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उइगरों के प्रति चीन का व्यवहार मानवता के खिलाफ अपराध है?

उइगरों के प्रति चीन का व्यवहार मानवता के खिलाफ अपराध है?

चीन अपने ही शिनजियांग क्षेत्र के उइगर मुसलिमों का क्या इतना उत्पीड़न करता है कि उसे मानवता के ख़िलाफ़ अपराध माना जाए? जानिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने क्या रिपोर्ट दी है और उइगर कौन हैं।

शिनजियांग क्षेत्र के उइगर मुसलिमों को लेकर चीन फिर से सुर्खियों में है। दरअसल, निवर्तमान संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने बुधवार को एक रिपोर्ट में कहा है कि चीन के शिनजियांग क्षेत्र में उइगर और अन्य मुसलमानों की 'मनमाना और भेदभावपूर्ण हिरासत' मानवता के खिलाफ अपराध हो सकती है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने अपनी 48-पृष्ठ की रिपोर्ट में कहा है कि सरकार के आतंकवाद-रोधी और काउंटर-'उग्रवाद' रणनीतियों को लागू करने के मामले में शिनजियांग में 'गंभीर मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया है'। संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने कहा है, 'उइगर और अन्य मुस्लिम बहुल समूहों के सदस्यों की मनमानी और भेदभावपूर्ण हिरासत की हद तक... अंतरराष्ट्रीय अपराध हो सकते हैं, विशेष रूप से मानवता के खिलाफ अपराध।'

उसने चीनी सरकार से प्रशिक्षण केंद्रों, जेलों या डिटेंशन फैसिलिटीज में बंद सभी लोगों को रिहा करने के लिए तुरंत कदम उठाने की सिफारिश की। रिपोर्ट के अनुसार इसने कहा है कि 2017 के बाद से परिवार नियोजन नीतियों को जबरन थोपकर प्रजनन अधिकारों के उल्लंघन के विश्वसनीय संकेत हैं।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेट ने अपना चार साल का कार्यकाल ख़त्म होने से कुछ मिनट पहले रिपोर्ट जारी की। रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार वह मई में चीन गई थीं। उनको पहले चीन पर बहुत नरम रुख रखने के लिए कुछ राजनयिकों और अधिकार समूहों की आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है।

अधिकार समूहों ने बीजिंग पर मुख्य रूप से मुस्लिम जातीय अल्पसंख्यक उइगरों के खिलाफ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया, जो शिनजियांग के पश्चिमी क्षेत्र में लगभग 10 मिलियन की संख्या में हैं। अमेरिका ने चीन पर नरसंहार का आरोप लगाया है। चीन ने आरोपों का जोरदार खंडन किया है।

जिनेवा में चीन के मिशन ने रिपोर्ट को झूठी सूचना और अमेरिका, पश्चिमी देशों व चीन विरोधी ताकतों द्वारा नियोजित तमाशा क़रार दिया है। संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जून ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख को चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

कौन हैं उइगर?

चीन के पश्चिम-उत्तर इलाक़े में शिनजियांग में रहने वाले उइगर मुसलमान ख़ुद को तुर्की मूल के मानते हैं। उनकी भाषा तुर्की से मिलती जुलती है, उनके रीति रिवाज तुर्की के रहने वालों से मिलते जुलते हैं। एक दौर में उइगरों का साम्राज्य था जिसने मंगोलिया के मैदानों पर शासन किया। अपनी अलग संस्कृति, भाषा और धर्म वाले उइगरों का इतिहास शानदार रहा है जो 8वीं सदी तक जाता है।

9वीं शताब्दी में ये लोग उस इलाक़े में जाकर बसे जिसे आज पूर्व तुर्किस्तान या शिनजियांग कहा जाता है। चीनी भाषा में शिनजियांग का मतलब है नया फ्रंटियर और उइगर लोग इसे उपनिवेशवाद के प्रतीक के तौर पर देखते हैं।

13वीं सदी में चंगेज़ ख़ान ने उइगरों की लिपि को अपनाया। जानकार कहते हैं कि मंगोल साम्राज्य में उइगर बौद्धिक रूप से अभिजात्य वर्ग थे। हालाँकि वे राजनीतिक रूप से ज़्यादा ताक़तवर तो नहीं थे लेकिन वो बौद्धिक रूप से काफ़ी विकसित थे। जानकार कहते हैं कि वास्तव में ये उइगर लोग ही थे जिन्होंने मंगोलों को लिखना सिखाया था।'

