे के लिए 30 रुपये रोज उपलब्ध कराएगी। यह पैसा किसान के खाते में हर महीने डीबीटी के जरिए भेजा जाएगा।राज्य के गोसेवा आयोग को भी योगी सरकार ने एक स्थान से दूसरे स्थान पर मवेशी ले जाने के लिए प्रमाण पत्र जारी करने को कहा है। सरकार का मानना है कि इससे मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर लगाम तो लगेगी ही, साथ ही जानवरों को छुट्टा छोड़ देने की घटनाओं में भी कमी आएगी। बीते दो सालों से सरकारी सख़्ती के चलते प्रदेश में पशु बाजारों का कामकाज ठप हो गया है।

बजट देने के बाद भी नहीं बनी गोशाला

उत्तर प्रदेश में आवारा गोवंश के लिए योगी सरकार ने इस बार के बजट में कुल 447 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इनमें से 200 करोड़ रुपये शहरी क्षेत्र के लिए तो 247 करोड़ ग्रामीण क्षेत्रों के लिए हैं। पिछले वित्त वर्ष में भी योगी सरकार ने आवारा गोवंश के 160 करोड़ रुपये जारी किए थे। इनमें से प्रदेश के सभी 16 नगर निगमों को गोशालाओं के निर्माण व पशुओं के रख-रखाव के लिए 10-10 करोड़ रुपये दिए गए थे। हालाँकि इनमें से केवल लखनऊ और बरेली ने अब तक गोशालाओं का निर्माण किया है जिनमें से लखनऊ में तो पहले से ही गोशाला है। 

योगी सरकार ने 653 नगर निकायों में से 69 को गोशालाओं के निर्माण के लिए 10 से 30 लाख रुपये जारी किये थे। निकायों में से ज़्यादातर ने अभी तक गोशालाओं का निर्माण पूरा नहीं किया है। ललितपुर, बाराबंकी जैसे कुछ जिले ज़रूर हैं, जहाँ गोशालाएँ काम कर रही हैं।

प्रदेश सरकार के निर्देश पर सभी 75 जिलों में अस्थाई गोशालाएँ ज़रूर चल रही हैं। हालाँकि इनमें सही रख-रखाव, बीमारी, चारे पानी की कमी से गायों के बड़े पैमाने पर मरने की ख़बरें आती रहती हैं।

प्रदेश सरकार के अधिकारियों का कहना है कि गोशालाओं व गोवंश की सेवा के लिए धन की कोई कमी नहीं है। हाल ही में प्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी कर आबकारी कर पर आधा फ़ीसदी का सेस इस मद में लगाया है। इस मद से ही अकेले 175 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है।

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