महाराष्ट्र में ‘लॉकडाउन’, राज्य सरकार का 5476 करोड़ का पैकेज
कोरोना के बढ़ते संकट को लेकर महाराष्ट्र में पंद्रह दिन का ‘लॉकडाउन’ घोषित किया गया है। आज रात 8 बजे से लोगों की आवाजाही और कामकाज पर लॉकडाउन जैसी कठोर पाबंदियाँ लागू हो जाएँगी। प्रदेश भर में धारा 144 लागू कर दी गयी है। ये पाबंदियाँ 1 मई तक जारी रहेंगी। इन पाबंदियों के तहत अत्यावश्यक सेवाओं को छोड़ बाक़ी सभी गतिविधियों पर पाबंदी रहेगी। लोकल ट्रेन और सार्वजनिक परिवहन की बस सेवाएँ, टैक्सी व ऑटो रिक्शा शुरू रहेंगे लेकिन उनमें अत्यावश्यक सेवाओं से जुड़े लोग या उनका सीमित उपयोग ही किया जा सकेगा। होटल और रेस्तराँ बंद रहेंगे लेकिन उनमें टेक अवे या होम डिलीवरी की सेवा जारी रहेगी।
कठोर नियमावलियों के साथ-साथ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 5476 करोड़ रुपये के निर्धारित पैकेज की भी घोषणा की। इस पैकेज के माध्यम से क़रीब 1 करोड़ 1 लाख श्रमिकों व आदिवासी परिवारों को प्रत्यक्ष आर्थिक मदद दी जाएगी। राज्य सरकार के इस पैकेज में ग़रीब व श्रमिक वर्ग का काफ़ी ध्यान रखा गया है।
पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अचानक घोषित किये गए लॉकडाउन की सबसे ज़्यादा मार श्रमिकों और ग़रीब वर्ग को झेलनी पड़ी थी और मुंबई से बड़े पैमाने पर श्रमिकों का पलायन हुआ था। पलायन करने वाले श्रमिकों में प्रवासियों के साथ-साथ महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और विदर्भ के श्रमिकों की भी बड़ी संख्या थी। मुख्यमंत्री ठाकरे द्वारा घोषित पैकेज में प्रदेश सरकार के निर्माण कार्य श्रमिक कल्याण योजना के तहत पंजीकृत 12 लाख श्रमिकों, 25 लाख घरेलू श्रमिकों में से प्रत्येक को 1500 का आर्थिक अनुदान दिया जाएगा। पाँच लाख फेरीवालों तथा 12 लाख रिक्शा चालकों के खातों में सीधे पंद्रह-पंद्रह सौ रुपये हस्तांतरित किये जाएँगे। प्रदेश के 12 लाख आदिवासी परिवारों को प्रति परिवार 2000 रुपये की आर्थिक मदद की जाएगी।
प्रदेश में पाँच पेंशन योजनाएँ (संजय गांधी निराधार योजना, इंदिरा गांधी वृद्धावस्था पेंशन, इंदिरा गांधी विधवा पेंशन, इंदिरा गांधी दिव्यांग पेंशन व श्रावण बाल पेंशन) के 35 लाख लाभार्थियों को दो महीने की 2 हजार रुपये की अग्रिम पेंशन आर्थिक सहायता के रूप में दी जाएगी। इसके अलावा शिव भोजन थाली योजना के तहत हर दिन प्रदेश में दो लाख लोगों को एक महीने तक निशुल्क भोजन कराया जाएगा। यही नहीं, अन्न सुरक्षा योजना के सात करोड़ लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति 3 किलो गेहूं व 2 किलो चावल एक महीने निशुल्क दिया जाएगा। पैकेज में 3300 करोड़ रुपये का प्रावधान कोरोना के इलाज, उपकरण खरीद, सुविधाएँ विकसित करने व अन्य व्यवस्थापन के लिए किया गया है।
जैसा कि पिछले कई दिनों से कयास लगाए जा रहे थे कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कभी भी लॉकडाउन घोषित कर सकते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री ने इसे लॉकडाउन का नाम नहीं देते हुए ‘कठोर पाबंदियाँ’ बताया।