इतने शानदार इतिहास वाले उइगरों की स्थिति समय के साथ बदलती गई। लेकिन मौजूदा राष्ट्रवादी चीन का समय आते-आते हालात ज़्यादा बदल गए। 1911 की क्रांति के आसपास भी उइगर पर इतना ज़्यादा दबाव नहीं था। वे अपनी भाषा बोल सकते थे, अपने धर्म का पालन कर सकते थे और उनके सामने चीनी भाषा बोलने की कोई मजबूरी नहीं थी।

चीन में धीरे-धीरे राष्ट्रवाद का प्रभाव बढ़ रहा था और शिनजियांग क्षेत्र में बहुत से लोग अपनी पहचान को लेकर जागरूक हो रहे थे। उनमें अपने लिए अलग राष्ट्र की भावना मज़बूत हुई और 1933 में उन्होंने फ़र्स्ट रिपब्लिक ऑफ़ इस्टर्न तुर्किस्तान स्थापित कर दिया।

उइगरों में जो राष्ट्रवाद की भावना थी उसको 1960 से पहले ही स्वीकार किया जाता रहा था। 1960 का ही वो दशक है जिसमें उइगरों के हालात में आमूलचूल बदलाव हुए।

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, 1967 में यहां सांस्कृतिक क्रांति शुरू हुई। यह इस क्षेत्र के लिए विनाशक साबित हुई। इस दौरान बुद्धिजीवियों और धर्मगुरुओं को गिरफ़्तार किया गया और मस्जिदों और मकबरों को तोड़ दिया गया। शिनजियांग एक बड़ा लेबर कैंप बन गया जहां पूरे चीन से हिरासत में लिए गए लोग पहुँचाए गए। 1989 में थियानमेन स्क्वेयर गोलीकांड या नरसंहार के बाद तो स्थिति और बदली। प्रशासन ने उइगर मुसलमानों के एकजुट होने को शक़ की नज़र से देखने लगा।

बहरहाल, उइगरों का कहना है कि वे चीनी नहीं हैं, क्योंकि उनका खाना-पीना, रीति-रिवाज, कुछ भी ऐसा नहीं है जो उन्हें चीन से जोड़े। उनका यह भी कहना है कि चीन में क्रांति के ठीक पहले तक वे अलग थे, क्रांति के बाद उन्हें चीन में ज़बरन मिला लिया गया। वे अलग होना चाहते हैं। इसके उलट चीन उइगुर मुसलमानों को अपने देश का जनजातीय अल्पसंख्यक समुदाय मानता है, उसने शिनजियांग को स्वायत्त क्षेत्र का दर्जा दे दिया है, उनकी सुरक्षा की कसमें खाता है। लेकिन चीन शिनजियांग को किसी कीमत पर अलग नहीं होने देना चाहता और उइगरों को राष्ट्रीय मुख्य धारा में लाने की कोशिश में है।

कहा जाता है कि चीन शिनजियांग के अलगाववादी आंदोलन को तोड़ने के लिए उइगर पहचान को मिटाना चाहता है। इसी कोशिश के तहत उइगरों के धर्म सुन्नी इसलाम पर भी वह चोट कर रहा है।

ख़बरें हैं कि उइगरों को बड़े-बड़े कैम्पों में रखा गया है, जहाँ उन्हें कम्युनिस्ट विचारधारा और चीनी राष्ट्रीयता का पाठ ज़बरन पढ़ाया जा रहा है। आरोप तो लगे कि कुछ इलाक़ों में रोज़ा रखने पर रोक लगा दी गई, कुछ लोगों को दाढ़ी रखने से मना किया गया और कुछ मसजिदों को बंद कर दिया गया। हालाँकि चीन प्रशासन इन तमाम बातों से इनकार करता है। लेकिन इसकी रिपोर्टें लगातार आती रही हैं कि शिनजियांग के कैम्पों में हज़ारों उइगर हैं, जिनकी स्थिति क़ैदियों से बहुत बेहतर नहीं है। 

उइगरों की इसी स्थिति को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की रिपोर्ट अहम है।

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