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बस विवाद: 14 दिन के लिए जेल भेजे गए यूपी कांग्रेस अध्यक्ष लल्लू, बसें वापस लौटीं

बस विवाद: 14 दिन के लिए जेल भेजे गए यूपी कांग्रेस अध्यक्ष लल्लू, बसें वापस लौटीं

कांग्रेस की ओर से बसों की सूची में फ़र्ज़ीवाड़े के आरोप में गिरफ्तार किए गए प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को गुरुवार को ज़िला जेल भेज दिया गया। बसें भी वापस लौट गईं।

उत्तर प्रदेश में प्रवासी मज़दूरों को लाने के लिए कांग्रेस की ओर से बसें दिये जाने पर योगी सरकार और कांग्रेस के बीच शुरू हुई रार थम नहीं रही है।

कांग्रेस की ओर से बसों की सूची में फ़र्ज़ीवाड़े के आरोप में गिरफ्तार किए गए प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को गुरुवार को ज़िला जेल भेज दिया गया। इससे पहले मंगलवार रात आगरा में गिरफ्तार किए गए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को बुधवार अदालत से ज़मानत मिल गयी थी पर उन्हें लखनऊ पुलिस ने फिर से गिरफ्तार कर लिया। लल्लू को गिरफ्तार कर लखनऊ में अदालत में पेश किया गया जहाँ से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में गुरुवार को जेल भेजा गया। उधर लगातार तीन दिन तक राजस्थान सीमा को छूते उत्तर प्रदेश के आगरा ज़िले में नगला ऊँचा गाँव में कांग्रेस की सैकड़ों बसें इंतजार करने के बाद बुधवार रात बैरंग वापस लौट गयीं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को जेल भेजे जाने और बसों का मज़दूरों के लिए उपयोग न करने को लेकर गुरुवार को यूपी कांग्रेस के हज़ारों कार्यकर्ताओं ने फ़ेसबुक लाइव कर अपना विरोध जताया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बुधवार देर रात लल्लू की रिहाई के लिए अस्थाई जेल के सामने प्रदर्शन भी किया था।

लल्लू से 14 दिनों तक मुलाक़ात नहीं

उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष लल्लू को बुधवार रात लखनऊ के तेलीबाद इलाक़े में सिंचाई विभाग के गेस्टहाउस में बनायी गयी अस्थाई जेल में रखा गया था। गुरुवार सुबह उनकी कोरोना जाँच रिपोर्ट निगेटिव आने पर उन्हें ज़िला जेल में दाखिल कर दिया गया। ज़िला जेल में लल्लू को क्वॉरंटीन बैरक में रखा गया है और अगले 14 दिन तक उनसे मुलाक़ात पर पाबंदी लगा दी गयी है।

ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को आगरा पुलिस ने मंगलवार रात उस समय गिरफ्तार कर लिया था जब वह ज़िले की सीमा पर खड़ी पार्टी की बसों को मज़दूरों को ढोने के लिए नोएडा व गाज़ियाबाद ले जाने की ज़िद कर रहे थे। लल्लू को धरना देने व महामारी एक्ट के उल्लंघन की धाराओं के तहत गिरफ़्तार किया गया था। बुधवार दोपहर बाद अजय लल्लू को आगरा की अदालत ने रिहा कर दिया। हालाँकि लल्लू को रिहा करते ही उन्हें लखनऊ की पुलिस ने हिरासत में ले लिया। 

बसों की सूची में कुछ विवरण ग़लत होने पर फ़र्ज़ीवाड़े के आरोप में मंगलवार रात लखनऊ की हज़रतगंज कोतवाली में अजय लल्लू व प्रियंका गाँधी के निजी सचिव संदीप सिंह के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कराया गया था।

सोशल मीडिया पर विरोध

गुरुवार को राजीव गाँधी की शहादत दिवस के मौक़े पर यूपी कांग्रेस के हज़ारों कार्यकर्ताओं ने फ़ेसबुक लाइव कर योगी सरकार के ख़िलाफ़ अपना विरोध जताया। कांग्रेसियों ने कहा कि मज़दूरों के लिए बसें दिए जाने पर उनके प्रदेश अध्यक्ष को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है जबकि लाखों की तादाद में लोग पैदल अपने घर लौटने को मजबूर हैं।

इससे पहले बुधवार को प्रियंका गाँधी ने फ़ेसबुक व यूट्यूब के ज़रिए अपनी बात रखी। सरकार की ओर कांग्रेस पर हमला बोलने के लिए लगातार उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा को उतारा जा रहा है। प्रियंका ने योगी सरकार को यहाँ तक प्रस्ताव दिया कि वो बसों पर अपनी तसवीरें लगा लें पर उन्हें मज़दूरों को ढोने के काम में लगा लें। उधर बुधवार देर शाम कांग्रेस की सैकड़ों बसें इंतज़ार करने के बाद वापस लौट गयीं जबकि प्रदेश में कई सीमाओं पर मज़दूर पैदल ही अपने घर का रास्ता नापते रहे। इस बीच लगातार प्रियंका गाँधी के मज़दूरों को लाने के लिए बसें दिए जाने को लेकर प्रदेश सरकार के साथ भाजपा के तमाम छोटे-बड़े नेता ज़हर उगलते रहे। इनमें कुछ महीनों से अलग सुर अलाप रहीं कांग्रेस की नाराज़ विधायक अदिति सिंह भी शामिल हैं।

योगी सरकार को अखरा था कांग्रेस का प्रस्ताव

दरअसल, बीते कुछ दिनों से मज़दूरों के लिए बसें चलाने के प्रियंका गाँधी के प्रस्ताव पर योगी सरकार और कांग्रेस में ज़बरदस्त राजनीति चल रही है। उत्तर प्रदेश की नोएडा व गाज़ियाबाद सहित कई सीमाओं पर हज़ारों मज़दूर घरों को जाने के लिए बसों के इंतज़ार में तपती गर्मी में भुन रहे हैं जबकि नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए चिट्ठीबाज़ी और प्रेस कांफ्रेंसों में ही उलझे हुए हैं।

ग़ौरतलब है कि इससे पहले दो दिनों तक प्रियंका के प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डालने के बाद योगी सरकार ने सोमवार को बसें चलाने की अनुमति दी तो तमाम शर्तें थोपनी शुरू कर दीं। पहले बसों की सूची माँगी, फिर ड्राइवर, कंडक्टरों के नाम और फिर बस सहित लखनऊ आकर लाइसेंस व फ़िटनेस सर्टिफिकेट जाँच करवाने का फ़रमान सुना दिया। और तो और कांग्रेस की ओर से बसों की सूची देने पर उनमें से क़रीब डेढ़ दर्जन को ऑटो, एंबुलेंस, स्कूल बस व ट्रैक्टर बता दिया। आख़िर तमाम बवाल के बाद मंगलवार दोपहर प्रदेश सरकार ने बसों के कागज जाँच करवाने के लिए नोएडा व गाज़ियाबाद ज़िला प्रशासन के पास जाने को कह दिया।

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