उन्होंने कहा कि इस तरह की पाबंदियाँ लगाने में सरकार को कोई आनंद नहीं आता। यह लोगों की जान बचाने और उन्हें कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए किया जा रहा है, इसलिए इसमें जनता का सहयोग बहुत ज़रूरी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले साल की तरह अचानक लॉकडाउन घोषित किये जाने से जिस तरह की अफरा तफरी मची थी, उससे बचने के लिए इस बार विशेष ध्यान दिया गया। पहले लोगों को इशारा दिया गया कि कोरोना के मामले बढ़ेंगे तो लॉकडाउन लग सकता है। इसके बाद वीकेंड लॉकडाउन लगाया गया और उसके बाद उसकी अवधि बढ़ा दी गयी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में क़रीब 1200 टन ऑक्सीजन गैस का उत्पादन होता है। इस ऑक्सीजन का उपयोग कोरोना मरीज़ों के लिए ही हो रहा है। इसके अलावा भी ऑक्सीजन अन्य प्रदेशों से मांगी जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को इस आशय में पत्र लिखा गया है और आग्रह किया गया है कि वायुसेना के विमानों की मदद से यह ऑक्सीजन महाराष्ट्र में भिजवाई जाए ताकि समय रहते मरीजों को प्रदान की जा सके।
कोरोना से लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही रेमडेसिविर की क़रीब पचास हजार डोज प्रतिदिन महाराष्ट्र में लग रही है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि इस दवा का निर्माण करने वाली कंपनियों से इसकी आपूर्ति बढ़ाने की बात की जा चुकी है और इसका उत्पादन बढ़ा दिया गया है। ठाकरे ने कहा कि कोरोना की इस नई लहर का संकट पहले से कहीं अधिक नज़र आ रहा है। वर्तमान में प्रतिदिन क़रीब साठ हज़ार मरीज़ आ रहे हैं। कोविड मरीजों के आइसोलेशन बेड क़रीब 80 प्रतिशत भर चुके हैं। क़रीब 68 हज़ार ऑक्सीजन बेड हैं जिनमें से 43 प्रतिशत भरे हुए हैं। 20 हज़ार 682 आईसीयू बेड हैं जो 79 फ़ीसदी भरे जा चुके हैं। उपलब्ध वेन्टीलेटरों में से 33.97 फ़ीसदी लगाए जा चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चिकित्सालयों पर मरीजों का दबाव तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। मरीजों के दुगना होने की समयावधि अब घटकर 40 दिन हो गयी है।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि संकट कठिन है इसलिए चिकित्सा सुविधाओं को बढ़ाने के साथ-साथ नागरिकों पर अंकुश लगाने की भी ज़रूरत है और इसी के तहत नयी पाबंदियाँ लगाई जा रही हैं।
क्या खुला रहेगा, क्या बंद होगा?
चिकित्सालय, जाँच केंद्र, क्लिनिक, टीकाकरण, मेडिकल इंश्योरेंस के कार्यालय, दवा की दुकानें, दवा कंपनियाँ, दवा के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराने वाले क़ारोबार, दवाओं के वितरक, डीलर, आपूर्ति में लगने वाले वाहन, मास्क, सैनिटाइजर, स्वास्थ्य सेवा और उनसे संबंधित सुविधाएं जारी रहेंगी। पशु चिकित्सालय, पशुओं के तबेले, गौशाला, पशुओं के खाद्यान्न की दुकानें खुली रहेंगी। अनाज, सब्जी, फल, दूध, बेकरी, मिठाई व सभी प्रकार के खान पान की दुकानें खुली रहेंगी। रेस्तराँ और बार सुबह 7 से रात 8 बजे तक खुले रहेंगे लेकिन केवल पार्सल या होम डिलीवरी सेवा के साथ। कोल्ड स्टोरेज सेवा जारी रहेगी। विदेशी वाणिज्यिक दूतावास खुले रहेंगे। रिज़र्व बैंक और बैंक, शेयर बाजार, सेबी की पंजीकृत सभी डिपॉजिटरीज, क्लियरिंग कॉर्पोरेशन खुले रहेंगे। आयात निर्यात से सम्बंधित कामकाज जारी रहेगा।
बीज, खाद, औजार और कृषि के काम जारी रहेंगे। पेट्रोल पंप, गैस, सरकारी और निजी सुरक्षा सेवाएँ खुली रहेंगी। स्थानीय निकाय संस्थाओं के मानसून पूर्व कार्य जारी रहेंगे। भवन निर्माण से जुड़ी सभी साइट शुरू रह सकती हैं यदि वहाँ श्रमिक रहते हैं तो।
सिनेमा गृह, नाट्य गृह, मॉल, शॉपिंग सेंटर, सभी धार्मिक व प्रार्थना स्थल बंद रहेंगे। सैलून, ब्यूटी पार्लर, स्पा, स्कूल, कॉलेज, धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम बंद रहेंगे।