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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अपनी ही सरकार पर क्यों कर रहे हैं हमले

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अपनी ही सरकार पर क्यों कर रहे हैं हमले

लड़की बहन योजना और महाराष्ट्र की आर्थिक स्थिति पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बयान से बीजेपी में तहलका मचा हुआ है। उनका बयान महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले आया है। जिसके अपने मतलब निकाले जा रहे हैं।

राजनीतिक जीवन में लोग कम ही अपनी पार्टी की आलोचना करते हैं। लेकिन केंद्रीय नितिन गडकरी इसमें पीछे नहीं हट रहे हैं। कई बार उनके बयान केंद्र सरकार का घेरते नजर आते हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी फिर से अपनी ही पार्टी के आलोचक बन गए हैं, और विपक्ष को मुद्दा उठाने के लिए थाली में बड़े करीने से चुनाव के लिए उपहार के रूप में परोसा दिया है। सच बयान  देने के लिए मशहूर गडकरी ने महाराष्ट्र सरकार की लड़की बहिन योजना के विरोध का झंडा उठाया है, जिससे उन्हें लगता है कि इससे अन्य क्षेत्रों में सब्सिडी के समय पर राज्य के भुगतान में बाधा आ सकती है। यह योजना महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने के मकसद से एक पहल के बारे में है।

गडकरी जिस तरह से सरकार के खिलाफ एक के बाद एक बयान दे रहे हैं, उससे यह अटकलें तेज हैं कि वो ऐसा आरएसएस के कहने पर कर रहे हैं। क्योंकि भाजपा के असली आलाकमान मोदी-शाह जोड़ी से आरएसएस नाराज बताया जा रहा है। इसलिए गडकरी से चुन-चुन कर बयान दिलवाये जा रहे हैं। इससे पहले दो प्रमुख विपक्षी नेताओं उद्धव ठाकरे और अरविन्द केजरीवाल ने आरएसएस से मोदी को लेकर सवाल किये थे।


कांग्रेस, एनसीपी (सपा) और शिवसेना (यूबीटी) ने यह कहने में कोई समय बर्बाद नहीं किया कि अगर सत्ता में बैठे लोग भी स्वीकार कर रहे हैं कि राज्य की अर्थव्यवस्था गंभीर स्थिति में है, तो शायद हम सभी को घबराना शुरू कर देना चाहिए। दिवाली के बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव होने को देखते हुए लड़की बहिन योजना और राज्य के वित्त पर गडकरी की सार्वजनिक राय और भी महत्वपूर्ण है। विपक्ष गडकरी की टिप्पणियों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जैसे ही गडकरी मुद्दा उठाते हैं। विपक्ष उसे आगे बढ़ाने में पीछे नहीं रहता है। 

सोमवार को नागपुर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में गडकरी ने कहा, ''क्या निवेशकों को समय पर सब्सिडी मिलेगी? कौन जानता है? हमें लड़की बहिन योजना के लिए भी फंड देना होगा!” दूसरे शब्दों में, उन्हें डर है कि पहले अन्य सब्सिडी के लिए तय धनराशि अब डायवर्ट कर दी जाएगी।

लड़की बहिन योजना शुरू होने पर उन्होंने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी थी, "मेरी राय है कि सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो। सरकार एक 'विषकन्या' की तरह है; जो भी इसके साथ जाएगा। खुद को बर्बाद करो। इसलिए उस मामले में मत पड़ो।'' उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा।

उन्होंने आगे कहा, “अगर आपको सब्सिडी मिल रही है, तो इसे ले लो, क्योंकि यह निश्चित नहीं है कि यह आगे कब मिलेगी। लड़की बहिन योजना शुरू होने के साथ, उन्हें सब्सिडी के लिए आवंटित धन का उपयोग उस काम के लिए करना होगा।”

कांग्रेस ने गडकरी के बयान के बाद महायुति सरकार की आलोचना करते हुए लाडली बहिन योजना राज्य के आर्थिक संकटों से ध्यान भटकाने के लिए बनाई गई एक हताश भरी चुनावी चाल है। जयराम रमेश ने कहा कि वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री, गडकरी अब सार्वजनिक रूप से महाराष्ट्र की वित्तीय समस्याओं को स्वीकार कर रहे हैं, जो एक रोचक सोप ओपेरा की तरह है। रमेश ने भाजपा की "कठपुतली" सरकार के कारण हुई "वित्तीय बर्बादी" पर प्रकाश डाला।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि "इमरजेंसी फंड की कमी" के कारण एक तरफ तो आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों के लिए सहायता रद्द कर दी गई। जब विपक्ष ने हंगामा किया तो इसे बहाल करने की घोषणा की गई। उन्होंने 15 महीनों से 400 से अधिक ठेकेदारों को भुगतान न किए जाने और 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का राजकोषीय घाटा होने का भी उल्लेख किया - जबकि राज्य का कुल कर्ज अब 7 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो जीडीपी का लगभग 20% है।

'मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना' के तहत महाराष्ट्र में 21-65 वर्ष की महिलाओं को, वैवाहिक स्थिति की परवाह किए बिना, 1,500 रुपये का मासिक वजीफा मिलेगा। यह मानते हुए कि उनकी पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये से अधिक नहीं है। यह सब राज्य के खजाने पर 46,000 करोड़ रुपये की भारी बोझ डालेगा। वो भी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के समय इसे घोषित किया गया है।

गडकरी के बयान

केंद्रीय मंत्री ने अभी हाल ही में पुणे में कहा था कि जिस फाइल पर पैसे रखे होते हैं, वो हमारे सिस्टम में तेजी से चलती है। उन्होंने यह आरोप सीधे नौकरशाहों संबोधित करते हुए लगाया था। उसस पहले उन्होंने इंश्योरेंस मेडीक्लेम पर जीएसटी वसूले जाने की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि उनसे बीमा यूनियन के लोगों मिलकर यह मांग उठाई थी। वो विदर्भ में किसानों की आत्महत्या पर चिन्ता जता चुके हैं। हाल ही में उन्होंने कहा कि वो करियर बनाने वाले नेताओं की तरह काम नहीं करते। यह भी कहा था कि वो प्रधानमंत्री पद की दौड़ में कभी नहीं थे और न हैं।

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