नपुंसक नहीं हूँ, मजबूर किया तो हाथ धोके पीछे पड़ूंगा: ठाकरे
विरोधियों के हमले से उद्धव ठाकरे ग़ुस्से में हैं। उन्होंने चेताया है कि यदि उन्होंने ऐसे हमले जारी रखे तो वह हाथ धोकर पीछे पड़ जाएँगे। उनकी यह प्रतिक्रया तब आई है जब इसी हफ़्ते शिवसेना के एक विधायक के घर छापा पड़ा है। सुशांत सिंह राजपूत मामले में उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे को निशाना बनाया गया। कोरोना को लेकर लगातार निशाना बनाया जा रहा है। लगातार ऐसी रिपोर्टें आ रही हैं कि उनकी सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया जा रहा है।
उद्धव ठाकरे का यह बयान शिवसेना का मुखपत्र सामना में छपा है। दरअसल, सामना ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का साक्षात्कार छापा है। संजय राउत ने यह साक्षात्कार लिया है। महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार के एक साल पूरे होने पर राउत ने विभिन्न मुद्दों पर ठाकरे से सवाल किए हैं।
साक्षात्कार में उनके बयान से लगता है कि वह अपने ख़िलाफ़ ऐसी कार्रवाइयों को शिवसेना सरकार को अस्थिर किए जाने के प्रयास के तौर पर देखते हैं। उद्धव ठाकरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ़ इशारा कर कहते हैं, 'यदि आप सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं तो याद रखें कि सत्ता हमेशा के लिए नहीं रहती है। उन्हें भी अतीत में केसों का सामना करना पड़ा था और शिवसेना सुप्रीमो (बाल ठाकरे) ने उन्हें बचाया था।'
इसलिए उद्धव चेतावनी देते हैं। वह कहते हैं, 'मैं शांत हूँ लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं नपुंसक हूँ। परिवार पर हमला करना हमारी संस्कृति नहीं है। ऐसी ही हिंदुत्व की संस्कृति भी है। यदि आप हमारे परिवारों और बच्चों को निशाना बना रहे हैं तो उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि उनके भी परिवार और बच्चे हैं। वे दुध के धुले नहीं हैं। अगर हम फ़ैसला करते हैं तो हम जानते हैं कि उनकी खिचड़ी कैसे पकानी है।'
संजय राउत एक सवाल करते हैं कि विपक्ष दावा करता है कि आप भाषणों में लोगों से हाथ धोने की बात कहने के अलावा कुछ नहीं करते हैं। इस पर उद्धव ठाकरे कहते हैं,
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मैं अभी सिर्फ़ लोगों को हाथ धोने के लिए कह रहा हूँ। यदि वे (विपक्षी नेता) हम पर हमले करना जारी रखते हैं तो हाथ धोके पीछे पड़ूंगा।
उद्धव ठाकरे
आर्किटेक्ट अन्वय नाइक की मौत और अर्णब गोस्वामी से जुड़े एक सवाल के जवाब में ठाकरे ने कहा, 'एक मराठी व्यापारी को बाहरी लोगों ने धोखा दिया। उसने आत्महत्या कर ली और एक नोट लिखा। आप मामले को कालीन के नीचे छुपाते हैं और जो लोग फिर से जाँच की माँग करते हैं, आप ईडी को उनके पीछे लगा देते हैं। आप चाहते हैं कि हम आँखें मूंद लें'
बता दें कि ईडी ने इसी हफ़्ते महाराष्ट्र में शिव सेना के विधायक प्रताप सरनाइक के घरों और दफ़्तरों पर छापे मारे हैं। इस छापे की कार्रवाई को लेकर दो कयास लगाए जा रहे हैं। पहला, आर्किटेक्ट अन्वय नाइक और उनकी मां की आत्महत्या के मामले में गिरफ़्तार पत्रकार अर्णब गोस्वामी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई थी। और दूसरा, यह शिवसेना के विधायकों को डराकर सरकार को अस्थिर करने का एक प्रयास है।
वैसे, सुशांत सिंह राजपूत मामले में भी उद्धव ठाकरे परिवार के लोगों का नाम आने को लेकर भी मुख्यमंत्री ने बयान दिया। उन्होंने कहा, 'मैं पूरे मामले को अफ़सोस के साथ देखता हूँ। यह मृतकों से लाभ लेने की प्रवृत्ति है। ऐसे लोग किसी काम के नहीं हैं। एक युवा लड़के ने अपनी जान गँवा दी और वे इसका राजनीतिकरण कर रहे हैं। यह गंदी और विकृत राजनीति है।'
यह पूछे जाने पर कि जब सुशांत सिंह राजपूत मामले में उनके परिवार को निशाना बनाया गया तो उन्हें कैसा लगा, शिवसेना प्रमुख ने कहा,
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जिनके परिवार और बच्चे हैं, उन्हें एक बार आईने में देखना चाहिए। हमें वह क़दम उठाने के लिए मजबूर न करें। अगर मैं तुम्हारे पीछे पड़ना शुरू कर दूँ तो...। मैं एक विकृत व्यक्ति नहीं होना चाहता!
उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे ने लव जिहाद और गो हत्या क़ानून को लेकर भी बीजेपी की आलोचना की। संजय राउत से ठाकरे ने कहा, 'लव जिहाद की राजनीति के बजाय, लव जिहाद की अवधारणा राजनीति में लागू क्यों नहीं होनी चाहिए वे एक मुसलिम लड़के से हिंदू लड़की की शादी करने के विरोध में हैं। फिर आपने महबूबा मुफ्ती या नीतीश कुमार या चंद्रबाबू नायडू के साथ गठबंधन कैसे किया विभिन्न राजनीतिक दलों और अलग-अलग विचारधारा वाले गठबंधन आपके काम के हैं, क्या यह लव जिहाद नहीं है'
इस सवाल पर कि क्या वह लव जिहाद पर क़ानून बनाएँगे, उद्धव ठाकरे ने कहा, 'अगर आप चाहते हैं तो हम करेंगे। हाँ साहब, इस पर एक क़ानून बनाइए, लेकिन पहले हमें बताइए कि कब आप (केंद्र सरकार) गौहत्या विरोधी क़ानून लाएँगे, कब आप इसे कश्मीर से कन्याकुमारी तक लाएँगे'
उद्धव पूछते हैं कि चूँकि केंद्र सरकार ने कश्मीर में प्रतिबंध हटा लिए हैं, गोवा या उत्तर पूर्वी राज्य जहाँ बीजेपी की सरकार है, क्या वह गौहत्या विरोधी क़ानून लाएगी वह कहते हैं कि इसे सिर्फ़ जिन राज्यों में चुनाव होते हैं वहाँ मुद्दा बनाया जाता है कि क़ानून लाया जाएगा सिर्फ़ वोट पाने के लिए।