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यूपी: कोरोना से निपटने के कुप्रबंधन को लेकर बीजेपी नेता उठा रहे सरकार पर सवाल

यूपी: कोरोना से निपटने के कुप्रबंधन को लेकर बीजेपी नेता उठा रहे सरकार पर सवाल

उत्तर प्रदेश में कोरोना से निपटने के कुप्रबंधन को लेकर बीजेपी नेता लगातार योगी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। 

उत्तर प्रदेश में कोरोना से जंग पर सरकारी सेना पस्त हो गयी है। विपक्ष के हमलों से बेपरवाह योगी सरकार को अब खुद बीजेपी के सांसद, विधायक और मेयर चेतावनी दे रहे हैं। प्रदेश में कोरोना से हुई मौतों का मुक़ाबला घर लौट रहे श्रमिकों की दुर्घटना और अन्य परेशानियों से होने वाली मौतों से होने लगा है। उत्तर प्रदेश में आगरा, मेरठ, कानपुर कोरोना के हब बन कर उभरे हैं। 

आगरा के मेयर नवीन जैन ने जहां कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर शहर को बचाने की अपील की थी, वहीं मेरठ से पहले बीजेपी विधायक सोमेंद्र तोमर और अब सांसद कांता कर्दम ने पत्र लिख कर बदहाली के किस्से बयान किए हैं। 

कोरोना संकट के दौरान फ़ीडबैक लेने के लिए लगायी गयी मुख्यमंत्री कार्यालय की टीम को विधायकों की तमाम शिकायतों से दो-चार होना पड़ रहा है। कोरोना काल में बीजेपी अपने तीन विधायकों को अनुशासनहीनता के लिए नोटिस जारी कर चुकी है। 

सवालों से बचने के लिए प्रदेश सरकार ने कोरोना संकट पर होने वाली नियमित मीडिया ब्रीफिंग को अब केवल सरकारी मीडिया व एक निजी टीवी न्यूज एजेंसी तक सीमित कर दिया है।

स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल

बीजेपी की राज्यसभा सांसद व प्रदेश संगठन की उपाध्यक्ष कांता कर्दम ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मेरठ के ख़राब हालात की ओर ध्यान दिलाया है। सांसद का कहना है कि मेरठ में कोरोना मरीजों की तादाद 209 और मृतकों की संख्या 11 हो गयी है जबकि शहर में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। 

सांसद का कहना है कि लॉकडाउन का पालन सख्ती से नहीं हो रहा है और दिल्ली रोड, कोटला बाजार व नवीन मंडी में स्थिति विस्फोटक हो गयी है। सभी सब्जी विक्रेताओं के लिए कोरोना टेस्ट ज़रूरी बताते हुए सांसद ने कहा है कि शहर का इकलौता मेडिकल कॉलेज इलाज के मामले में लचर है। 

रेड ज़ोन घोषित हुए मेरठ में शराब की दुकानें बंद करने का अनुरोध करते हुए कांता कर्दम ने कहा है कि अब तो शहरी क्षेत्र के लोग नशा करने के लिए ग्रामीण इलाक़ों की ओर भाग रहे हैं। कुछ दिन पहले बीजेपी विधायक सोमेंद्र तोमर ने भी इसी तरह का पत्र लिख कर सरकार से मेरठ जिले को बचाने की मांग की थी।

आगरा में हालात बेहद ख़राब 

पिछले महीने देश भर में ‘आगरा मॉडल’ के नाम से चर्चित हुए इस शहर के हालात बेहद ख़राब हैं। आज उत्तर प्रदेश के कुल कोरोना मरीजों में से लगभग एक तिहाई मरीज आगरा से ही हैं। अब तक आगरा में कोरोना के 725 मरीज हैं और 25 लोगों की मौत हो चुकी है। 

आगरा में ही दैनिक जागरण के पत्रकार पंकज कुलश्रेष्ठ की मौत कोरोना संक्रमण के कारण हो गयी थी। इसी समाचार पत्र के आगरा दफ्तर में काम करने वाले 12 और लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। 

प्रदेश सरकार ने दो वरिष्ठ अधिकारियों को आगरा में स्थिति पर काबू पाने के लिए तैनात किया है। हालात को देखते हुए रविवार देर रात आगरा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और सहायक निदेशक, परिवार कल्याण को हटा दिया गया है। 

क्वरेंटीन सेंटर्स से लोगों के भागने की सबसे ज़्यादा ख़बरें उत्तर प्रदेश से ही आ रही हैं। ज्यादातर गांवों में क्वरेंटीन सेंटर कागजों पर चल रहे हैं और यहां रखे गए लोग अपने घरों में सो रहे हैं।

क्वरेंटीन सेंटर्स, कम्युनिटी किचन का बुरा हाल 

सुल्तानपुर में क्वरेंटीन सेंटर्स का हाल बताते हुए एक स्थानीय पत्रकार कहते हैं कि यहां खाने के नाम पर आधा पेट राशन और स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है। बलरामपुर जनपद में एक क्वरेंटीन सेंटर का मुआयना करने गए बीजेपी विधायकों ने अधिकारियों पर अव्यवस्था को लेकर जमकर भड़ास निकाली। 

श्रावस्ती जिले में एक सेंटर पर खुद जिलाधिकारी को कई दिनों से भूखे-प्यासे लोग मिले। हर रोज लाखों ग़रीबों को खाना खिलाने का दावा करने वाली योगी सरकार के कम्युनिटी किचन को लेकर जो ख़बरें अलग-अलग जिलों से आ रही हैं, वे चौंकाने वाली हैं। 

झांसी में खुद बीजेपी के पदाधिकारियों ने मेन्यू से इतर खाना पकते देखा। यहां सोमवार को तय मेन्यू दाल, चावल, रोटी की जगह 32 रुपये की दर से चार-छह पूड़ी व सब्जी तैयार की जा रही है। राजधानी लखनऊ तक में ज्यादातर लोगों को महज एक टाइम ही खाना दिया जा रहा है।

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