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ट्रंप का एक और पागलपन, कोरोना दवा रेमडेसिविर को हथियाने की कोशिश

ट्रंप का एक और पागलपन, कोरोना दवा रेमडेसिविर को हथियाने की कोशिश

पहले कोरोना दवाओं की डकैती के आरोप लगे थे और अब एक तरह से दवा की जमाखोरी का आरोप लगा है। यह आरोप उत्तर कोरिया जैसे किसी दुश्मन देश ने नहीं, बल्कि इंग्लैंड जैसे देश ने लगाया है। 

लगता है कि डोनल्ड ट्रंप अमेरिकी लोगों के लिए कोरोना दवा के लिए कुछ भी कर गुज़रने को तत्पर हैं। पहले कोरोना मेडिकल उपकरणों की डकैती के आरोप लगे थे और अब एक तरह से दवा की जमाखोरी का आरोप लगा है। यह आरोप उत्तर कोरिया जैसे किसी दुश्मन देश ने नहीं, बल्कि इंग्लैंड जैसे समर्थक देश ने ही लगाया है। व्यापार मंत्री नादिम ज़हावी ने अमेरिका पर निशाना साधा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने फार्मा दिग्गज गिलियड के साथ अगले तीन महीनों के लिए रेमडेसिविर के लगभग पूरे उत्पादन को खरीदने के लिए एक सौदा किया है। इसका मतबल है कि दुनिया के दूसरे देशों को तीन महीनों तक यह दवा नहीं मिल पाएगी। 

इसी बात को लेकर ब्रिटिश सरकार ने चेताया है कि डोनल्ड ट्रम्प ने कोविड-19 के उपचार के लिए दुनिया की आपूर्ति की दवा को खरीदकर वैश्विक सहयोग को जोखिम में डाल दिया है। ब्रिटिश सरकार ने प्रतिस्पर्धा के बजाय देशों और ड्रग्स फर्मों की सहयोग करने की ज़रूरत वाले मंत्री के इस बयान का समर्थन किया है। 

ट्रंप ने ऐसी ही जल्दबाज़ी तब भी दिखाई थी जब कोरोना के इलाज के लिए रेमडेसिविर या स्टेरॉयड डेक्सामेथासोन का पता नहीं चला था और तब मलेरिया में इस्तेमाल की जाने वाली दवा क्लोरोक्वीन का इस्तेमाल किया जा रहा था। इसके लिए ट्रंप ने भारत को धमकी तक दे दी थी। जब भारत ने हरी झंडी दिखाई तब उन्होंने बड़ी मात्रा में दवा इकट्ठी कर ली थी। 

इसी बीच कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में इस्तेमाल होने वाले मेडिकल उपकरणों की डकैती का मामला सामने आया था। हो सकता है आपको यह पढ़ कर हैरानी हो और यकीन न आये, लेकिन ब्रिटेन के एक मशहूर अख़बार ‘द इंडपेंडेंट’ ने अप्रैल महीने में इस बारे में एक ख़बर छापी थी। उसके मुताबिक़, अमेरिका ने फ़्रांस और जर्मनी जा रहे कोरोना से लड़ने के लिये ज़रूरी मेडिकल सामान रास्ते में ही लूट लिया।

रिपोर्ट के अनुसार, दो महीने पहले अमेरिका ने मास्क और दूसरे पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपटमेंट लेने के लिए इन देशों पर दबाव नहीं बनाया, बल्कि चोरी कराई और मेडिकल सामान को बीच में ही गायब करवा दिया।

इसी अख़बार के अनुसार 3 अप्रैल को चीन से जर्मनी जा रहा एक कनसाइनमेंट थाईलैंड के हवाई अड्डे पर उड़ा लिया गया। इसमें दो लाख एन-65 मास्क थे। यह कनसाइनमेंट भी अमेरिका पहुँच गया। बर्लिन पुलिस ने इन मास्क का ऑर्डर दिया था।

रेमडेसिविर को कोरोनो वायरस के रोगियों के लिए एक संभावित उपचार के रूप में अमेरिका में अधिकृत किया गया है। हालाँकि अभी तक यह सिद्ध नहीं हो पाया है कि मृत्यु दर पर इसका प्रभाव पड़ता है या नहीं। कोरोना के उपचार के लिए रेमडेसिविर के अलावा केवल अन्य एनएचएस अनुमोदित दवा स्टेरॉयड डेक्सामेथासोन है।

अमेरिकी स्वास्थ्य सचिव एलेक्स आजा ने मंगलवार रात को घोषणा की थी कि 'राष्ट्रपति ट्रम्प ने दवा के 500,000 कोर्स खरीदने के लिए एक अद्भुत सौदा किया है। यह जुलाई के लिए गिलियड के 100% उत्पादन और अगस्त और सितंबर के लिए 90% उत्पादन के बराबर है।

रेमडेसिविर अब तक गिलियड द्वारा अन्य देशों को मुफ्त में दिया गया है, लेकिन यह सौदा समाप्त हो गया है और विकसित देशों से प्रति उपचार 320 पाउंड का शुल्क लिया जाएगा।

कोरोना से सबसे ज़्यादा अमेरिका प्रभावित

बता दें कि कोरोना संकट सिर्फ़ अमेरिका पर ही नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया इससे प्रभावित है। हालाँकि अमेरिका में संक्रमितों की संख्या सबसे ज़्यादा है। अमेरिका में संक्रमण के मामले 27 लाख से ज़्यादा हो गए हैं और 1 लाख 30 हज़ार से ज़्यादा मौतें हुई हैं। दूसरे देशों में भी संक्रमण तेज़ी से फैल रहा है। ब्राज़ील में 14 लाख से ज़्यादा संक्रमण के मामले आ गए हैं और 60 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई है। रूस में 6 लाख 60 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले हैं और 9600 से ज़्यादा मौतें हुई हैं। भारत में 6 लाख से ज़्यादा संक्रमण के मामले हैं और 17 हज़ार से ज़्यादा मौतें हुई हैं। इंग्लैंड में भी 3 लाख से ज़्यादा कोरोना पॉजिटिव आ चुके हैं और 43 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 

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