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'आज़ादी की लड़ाई में शामिल नहीं था संघ, बीजेपी हमें हिंदुत्व ना सिखाए'

'आज़ादी की लड़ाई में शामिल नहीं था संघ, बीजेपी हमें हिंदुत्व ना सिखाए'

लंबे वक़्त तक साथ रहे और हिंदुत्व की राजनीति करते रहे बीजेपी और शिव सेना के बीच अब आए दिन तलवारें खिंचना आम बात हो गई है।

लंबे वक़्त तक साथ रहे और हिंदुत्व की राजनीति करते रहे बीजेपी और शिव सेना के बीच अब आए दिन तलवारें खिंचना आम बात हो गई है। शिव सेना कई बार कह चुकी है कि बीजेपी उसे हिंदुत्व पर भाषण न दे। शिव सेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर बीजेपी के नट बोल्ट कसे हैं। 

उद्धव ने बुधवार को विधानसभा में कहा, “बीजेपी एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने को लेकर शिव सेना पर हिंदुत्व को त्याग देने का आरोप लगाती है लेकिन जब आपने कश्मीर में अलगाववादियों के साथ सरकार बनाई, तब आपका हिंदुत्व भ्रष्ट नहीं हुआ था। आप हमें हिंदुत्व मत सिखाइए।” उन्होंने सवाल पूछा कि अब तक कितने विस्थापित कश्मीरी पंडितों को घाटी में बसाया गया है। 

आरएसएस पर बोला हमला 

मुख्यमंत्री ने आरएसएस पर भी हमला बोला और कहा कि शिव सेना तो भारत की आज़ादी के संघर्ष के दौरान नहीं थी लेकिन बीजेपी का मातृ संगठन भी इस लड़ाई में शामिल नहीं था। उन्होंने कहा, “भारत माता की जय कहने से आपका देश से प्यार साबित नहीं होता। आपको भारत माता की जय बोलने का कोई अधिकार नहीं है, अगर आप लोगों के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं और किसानों को आंदोलन करने के लिए मज़बूर कर रहे हैं।”

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औरंगाबाद का नाम बदलेंगे

किसानों के लिए दिल्ली के बॉर्डर्स पर कंटीले तार लगाए जाने को लेकर उद्धव ने कहा कि अगर ऐसे इंतजाम सीमा पर किए गए होते तो चीन हमारी सीमा में घुसपैठ नहीं कर पाता। ठाकरे ने कहा कि औरंगाबाद का नाम हर हाल में बदला जाएगा। शिव सेना लंबे वक़्त से औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर रखे जाने की मांग करती रही है। 

सामना में भी बीजेपी निशाने पर 

सामना के ताज़ा संपादकीय में भी बीजेपी पर जमकर हमला बोला गया है। संपादकीय में लिखा गया है, “हमारे देश में गत चार-पांच वर्षों से ‘देशभक्ति’ और ‘देशद्रोह’ की नई व्याख्या स्थापित कर दी गई है। मोदी सरकार का समर्थन करना देशभक्ति और विरोध व्यक्त करना देशद्रोह! यह ‘नवदेशद्रोह’ का स्टैंप अब तक कई लोगों पर लग चुका है और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और फारुक़ अब्दुल्ला भी उन्हीं में से एक हैं।” 

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सरकार के कान छेद दिए 

सामना में लिखा है कि फारुक़ अब्दुल्ला को भी ‘देशद्रोही’ साबित करने का प्रयास हुआ लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार के कान छेद दिए हैं। ग़ौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि ‘सरकार का जो मत है, उससे अलग मत व्यक्त करना राजद्रोह नहीं है।’ 

मुखपत्र में लिखा गया है कि दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन करने वाले किसानों को भी देशद्रोही और खालिस्तानी साबित करने का प्रयास हुआ और इस आंदोलन का समर्थन करने वाले राजनीतिक और गैर राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं को देशद्रोही तथा अर्बन नक्सलवादी साबित किया गया। 

आगे दिशा रवि की गिरफ़्तारी और राजदीप सरदेसाई सहित कुछ वरिष्ठ पत्रकारों पर राजद्रोह की धारा लगाने का भी जिक्र किया गया है। संपादकीय कहता है कि उससे पहले नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वालों को पाकिस्तान प्रेमी और देश विरोधी साबित किया गया। 

शिव सेना ने कहा है कि विरोधी आवाज़ों को दबाने के लिए सत्ताधीशों की ओर से सीबीआई और ईडी को पीछे लगाया जा रहा है। इसके अलावा चुनाव आयोग और न्यायालय जैसी सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्थाओं पर सरकार का दबाव है, ऐसी तसवीर दिख रही है।

कोश्यारी को नहीं दिया था हेलिकॉप्टर 

कुछ दिन पहले उद्धव ने तीखे तेवर दिखाए थे जब ठाकरे सरकार ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सरकार का हेलिकॉप्टर इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी थी। कोश्यारी मुंबई के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंच भी गए थे लेकिन इजाजत न मिलने पर उन्हें कॉमर्शियल फ्लाइट से जाना पड़ा था। 

बंगाल में चुनाव नहीं लड़ेगी शिव सेना

शिव सेना ने गुरूवार को ही एलान किया है कि वह पश्चिम बंगाल में विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेगी। पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने कहा है कि बंगाल में ‘ममता बनाम ऑल’ की लड़ाई हो रही है और ममता दीदी के ख़िलाफ़ पैसा, ताक़त और मीडिया तीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसलिए शिव सेना ने फ़ैसला लिया है कि वह ममता बनर्जी के साथ खड़ी रहेगी और उन्हें बड़ी जीत मिलने की उम्मीद करती है। शिव सेना ने ममता बनर्जी को बंगाल की असली शेरनी कहा है। 

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