भारत-पाकिस्तान के बीच जब अचानक से रिश्ते सुधरे तो सवाल उठा कि यह कैसे संभव हुआ। लेकिन अब इसकी एक अधिकारी ने पुष्टि कर दी है कि संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई ने दोनों देशों के बीच तनाव कम करने में मदद की। अमेरिका में यूएई के राजदूत यूसेफ अल-ओताइबा ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने और उनके बीच द्विपक्षीय संबंधों को वापस पटरी पर लाने में यूएई ने भूमिका निभाई।
भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ता कराने में यूएई का हाथ होने के कयास तब से लगाए जा रहे थे जब बेहद ख़राब हो चुके भारत-पाकिस्तान के रिश्तों के बीच इसी साल फ़रवरी के आख़िर में यह ख़बर आई कि दोनों देश लाइन ऑफ़ कंट्रोल यानी एलओसी पर शांति बहाली और पुराने समझौतों पर अमल करने के लिए राजी हो गए हैं। यह चौंकाने वाली ख़बर थी। ऐसा इसलिए कि फ़रवरी, 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद जब भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक की थी तो दोनों देशों के बीच जंग के हालात बन गए थे। उसके बाद से ही रिश्ते लगातार ख़राब हो रहे थे और ऐसा नहीं लग रहा था कि दोनों देश शांति बहाली की दिशा में आगे बढ़ेंगे।
लेकिन इस साल 25 फ़रवरी को भारत और पाकिस्तान की ओर से संयुक्त बयान जारी कर कहा गया कि दोनों देशों की सेनाओं के डायरेक्टर जनरल ऑफ़ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) एलओसी को लेकर किए गए सभी समझौतों का कड़ाई से पालन करने, युद्ध विराम पर सहमति बनाने पर राजी हो गए हैं। दोनों देशों के डीजीएमओ इस बात के लिए भी तैयार हैं कि वे एक-दूसरे की ओर से उठाई गई चिंताओं और अहम मुद्दों पर काम करेंगे।
रिश्ते सुधरने पर कहा गया कि यह अचानक नहीं हुआ बल्कि इसके पीछे भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और उनके पाकिस्तानी समकक्ष मोईद यूसुफ़ के बीच हुई लंबी बातचीत है। हालाँकि मोईद यूसुफ़ ने इन ख़बरों को खारिज किया और कहा कि यह डीजीएमओ के स्तर पर बातचीत का ही नतीजा है।
लेकिन अब अमेरिका में यूएई के राजदूत यूसेफ अल-ओताइबा का बयान आया है। वह बुधवार को स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के हूवर संस्था की एक ऑनलाइन चर्चा में बोल रहे थे। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अल-ओतिबा ने कहा, 'वे (भारत-पाकिस्तान) सबसे अच्छे दोस्त नहीं बन सकते, लेकिन कम से कम हम इसे एक ऐसे स्तर पर लाना चाहते हैं जहाँ यह क्रियाशील हो, जहाँ यह चालू हो, जहाँ वे एक-दूसरे से बात कर रहे हों।'
अल-ओताइबा ने ख़ुद एक सवाल का जवाब देते हुए इस मुद्दे को उठाया और दोनों पड़ोसियों के बीच कश्मीर मुद्दे पर तनाव को कम करने में अपने देश की भूमिका को स्वीकार किया।
उन्होंने कहा, 'जहाँ दो अलग-अलग देशों में हमारा प्रभाव है वहाँ हम मददगार होने की कोशिश करते हैं। तो, भारत और पाकिस्तान सबसे हाल के हैं...'। उन्होंने कहा, 'हमें नहीं लगता कि वे एक-दूसरे के सबसे पसंदीदा राष्ट्र बनने जा रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि उनके लिए एक स्वस्थ कार्यात्मक संबंध (हेल्थी फंक्शनल रिलेशनशिप) बनाना महत्वपूर्ण है।'
बता दें कि एक दिन पहले ही गुरुवार को सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट आई है कि दोनों देशों के ख़ुफ़िया विभाग के अफ़सरों की जनवरी में दुबई में मुलाक़ात हुई और इसमें कश्मीर के मुद्दे को लेकर बातचीत हुई। अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स ने यह ख़बर दी है।
रॉयटर्स ने इस मुलाक़ात की जानकारी रखने वालों के हवाले से लिखा है कि भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ और पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के अफ़सरों की दुबई में मुलाक़ात हुई और यह यूएई की सरकार ने करवाई। रॉयटर्स ने कहा है कि भारत के विदेश मंत्रालय और पाकिस्तान की सेना की ओर से इस बारे में कोई सफाई नहीं दी गई है।
लेकिन पाकिस्तान की शीर्ष रक्षा विशेषज्ञ आयेशा सिद्दीक़ा के मुताबिक़ भारत और पाकिस्तान के ख़ुफ़िया विभाग के अफ़सर किसी तीसरे देश में बीते कई महीनों से मुलाक़ात कर रहे हैं। आयेशा के मुताबिक़, ये मुलाक़ातें थाइलैंड, दुबई और लंदन में हुई हैं और इनमें दोनों देशों के कई नामी लोग शामिल रहे हैं।
कुछ वक़्त पहले भी यह ख़बर आई थी कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और उनके पाकिस्तानी समकक्ष मोईद यूसुफ़ के बीच लंबी बातचीत हुई थी और किसी तीसरे देश में मुलाक़ात भी हुई थी लेकिन तब इसकी पुष्टि नहीं हो सकी थी।