+
शिवसेना पर नियंत्रण किसका? ठाकरे ने पार्टी से कई नेताओं को निकाला

शिवसेना पर नियंत्रण किसका? ठाकरे ने पार्टी से कई नेताओं को निकाला

शिवसेना पर वास्तविक नियंत्रण किसका? यह लड़ाई आज तब और बढ़ गई जब उद्धव ठाकरे टीम ने कुछ नेताओं को पार्टी से निकाला तो एकनाथ शिंदे खेमे ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी भंग कर दी। जानिए दोनों खेमों ने आज क्या क्या फ़ैसले लिए।

शिवसेना पर नियंत्रण के लिए उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच जारी जंग के बीच आज ठाकरे ने पार्टी के कई नेताओं पर कार्रवाई की है। उन्होंने पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए कई प्रमुख नेताओं को बर्खास्त कर दिया है। जिन नेताओं को उद्धव ठाकरे ने हटाया उन्हें अब एकनाथ शिंदे ने अपने खेमे में शामिल कर लिया है। इसके अलावा ठाकरे ने दर्जनों नये पदाधिकारियों की नियुक्ति की है। 

ठाकरे ने ठाणे, पालघर, अमरावती और यवतमाल जिलों में 100 से अधिक नए पदाधिकारियों की नियुक्ति की है। नए पदाधिकारी दूसरे पायदान के नेता हैं जिन्हें बागियों द्वारा छोड़े गए रिक्त पदों पर पदोन्नत किया गया है।

इधर, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना की पुरानी राष्ट्रीय कार्यकारिणी को बर्खास्त कर दिया है और नई कार्यकारिणी की घोषणा कर दी है। नई कार्यकारणी में एकनाथ शिंदे की मुख्य नेता के तौर पर नियुक्ति की गई है। इसके साथ ही पुरानी कार्यकारिणी में जितने भी लोग पदों पर थे उन सभी को बर्खास्त कर दिया गया है। विधायक दीपक केसरकर को नई कार्यकारिणी में प्रवक्ता की ज़िम्मेदारी दी गई है। नई कार्यकारणी बनाने के बाद से उद्धव ठाकरे की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

आज जैसे ही राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान ख़त्म हुआ उसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने 40 विधायकों के साथ एक पांच सितारा होटल में पहुंच गए। इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की जानकारी किसी को भी नहीं थी। 

इस बीच दिल्ली में राष्ट्रपति चुनाव के लिए चुनाव में शामिल होने के लिए शिवसेना के सांसद दिल्ली पहुंचे हुए थे। 19 सांसदों में से 12 सांसद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल हुए। बताया जा रहा है कि शिवसेना से अलग होकर 40 विधायकों और 12 सांसदों ने सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को नई कार्यकारिणी का प्रमुख नेता चुन लिया।

टीम ठाकरे ने भी 25 जून को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की थी जिसमें टीम ठाकरे ने छह महत्वपूर्ण प्रस्तावों को पारित किया था। इसमें उद्धव ठाकरे को सेना प्रमुख के रूप में पुष्टि की गई थी और उन्हें पार्टी के सभी निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया गया था।

बहरहाल, अब तक टीम ठाकरे ने पूर्व मंत्री विजय शिवतारे, हिंगोली के जिलाध्यक्ष पद से बर्खास्त किए गए विधायक संतोष बांगर, ठाणे के जिला प्रमुख नरेश म्हस्के को बर्खास्त कर दिया है। पहले वाले को छोड़कर दोनों नेताओं को शिंदे खेमे ने अपने में शामिल कर लिया है।

एकनाथ शिंदे द्वारा बगावत किए जाने के बाद महाराष्ट्र में भारी राजनीतिक तूफान पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई से पहले टीम ठाकरे ने यह छँटनी की है। बुधवार को शीर्ष अदालत विधायकों की अयोग्यता पर दोनों पक्षों की याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

पार्टी के 55 विधायकों में से 53 किसी न किसी पक्ष की अयोग्यता सूची में हैं। ठाकरे ने दावा किया है कि शिंदे सहित शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें