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यूसीसीः पीएम मोदी के बयान पर मुस्लिम बोर्ड ने की इमरजेंसी बैठक

यूसीसीः पीएम मोदी के बयान पर मुस्लिम बोर्ड ने की इमरजेंसी बैठक

प्रधानमंत्री मोदी ने कल मंगलवार को भोपाल में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मुद्दा उठाया था। विपक्ष ने इसकी आलोचना तो की ही लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी इस पर बैठक कर विचार किया।

प्रधानमंत्री मोदी का समान नागरिक संहिता (यूसीसी) कानून का मुद्दा उठाने पर विपक्षी दलों ने जहां तीखी प्रतिक्रिया दी है, वहीं  ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मंगलवार देर रात इस मुद्दे पर विचार के लिए अपनी इमरजेंसी बैठक बुला ली। प्रधानमंत्री मोदी ने कल मंगलवार को भोपाल में यूसीसी का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि जब देश एक है तो दो कानून यहां कैसे चल सकते हैं। उन्होंने तीन तलाक का मामला भी छेड़ा और कहा, तमाम मुस्लिम देश इसे खत्म कर चुके हैं। मध्य प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में जल्द ही विधानसभा चुनाव हैं, इसलिए इन दोनों मुद्दों को उठाने का मतलब समझा जा सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने भोपाल में यूसीसी की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि संविधान में भी सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों का उल्लेख है। पीएम मोदी ने कहा कि बीजेपी ने फैसला किया है कि वह तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति का रास्ता नहीं अपनाएगी और आरोप लगाया कि विपक्ष यूसीसी के मुद्दे का इस्तेमाल मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने और भड़काने के लिए कर रहा है। हालांकि यूसीसी का मुद्दा विपक्ष ने नहीं बल्कि पीएम मोदी ने छेड़ा है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) व्यापक कानूनों के एक समूह को संदर्भित करती है जो देश में सभी पर लागू होता है। धर्म-आधारित व्यक्तिगत कानूनों, विरासत, गोद लेने और उत्तराधिकार के नियमों की जगह फिर यूसीसी के नियम लागू हो जाते हैं। 

मुस्लिम लॉ बोर्ड की बैठक वर्चुअली हुई और करीब तीन घंटे तक चली। उन्होंने पीएम मोदी की टिप्पणियों के साथ-साथ यूसीसी के कानूनी पहलुओं पर भी चर्चा की।बोर्ड ने वकीलों और विशेषज्ञों द्वारा उठाए गए बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए इस मामले पर एक मसौदा कानून आयोग को सौंपने का फैसला किया है।

पिछले साल सितंबर में, समान नागरिक संहिता तैयार करने के लिए एक पैनल का प्रावधान करने वाला एक निजी विधेयक विपक्षी दलों के भारी विरोध के बावजूद राज्यसभा में पेश किया गया था। अतीत में, हालांकि इसी तरह के विधेयकों को पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन उन्हें उच्च सदन में पेश नहीं किया गया था।

इस महीने की शुरुआत में, विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर नए सिरे से परामर्श प्रक्रिया शुरू की, जिसमें राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दे पर सभी स्टेकहोल्डर्स से विचार मांगे गए थे। लेकिन भारत में यूसीसी का मुद्दा राजनीतिक ज्यादा और सामाजिक कम है। देश के आजाद होने के बाद हमारे नीति निर्धारकों ने पाया कि भारत विविधाताओं वाला देश है और हर धर्म के अपने कुछ नियम-कानून हैं जो उसी हिसाब से चलते हैं। इसलिए देश ने यूसीसी पर कभी विचार नहीं किया। लेकिन भाजपा के सत्ता में आने के बाद उसने न सिर्फ अपने चुनावी वादों में शामिल किया, बल्कि हर चुनाव में वो इस पर जोर देती रही है।

विपक्ष का करारा हमला

यूसीसी की वकालत पर डीएमके ने जोरदार सवाल उठाए हैं। एमके स्टालिन की पार्टी ने तर्क दिया कि पहले हिंदुओं के लिए एक समान संहिता लागू की जानी चाहिए, जिसके बाद उन्हें सभी जातियों के लोगों को मंदिरों में प्रार्थना-पूजा करने की अनुमति देनी होगी। डीएमके की यह टिप्पणी तब आई है जब पीएम मोदी ने मंगलवार को भोपाल में कहा, 'समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। देश दो कानूनों पर कैसे चल सकता है? भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है।' 

डीएमके के नेता टीकेएस एलंगोवन ने पीएम से सवाल पूछा है। उन्होंने कहा, 'समान नागरिक संहिता सबसे पहले हिंदू धर्म में लागू की जानी चाहिए। अनुसूचित जाति और जनजाति सहित प्रत्येक व्यक्ति को देश के किसी भी मंदिर में पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। हम यूसीसी केवल इसलिए नहीं चाहते क्योंकि संविधान ने हर धर्म को सुरक्षा दी है।' 

आरजेडी प्रवक्ता और सांसद मनोज झा ने कहा-प्रधानमंत्री को सुनकर ऐसा लगता है कि वो हर वक्त मौके की तलाश में हैं। बोलने से पहले, प्रधान मंत्री को 21वें कानून आयोग ने जो कहा था, उसकी जांच करनी चाहिए थी, बिना मदद लिए संविधान सभा की बहस का गहराई से विश्लेषण करना चाहिए क्योंकि जो लोग आपकी मदद करने के लिए निकलते हैं, वे आपके माध्यम से नुकसान पहुंचाते हैं। झा ने कहा कि हर मामले में हिन्दू-मुसलमान करना ठीक नहीं है। आदिवासियों की भी अपनी प्रथाएं हैं, आप यूसीसी लाएंगे तो उन प्रथाओं का क्या होगा। इसी तरह तमाम धर्मों में विवाह की अलग-अलग प्रथाएं और नियम हैं। यूसीसी उनमें कैसे लागू हो सकता है।

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के एक बयान में कहा गया, 'पीएम मोदी को पहले देश में गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी के बारे में जवाब देना चाहिए।' उन्होंने कहा, 'वह मणिपुर मुद्दे पर कभी नहीं बोलते। पूरा राज्य जल रहा है। वह सिर्फ इन सभी मुद्दों से लोगों का ध्यान भटका रहे हैं।'

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने यूसीसी के मुद्दे को लेकर पीएम मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट किया, 'नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक, यूनिफॉर्म सिविल कोड और पसमांदा मुसलमानों पर कुछ टिप्पणी की है। लगता है कि मोदी जी ओबामा की नसीहत को ठीक से समझ नहीं पाए।'

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