फिर टूटी गुजरात कांग्रेस, राज्यसभा चुनाव से पहले 2 और विधायकों ने छोड़ी पार्टी
राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को गुजरात में जोरदार झटका लगा है। पार्टी के दो विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफ़ा दे दिया है। गुजरात में 19 जून को राज्यसभा की चार सीटों के लिए चुनाव होने हैं।
कांग्रेस ने राज्य में सत्तारूढ़ दल बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वह राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए उसके विधायकों को तोड़ रही है। इस पर बीजेपी ने पलटवार किया है और कहा है कि कांग्रेस विधायक अपनी पार्टी से नाख़ुश हैं, इसलिए वे पार्टी छोड़ रहे हैं।
गुजरात विधानसभा के स्पीकर राजेंद्र त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस विधायक अक्षय पटेल और जीतू चौधरी बुधवार शाम को उनसे मिले और अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया। स्पीकर ने कहा कि उनका इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया गया है। अक्षय पटेल वडोदरा की कर्जन सीट से जबकि जीतू चौधरी वलसाड की कपराडा सीट से विधायक हैं।
बीजेपी ने अभय भारद्वाज, रामिलाबेन बारा और नरहरि अमीन को उम्मीदवार बनाया है जबकि कांग्रेस ने शक्ति सिंह गोहिल और भरत सिंह सोलंकी को चुनाव मैदान में उतारा है। पहले ये चुनाव 26 मार्च को होने थे लेकिन कोरोना संकट के कारण इन्हें टाल दिया गया था।
19 जून को जिन 4 सीटों के लिए चुनाव होना है, उनमें से 3 सीटें बीजेपी के पास हैं और 1 सीट कांग्रेस के पास है। कांग्रेस ने चुनाव में 2 उम्मीदवार जबकि बीजेपी ने 3 उम्मीदवार खड़े किए हैं। कांग्रेस की कोशिश थी कि वह दोनों सीटों पर जीत हासिल करे लेकिन विधायकों की बग़ावत के कारण अब ऐसा होना मुश्किल दिख रहा है।
विधायकों को नहीं संभाल पा रही कांग्रेस
गुजरात कांग्रेस में जबरदस्त भगदड़ चल रही है। मार्च, 2019 के बाद से अब तक 7 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं। इससे पहले कांग्रेस विधायक कुवंरजी बावलिया, आशा पटेल, जवाहर चावड़ा और पुरुषोत्तम साबरिया ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया था। इनमें से बावलिया और चावड़ा को तो बीजेपी ने सरकार में मंत्री भी बनाया था।
182 सदस्यों वाली राज्य की विधानसभा में बीजेपी के पास 103 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के 66 विधायक बचे हैं। राज्य के बड़े ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर ने भी कांग्रेस का दामन छोड़ दिया था। ठाकोर ने राहुल गाँधी पर उन्हें धोखा देने का आरोप लगाया था।
2017 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच जोरदार टक्कर देखने को मिली थी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान जमकर पसीना बहाया था और इसके बेहतर परिणाम भी सामने आए थे। कांग्रेस को 77 सीटों पर जीत मिली थी। जबकि 2012 के विधानसभा चुनाव में 115 सीटें जीतने वाली बीजेपी 99 सीटों पर आकर रुक गई थी। लेकिन उसके बाद कांग्रेस अपने विधायकों को संभाल नहीं सकी और एक के बाद एक विधायक पार्टी का साथ छोड़कर चलते बने।