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यूनिफॉर्म सिविल कोडः असम के सीएम को सीपीएम की फटकार

यूनिफॉर्म सिविल कोडः असम के सीएम को सीपीएम की फटकार

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर असम के सीएम के बयान पर सीपीएम नेता ने उन्हें बुरी तरह फटकारा है। उन्होंने कहा कि आरएसएस-बीजेपी इसकी आड़ में जानबूझकर मुसलमानों को टारगेट कर रहे हैं। इसीलिए उनके नेता आए दिन इस मुद्दे पर फर्जी बयान देते हैं। 

सीपीएम के सीनियर नेता और पूर्व सांसद हन्नान मौला ने यूनिफॉर्म सिविल को़ड (यूसीसी) के सिलसिले में असम के सीएम के बयान पर उन्हें फटकार लगाते हुए कहा कि यूसीसी की आड़ में आरएसएस-बीजेपी देश के अल्पसंख्यकों को टारगेट कर रहे हैं। 

असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को गुवाहाटी में एक विवादास्पद बयान में कहा था कि मुस्लिम महिलाएं नहीं चाहेंगी कि पति तीन पत्नियां लाएं। सरमा के मुताबिक यूसीसी की मांग मुस्लिम महिलाओं की ओर से हुई है। यह मेरा मुद्दा नहीं है, यह मुस्लिम महिलाओं का मुद्दा है।

सीपीएम नेता हन्नान मौला ने कहा कि आरएसएस-बीजेपी के नेता आए दिन जानबूझकर ऐसी फर्जी और झूठी बातें लोगों को गुमराह करने के लिए कहते हैं। जिससे देश का माहौल खराब हो। उन्होंने कहा कि जरा उस आंकड़े की तुलना कीजिए, जिनकी दो पत्नियां हैं। बहुत सारे गैर मुस्लिमों (हिन्दू आदि) की दो पत्नियां हैं। लेकिन वे सिर्फ मुस्लिमों को निशाना बनाने के लिए ऐसी घटिया बातें करते हैं। यह आरएसएस-बीजेपी का संयुक्त नफरती अभियान है।

बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2019 में अपने घोषणापत्र में वादा किया था कि सत्ता में आने पर वो यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करेगी। तमाम बीजेपी शासित राज्यों ने हाल ही में इस आशय के बयान दिए हैं कि वो अपने राज्य में यूसीसी लागू करेंगे। इस संबंध में सबसे पहला बयान उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी का आया था। इसके बाद यूपी सरकार ने भी यही बात दोहराई। सीपीएम के पहले ओवैसी समेत कई नेता यूसीसी का विरोध कर रहे हैं। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि सरकार महंगाई जैसे गंभीर मुद्दे से ध्यान बंटाने के लिए यूसीसी मुद्दा उछाल रही है। 

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हन्नान मौला, सीनियर सीपीएम नेता और पूर्व सांसद

ओवैसी ने किया तार्किक विरोध

इससे पहले  एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी का विरोध करते हुए कहा था कि भारत में इसकी जरूरत नहीं है।ओवैसी ने न्यूज एजेंसी  एएनआई से कहा था, बेरोजगारी और महंगाई बढ़ रही है और आप समान नागरिक संहिता के बारे में चिंतित हैं। हम इसके ख़िलाफ़ हैं। विधि आयोग ने भी कहा है कि भारत में यूसीसी की ज़रूरत नहीं है। 

ओवैसी ने कहा कि बीजेपी सभी राज्यों में शराब पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाती। जहाँ बीजेपी सत्ता में है... जिस तरह आपने गुजरात में पाबंदियां लगाई हैं, उसी तरह की पाबंदियां कहीं और क्यों नहीं लगाते?  उन्होंने पूछा कि मुसलमानों, सिखों और ईसाइयों के लिए हिंदू अविभाजित परिवार की तरह कर छूट क्यों नहीं है? साथ ही संविधान मेघालय, मिजोरम और नागालैंड की संस्कृति की रक्षा करने का वादा करता है... क्या इसे हटा दिया जाएगा?

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एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी

ओवैसी ने गोवा की नागरिक संहिता का जिक्र किया। ओवैसी ने कहा कि गोवा में हिन्दू पुरुष को दूसरी पत्नी रखने की अनुमति है। लेकिन अगर पहली पत्नी ने 30 साल की आय़ु प्राप्त कर ली हो और उसे कोई औलाद नहीं है तो हिन्दू पति दूसरी शादी कर सकता है। गोवा में बीजेपी की सरकार है, इस पर अपना मत क्यों नहीं बताती बीजेपी। 

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड

केंद्र की मोदी सरकार और बीजेपी शासित राज्य जिस यूसीसी को लागू करना चाहते हैं, उसके तहत प्रस्ताव है कि विभिन्न समुदायों के पर्सनल लॉ खत्म हो जाएंगे। सभी धर्म, जाति के लोगों पर समान नागरिक संहिता के कानून लागू हो जाएंगे। चाहे वो धार्मिक मामले हों या फिर सामाजिक मामले हों। इसके जरिए तमाम समुदायों को अपने परंपरागत रीति-रिवाज भी छोड़ने पड़ सकते हैं। भारतीय संविधान की धारा 44 में ऐसे सिविल कोड की बात कही गई है। यूसीसी का असर सिर्फ मुसलमानों पर ही नहीं पड़ेगा। इससे तमाम आदिवासी समुदाय, सिख, जैन, बौद्ध भी प्रभावित होंगे जो अलग-अलग रीति-रिवाजों, परंपराओं को अपने विवाहों में लागू करते हैं।

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