नागरिकता क़ानून के बाद ख़ुद को हिंदू से मुसलिम क्यों बताने लगे कई ट्विटर यूज़र?
अब क़ानून बन चुके नागरिकता संशोधन विधेयक यानी CAB को सही साबित करने के लिए बड़ी तादाद में यूज़र ट्विटर पर ख़ुद को मुसलिम क्यों दिखा रहे हैं जो पहले ख़ुद को हिंदू बताते थे वे मुसलिम क्यों बता रहे हैं और वे नागरिकता क़ानून का विरोध करने वाले लोगों के प्रदर्शन की निंदा क्यों कर रहे हैं
दरअसल, नागरिकता क़ानून का देश भर में अलग-अलग जगहों पर ज़बरदस्त विरोध हो रहा है। उत्तर-पूर्वी राज्यों और पश्चिम बंगाल में तो विरोध-प्रदर्शन हिंसात्मक हो गए हैं। विशेषकर असम में लोगों का आक्रोश थम नहीं रहा है। असम में इस क़ानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों में अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कई लोग घायल हैं। डिब्रूगढ़ और गुवाहाटी और शिलांग में कर्फ़्यू लगाना पड़ा है। असम के साथ ही त्रिपुरा में सेना को तैनात करना पड़ा है। इन राज्यों में मोबाइल इंटरनेट बंद करना पड़ा है। पश्चिम बंगाल में भी 5 ट्रेनों, तीन रेलवे स्टेशनों और 25 बसों में तोड़फोड़ किए जाने की ख़बर है। बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार इस क़ानून के पक्ष में तरह-तरह की दलीलें दे रही है।
इसी बीच ट्विटर के कई ऐसे यूज़र ने ख़ुद को मुसलिम बताते हुए नागरिकता क़ानून का समर्थन किया है। ऐसे ट्विटर यूज़रों की पड़ताल कर 'ऑल्ट न्यूज़' ने ख़बर प्रकाशित की है जिसमें दावा किया गया है कि इनमें से अधिकतर पहले ख़ुद को हिंदू बताते रहे थे और अब नागरिकता क़ानून के मामले में वे ख़ुद को मुसलिम बता रहे हैं। रोचक तथ्य यह है कि सभी ट्वीट अक्षरश: एक जैसे हैं। सभी यूज़र के ट्वीट में कहा गया है, ‘मैं एक मुसलिम हूँ। मैं #CABBill का समर्थन करता हूँ। मैं देश भर में अपने मुसलिम भाइयों द्वारा शुरू किए गए विरोध-प्रदर्शनों का दृढ़ता से खंडन करता हूँ। उन्होंने या तो बिल को नहीं समझा और उनमें हेरफेर किया गया है या वे जानबूझकर सरकार पर राजनीतिक तौर पर निशाना साध रहे हैं। लेकिन मुझे इस (CAB) पर बहुत गर्व है। जय हिंद।’
ऐसे कुछ ट्विटर यूज़र के बारे में फ़ेसबुक पर भी यूट्यूबर ध्रुव राठी ने शेयर किया है।
ऐसे ट्वीट करने वालों की ही 'ऑल्ट न्यूज़' ने पड़ताल की है। नागरिकता क़ानून पर ऐसा ही ट्वीट करने वाले @thegirl_youhate ट्विटर हैंडल से 10 मार्च 2019 को ख़ुद को हिंदू बताया गया था। यह ट्विटर हैंडल कई मौक़ों पर ख़ुद को आरती पाल बता चुका है।
'ऑल्ट न्यूज़' के अनुसार, @ambersariyaaaa ट्विटर हैंडल भी ख़ुद को हिंदू बता चुका है।
26 अप्रैल 2019 को एक ट्विटर यूज़र @NeecheSetopper ने ट्वीट किया था, 'मैं हिंदू हूँ'।
@NamanJa82028342 ट्विटर यूज़र ने पहले एक बार ट्वीट किया था, 'हिंदू की ताक़त। हिंदू होने पर गर्व है'। अब इस यूज़र ने नागरिकता क़ानून पर ख़ुद को मुसलिम बताया है।
