प्रधानमंत्री से मिल उद्धव ने उठाया मराठा आरक्षण का मुद्दा
मराठा आरक्षण के सवाल को लेकर उलझन में फँसी महाराष्ट्र सरकार के मुखिया उद्धव ठाकरे ने दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाक़ात कर मराठा आरक्षण सहित कई मुद्दों को उठाया। उनके साथ सत्ताधारी गठबंधन के कई मंत्री भी शामिल थे। मुख्य मुद्दा वही मराठा आरक्षण का रहा जिसे पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। हालाँकि, इसके अलावा जीएसटी के बकाए और ताउते तूफ़ान से हुए नुक़सान के लिए राहत पैकेज का मुद्दा भी उठाया गया।
लेकिन इन मुद्दों में सबसे अहम मराठा आरक्षण का मुद्दा ही उस प्रतिनिधिमंडल के सामने रहा। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर इसकी जानकारी भी दी है।
CM Uddhav Balasaheb Thackeray met with the Hon’ble Prime Minister Shri Narendra Modi today along with Deputy CM Ajit Pawar & Minister Ashok Chavan. pic.twitter.com/TLbTrwEKeH
— CMO Maharashtra (@CMOMaharashtra) June 8, 2021
मराठा आरक्षण का मुद्दा काफ़ी अहम है। यह इसलिए कि यह मसला सीधे वोट बैंक से जुड़ा है। सरकार पर दबाव है कि वह मराठा आरक्षण को लेकर कोई बड़ा क़दम उठाए, नहीं तो महाराष्ट्र का मराठा वोट बैंक खिसक सकता है।
मराठा आरक्षण पर सरकार की ओर से कुछ नहीं किए जाने पर सबसे ज़्यादा परेशानी शायद सरकार में शामिल एनसीपी के सामने होगी। अगर मराठा आरक्षण के सवाल पर सरकार ने कुछ नहीं किया तो फिर सबसे ज़्यादा नुक़सान उसी को होने की आशंका है क्योंकि पश्चिम महाराष्ट्र में सबसे ज़्यादा मराठा हैं और एनसीपी का गढ़ भी वही है। सरकार में शामिल कांग्रेस के मराठा नेता भी परेशान हैं। मराठवाड़ा से आने वाले न तो कांग्रेस नेता और न ही शिवसेना के नेता चाहेंगे कि उन्हें मराठा समुदाय के लोगों की नाराज़गी झेलनी पड़े।
इस राजनीतिक हालात के बीच ही गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने सोमवार को कहा था कि मंगलवार को एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मुलाक़ात करेगा।
इस प्रतिनिधिमंडल में मुख्यमंत्री के अलावा उप मुख्यमंत्री अजीत पवार, पीडब्ल्यूडी मंत्री और मराठा कोटा पर कैबिनेट उप-समिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण आदि शामिल थे। वलसे पाटिल ने पहले ही कह दिया था कि मराठा आरक्षण, ओबीसी आरक्षण, ताउते तूफ़ान से प्रभावितों के लिए राहत पैकेज, जीएसटी के बकाए जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। प्रधानमंत्री के साथ प्रतिनिधिमंडल के साथ होने वाली मुलाक़ात से पहले सोमवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाक़ात की थी।
हालाँकि, मुख्यमंत्री ठाकरे कोरोना को लेकर प्रधानमंत्री से कई बार बातचीत कर चुके हैं, लेकिन प्रतिनिधिमंडल के साथ यह मुलाक़ात शायद पहली बार है। यानी यह मुलाक़ात इसलिए ख़ास थी क्योंकि मराठा आरक्षण का मसला जुड़ा है।
बता दें कि 5 मई को सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) अधिनियम, 2018 के लिए महाराष्ट्र राज्य आरक्षण को रद्द कर दिया था, जो सार्वजनिक शिक्षा और रोज़गार में मराठा समुदाय को आरक्षण देता था। जयश्री लक्ष्मणराव पाटिल बनाम मुख्यमंत्री मामले में कोर्ट ने कहा कि इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ के 1992 के फ़ैसले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित आरक्षण पर 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण देने के लिए कोई असाधारण परिस्थिति नहीं बनी हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ‘2018 अधिनियम 2019 में संशोधन के अनुसार मराठा समुदाय के लिए आरक्षण देने से 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को पार करने के लिए कोई असाधारण स्थिति नहीं है।’ अदालत ने कहा कि 2018 का अधिनियम समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है और 50 प्रतिशत से अधिक की सीमा स्पष्ट रूप से संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करती है। कोर्ट ने यह भी फ़ैसला सुनाया कि इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ में फ़ैसले को बड़ी बेंच को नहीं भेजा जाना चाहिए। क्योंकि इंदिरा साहनी मामले में निर्धारित आरक्षण पर 50 प्रतिशत सीलिंग एक अच्छा क़ानून है।