कोरोना प्राकृतिक आपदा घोषित हो, उद्धव की प्रधानमंत्री को चिट्ठी
कोरोना संक्रमण के गंभीर संकट से जूझ रहे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री मोदी से मांग की है कि कोरोना संक्रमण को प्राकृतिक आपदा घोषित किया जाए। उन्होंने यह भी कहा है कि प्रभावितों को व्यक्तिगत लाभ देने के लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष यानी एसडीआरएफ़ का उपयोग करने दिया जाए। उन्होंने इस संबंध में बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखी है। इससे एक दिन पहले ही उन्होंने राज्य में लॉकडाउन जैसी पाबंदियों की घोषणा करते हुए 5476 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है। यह पैकेज उन लोगों के लिए है जिनका काम-धंधा और व्यवसाय कोरोना और पाबंदियों की वजह से प्रभावित होगा।
बहरहाल, कोरोना आपदा तो है, लेकिन इसे प्राकृतिक आपदा घोषित नहीं किया गया है। ऐसा किए जाने पर प्रभावित लोगों को व्यक्तिगत लाभ दिया जा सकेगा।
महाराष्ट्र में धारा 144 लागू कर दी गई है। सड़कों पर लॉकडाउन जैसी स्थिति दिख रही है। ज़रूरी गतिविधियाँ ही सुचारू हैं यानी सामान्य काम-धंधे बंद हैं। इससे लोगों की रोज़ी-रोटी प्रभावित होगी। यह फ़ैसला कोरोना से लोगों की ज़िंदगियाँ बचाने के लिए लिया गया है। महाराष्ट्र में कोरोना काफ़ी तेज़ी से फैल रहा है। बुधवार को 58,952 नए मामले सामने आए हैं और 278 लोगों की मौत हुई है। बीते दिन संक्रमण का यह आंकड़ा 60,212 था और 281 लोगों की मौत हुई थी। महाराष्ट्र में एक्टिव मामलों की संख्या 6,12,070 है और यह आंकड़ा बहुत बड़ा हो गया है।
संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को कोरोना संक्रमण को लेकर बन रहे हालात पर राज्य के लोगों को संबोधित किया था और कुछ सख़्त कदम उठाने का एलान किया था।
ये नियम 14 अप्रैल यानी बुधवार की रात 8 बजे से लागू हो गए हैं और ये अगले 15 दिन के लिए रहेंगे। नए नियमों के तहत पूरे राज्य में धारा 144 लागू की गई और बिना ज़रूरत के आना-जाना बंद किया जा रहा है। महाराष्ट्र में दफ़्तर बंद रहेंगे, लोकल और बसों को बंद नहीं किया जा रहा है लेकिन ये सिर्फ़ अति आवश्यक सेवाओं में लगे लोगों के लिए ही चालू रहेंगी। इसके अलावा ऑटो, टैक्सी, बैंक, ई-कॉमर्स सेवाएँ चालू रहेंगी। होटल और रेस्तरां में बैठकर खाना नहीं खा पाएंगे और होम डिलीवरी और टेक अवे की ही सुविधा मिलेगी।
लोगों की रोज़ी-रोटी प्रभावित होने की आशंका के मद्देनज़र ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने मंगलवार को कहा था कि भूकंप, भारी वर्षा और बाढ़ के लिए प्राकृतिक आपदा की घोषणा की जाती है और प्रभावित लोगों को व्यक्तिगत लाभ दिया जाता है।
उद्धव ने कहा था, 'हम सभी ने इसे एक प्राकृतिक आपदा के रूप में स्वीकार किया है। इसलिए, हम पीएम से अनुरोध कर रहे हैं कि वे व्यक्तिगत लाभ दें जो प्राकृतिक आपदा में लोगों को दिए जाते हैं जिनकी आजीविका महामारी से प्रभावित हुई है।'
मुख्य सचिव सीताराम कुंते ने इसकी पुष्टि की कि उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, कुंते ने कहा, 'हालाँकि महामारी एक आपदा है, लेकिन इसे अभी भी प्राकृतिक आपदा के रूप में घोषित नहीं किया गया है। इसलिए मौजूदा प्रणाली के अनुसार व्यक्तिगत लाभ नहीं दिया जा सकता है।' उन्होंने कहा कि महामारी को प्राकृतिक आपदा मानना राष्ट्रीय स्तर पर लिया जाने वाला नीतिगत निर्णय है और केंद्र को इस पर क़दम उठाना होगा।
एसडीआरएफ़ को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत गठित किया गया था। यह अधिसूचित आपदाओं से निपटने के लिए राज्य सरकारों के पास उपलब्ध प्रमुख निधि है। रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार एसडीआरएफ़ आवंटन में 75 प्रतिशत का योगदान देती है, जबकि शेष 25 प्रतिशत महाराष्ट्र का योगदान है। एक अधिकारी के हवाले से अख़बार की रिपोर्ट में कहा गया है कि एसडीआरएफ़ में क़रीब 4,200 करोड़ रुपये हैं।
रिपोर्ट के अनुसार एसडीआरएफ़ फंड का इस्तेमाल कोविड सेंटर, ऑक्सीज़न व दवा खरीदने जैसे काम में किया जा रहा है, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर लाभ नहीं दिया जा रहा है।