कोवैक्सीन लगाए भारतीयों को भी अब ब्रिटेन में क्वारंटीन जैसी पाबंदियों से छूट
कोविशील्ड के साथ ही अब कोवैक्सीन के टीके लगवाए भारतीयों को भी अब ब्रिटेन में क्वारंटीन जैसी पाबंदियों से नहीं गुजरना पड़ेगा। अब भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को भी ब्रिटेन की उस सूची में शामिल किया जाएगा जो टीके पाबंदियों से छूट के लिए मान्य हैं। ऐसा होने पर भारत से ब्रिटेन जाने वाले छात्रों, पर्यटकों व दूसरे लोगों को बेहद सहूलियत होगी। पूरी तरह से इन टीकों को लगाए यात्रियों को ब्रिटेन के लिए प्रस्थान से पहले के टेस्ट और 8वें दिन के टेस्ट से भी नहीं गुजरना होगा।
कोवैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मंजूरी मिलने के बाद यह ख़बर आई है। ब्रिटेन में इस वैक्सीन को मान्यता देने की जानकारी भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलिस ने दी है। उन्होंने ट्वीट किया है, 'ग्रेट ब्रिटेन आने वाले भारतीय यात्रियों के लिए और अच्छी ख़बर। 22 नवंबर से कोवैक्सीन सहित डब्ल्यूएचओ से मान्यता प्राप्त दूसरी कोरोना वैक्सीन लगाए यात्रियों को खुद से आइसोलेट नहीं होना पड़ेगा; तो कोविशील्ड के पूरे टीके लगाने वाले लोगों में शामिल हो जाएँगे।'
More good news for 🇮🇳 travellers to 🇬🇧👇
— Alex Ellis (@AlexWEllis) November 8, 2021
From 22 November travellers fully vaccinated with a #COVID19 vaccine recognised by @WHO for Emergency Use Listing, including Covaxin, will not have to self-isolate; so joining those fully vaccinated with Covishield.https://t.co/UyJsryBd0O https://t.co/mZhaqRgB35
इंग्लैंड का यह क़दम तब आया है जब विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग सूची में शामिल किया है। कोवैक्सीन भारत में दूसरा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला टीका है। इससे पहले कोविशील्ड को पिछले महीने 11 अक्टूबर को ब्रिटेन की मंजूर की गई सूची में जोड़ा गया था। इससे पहले सितंबर महीने के तीसरे हफ़्ते में ब्रिटेन ने कहा था कि वह भारतीय वैक्सीन लगाए लोगों को 'बिना टीका लगाए हुए' मानेगा। जब उस पर सवाल उठे तो ब्रिटेन के अधिकारियों ने कहा था कि दिक्कत टीका में नहीं है, बल्कि कोरोना सर्टिफ़िकेट में है। बाद में इस पर भारत की तरफ़ से जबरदस्त आपत्ति की गई थी।
भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने कहा था कि कोविशील्ड को मान्यता नहीं देना एक भेदभावपूर्ण नीति है और यूके की यात्रा करने वाले हमारे नागरिकों को प्रभावित करती है। इस पर नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने एक लंबा-चौड़ा लेख लिखकर ब्रिटेन सरकार की तीखी आलोचना भी की थी। उन्होंने उस लेख का शीर्षक ही दिया था- स्मॉल माइंडेड ग्रेट ब्रिटेन' यानी 'संकुचित दिमाग़ का महान ब्रिटेन'।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया था, 'कोविशील्ड को मूल रूप से यूके में विकसित किया गया था और सीरम इंस्टीट्यूट पुणे ने उस देश को भी आपूर्ति की है, यह देखते हुए बिल्कुल विचित्र है! इससे नस्लभेद की बू आती है।'
बता दें कि अब कोवैक्सीन के अलावा चीन के सिनोवैक और सिनोफार्म दोनों डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची में शामिल हैं और इसलिए अब वे भी ब्रिटेन की यात्रा के लिए अनुमोदित टीकों के रूप में मान्यता प्राप्त होंगी।
इसके अलावा ब्रिटेन सरकार ने इंग्लैंड आने वाले सभी अंडर-18 के लिए यात्रा नियमों को भी सरल बनाया है। उन्हें अब सीमा पर पूरी तरह से टीकाकरण के रूप में माना जाएगा और आगमन पर प्रस्थान से पहले के टेस्ट व आठवें दिन के टेस्ट और सेल्फ़ आइसोलेशन से छूट दी जाएगी। उन्हें आगमन के बाद केवल एक टेस्ट से गुजरना होगा और रिपोर्ट पॉजिटिव होने पर पीसीआर टेस्ट कराना होगा।
बता दें कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को इसी महीने डब्ल्यूएचओ से मान्यता मिली है। डब्ल्यूएचओ ने 3 नवंबर को ही कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग सूची यानी ईयूएल के लिए मंजूरी दी है।
डब्ल्यूएचओ से अब इसे मंजूरी मिलने के बाद दुनिया भर के कई देशों में इस वैक्सीन को मान्य माना जा सकता है और इस कारण लाखों भारतीयों- छात्र, कामकाजी पेशेवर और अन्य लोगों- को विदेश की यात्रा में सहूलियत होगी। ऐसे लोगों को अब क्वारंटीन जैसे नियमों से छूट मिल सकेगी। ऐसे लोग इस ख़बर का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे कि कोवैक्सीन अन्य देशों द्वारा स्वीकार किया जाए।