उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में अभी कई महीनों की देर है, लेकिन मुख्यमंत्री आदित्यनाथ इस पर पूरी तरह आश्वस्त हैं कि न सिर्फ उनकी पार्टी चुनाव जीतेगी, बल्कि वे ही मुख्यमंत्री बनेंगे।
उन्होंने टेलीविज़न चैनल 'टाइम्स नाउ' के एक कार्यक्रम में यह दावा किया। उनसे कहा गया कि उत्तर प्रदेश में पिछले 35 साल में कोई भी व्यक्ति दुबारा मुख्यमंत्री बन कर नहीं आया है। इस पर उन्होंने कहा, 'मै आऊँगा न!'
इस पर जब पत्रकार ने पूछा कि 'क्या आप यह रिकॉर्ड तोड़ पाएंगे'?, उन्होंने कहा, 'हम रिकॉर्ड तोड़ने के लिए ही आए हैं।'
350 सीटें?
इसी तरह योगी आदित्यनाथ ने यह दावा भी किया कि बीजेपी विधानसभा चुनाव में कम से कम 350 सीटें जीतेगी। उन्होंने कहा, "हमारा जो ट्रेंड चल रहा है, आप नोट कर लें कि 350 सीटों से कम बीजेपी लेकर आएगी ही नहीं।"
बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में 403 सीटें हैं। पिछली बार बीजेपी को 312 सीटें मिली थीं।
मुख्यमंत्री बदले जाने की अटकलों पर योगी ने कहा कि बीजेपी कार्यकर्ता आधारित पार्टी है, जिसमें उनकी भूमिका बदलती रहती है। उन्होंने कहा,
“
अलग-अलग समय पर हर कार्यकर्ता को अलग-अलग भूमिका मिल सकती है। बीजेपी कोई एक परिवार तक सीमित नहीं है। यहां पद नहीं बल्कि कार्य अहम होता है। बीजेपी में सामान्य कार्यकर्ता भी मुख्यमंत्री बन सकता है।
योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
'अब्बा जान' विवाद
इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने 'अब्बा जान' विवाद पर भी अपनी सफाई दी। बता दें कि योगी आदित्यनाथ ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था कि उनके समय में सबको राशन मिल रहा है, जबकि पहले की सरकार में अब्बा जान कहने वाले सारा अनाज ले लेते थे और दूसरों तक वह नहीं पहुँचता था।
उनके इस बयान का यह अर्थ लगाया गया कि पहले की सरकार में सारा राशन मुसलमानों में बँट जाता था और हिन्दुओं को वह नहीं मिलता था।
योगी आदित्यनाथ ने इस पर सफाई दी। उन्होंने कहा, "मैंने नाम नहीं लिया था किसी का, आपने ही ले लिया उनका नाम…।"
योगी ने आगे कहा,
“
एक बात बताइए- मुसलिम वोट चाहिए… अब्बाजान से परहेज है, क्यों? क्या अब्बाजान शब्द असंसदीय है? ये शब्द असंसदीय नहीं है!
योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
बता दें कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को लेकर उनके ही दल में असंतोष है, ज़्यादातर विधायक उनके कामकाज के तरीके से नाराज़ हैं।
केंद्रीय नेतृत्व ने एक टीम भेजी थी, जिसने लखनऊ जाकर विधायकों से मुलाक़ात की थी और सबकी राय ली थी। लेकिन उसके बाद पार्टी ने एलान कर दिया कि मौजूदा मुख्यमंत्री के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा।
उस समय से सार्वजनिक तौर पर किसी ने कुछ नहीं कहा है। योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह खुद के मुख्यमंत्री बनने का दावा कर दिया, उससे संकेत जाता है कि केंद्रीय नेतृत्व को एक तरह से चुनौती दे रहे हैं।