भाषा भाई नाम के ट्विटर यूज़र ने 16 अप्रैल 2019 को लिखा था, 'मैं एक हिंदू हूँ और मैंने कभी किसी को हिंदू, मुसलिम या ईसाई के रूप में नहीं देखा लेकिन कई ऐसे हैं जो हिंदू/हिंदुत्व के प्रति खुलेआम घृणा दिखा चुके हैं।'
देहाती इंटेलेक्चुअल नाम के ट्विटर यूज़र ने पहले कभी ट्वीट किया था, 'मैं एक हिंदू हूँ और फिर कभी मैं पीछे नहीं हटूँगा। मैं एक हिंदू हूँ और यह फिर से हिंदू राष्ट्र होगा।' 14 दिसंबर को इसने ख़ुद को मुसलिम बताते हुए नागरिकता क़ानून का समर्थन किया।
खदिजा नाम के ट्विटर यूज़र ने पहले ख़ुद को अर्पिता गौत्तम बताया था, लेकिन नागरिकता क़ानून पर समर्थन के लिए उसने ख़ुद को मुसलिम बताया।
ख़ुद को मुसलिम बताकर इस बिल का समर्थन शायद इसलिए किया जा रहा है क्योंकि नागरिकता क़ानून को धर्म के आधार पर बाँटने वाला और मुसलिमों के प्रति भेदभावपूर्ण बताया जा रहा है। नागरिकता संशोधन क़ानून के तहत यह प्रावधान है कि 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से आए हुए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जा सकेगी। इसमें मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है।
इस क़ानून का विरोध करने वाले चाहते हैं कि ऐसा क़ानून लाने से पहले देशों का दायरा बढ़ाया जाए और धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाए। उनका कहना है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और इसका संविधान धर्म के आधार पर ऐसा कोई भेदभाव करने की अनुमति नहीं देता कि बांग्लादेश या बर्मा से आए हुए लोग जो पिछले पाँच सालों से भारत में रह रहे थे और अब तक घुसपैठिए कहे जाते थे, उनको भारत की नागरिकता देते समय उनका धर्म पूछा जाए।
लेकिन बता दें कि इस क़ानून का विरोध सिर्फ़ धर्म के आधार पर ही नहीं हो रहा है, बल्कि इसका विरोध दूसरे कारण से भी हो रहा है। पूर्वोत्तर में लोग तो यह चाहते हैं कि ऐसे किसी भी व्यक्ति को भारत की नागरिकता नहीं दी जाए चाहे वह हिंदू हो, सिख हो, बौद्ध हो या मुसलमान हो और यदि दी जाए तो उन्हें इन राज्यों में रहने या बसने की इजाज़त न दी जाए। कारण, उनको डर है कि ये लोग यदि इन राज्यों में आ गए तो उनका सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक वर्चस्व समाप्त हो जाएगा। उनकी आशंकाओं को देखते हुए पूर्वोत्तर के कुछ आदिवासी ज़िलों को पहले ही इस बिल के दायरे से अलग रखा गया है लेकिन यह क़ानून बनने के बाद पूर्वोत्तर के ग़ैर-आदिवासी इलाक़ों में बांग्लादेश या बाक़ी दो देशों से आए हुए ग़ैर-मुसलिम न केवल रह सकते हैं बल्कि भारत की नागरिकता भी पा सकते हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि ट्विटर पर ऐसा करने वाले लोग कौन हैं क्यों एक ही मैसेज को अलग-अलग नामों से ट्वीट किया जा रहा है और वे ख़ुद को मुसलिम बता रहे हैं क्या यह संगठित तौर पर किया जा रहा है और वे ख़ुद को मुसलिम बताकर ऐसे ट्वीट क्यों कर रहे हैं। क्या इससे यह पता नहीं चलता है कि वे भी इस क़ानून को मुसलिमों के साथ भेदभावपूर्ण मानते हैं