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भारत सरकार, भाजपा और ट्विटर की ट्रांसपेरेंसी रिपोर्टः सच कैसे छिपेगा?

भारत सरकार, भाजपा और ट्विटर की ट्रांसपेरेंसी रिपोर्टः सच कैसे छिपेगा?

ट्विटर विवाद पर भारत सरकार के मंत्री राजीव चंद्रशेखर और भाजपा प्रवक्ता अमित मालवीय के बयान सामने आए हैं और उन्होंने ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोरसी को घेरने की कोशिश की है। लेकिन ट्विटर की ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट ने बहुत पहले इस सच को बता दिया था कि वो भारत सरकार से किस तरह के दबाव का सामना कर रही है। ट्विटर ने इस रिपोर्ट को आजतक वापस नहीं लिया है।

ट्विटर के सह संस्थापक जैक डोर्सी के आरोप पर भारत सरकार नाराज हो गई है। आज मंगलवार 13 जून को केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर के लंबे-चौड़े जवाब के बाद भाजपा प्रवक्ता अमित मालवीय का बयान भी आ गया है। मालवीय का बयान भाजपा और सरकार की नीति को बताता है कि वो इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं। लेकिन यह जिस समय की बात है और पूरा विवाद है, उस समय ट्विटर की ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट क्या कह रही थी। खासकर भारत के बारे में। बेशक ट्विटर का मैनेजमेंट बदल गया है। ट्विटर और भारत सरकार के रिश्ते भी अब सामान्य हैं लेकिन ट्विटर ने आजतक अपनी उस ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट को वापस नहीं लिया है, जो राजीव चंद्रशेखर और अमित मालवीय के आरोपों की धज्जियां उड़ा रही है। 

यहां पर हम सिर्फ तथ्य रख रहे हैं और तथ्यों के सहारे ही सारी बातों को समझा जा सकता है। सबसे पहले अमित मालवीय का बयान पढ़िए। केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर का बयान मुख्य रिपोर्ट में है, जिसे अब यहां दोहराने की जरूरत नहीं है। 

अमित मालवीय क्या कहते हैं

पूर्व ट्विटर सीईओ जैक डोर्सी ने भारत और यूएसए सहित दुनियाभर की सरकारों से सामना की गई चुनौतियों के बारे में बात की है ... यह आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि डोर्सी कार्यकाल में ट्विटर ने उन संप्रभु कानूनों की अवहेलना की, जिनमें वे काम कर रहे थे, उनका मजाक उड़ाया था। कई मामलों में अलगाववादी आवाज़ों को बढ़ावा दिया गया। इनमें कई ट्विटर कर्मचारी शामिल हैं (डोरसी खुद इसके लिए दोषी हैं) ...

उन्होंने लिखा - एलोन मस्क ने ट्विटर को ऐसे जहरीले लोगों से छुटकारा दिलाने के बाद जारी कई #TwitterFiles इसकी गवाही देती हैं। ऐसा नहीं हो सकता कि ट्विटर हमेशा सही था और अमेरिका में उनकी खुद की सरकार सहित हर दूसरी सरकार गलत थी।

मालवीय ने कहा - मामले की सच्चाई यह है कि ट्विटर एक विस्तारित अवधि (2020-2022 के बीच) के लिए भारत के कानूनों का उल्लंघन कर रहा था। लेकिन न तो ट्विटर को कभी बंद किया गया और न ही इसके कर्मचारियों पर छापा मारा गया या जेल भेजा गया। हालांकि डोर्सी और उनके सहयोगी सक्रिय रूप से एक नीति का पालन कर रहे थे, जो भारतीय नियमों के खिलाफ थी। वे कई मौकों पर भारत के हितों के खिलाफ विदेशी ताकतों को अपने मंच का इस्तेमाल करने की अनुमति दे रहे थे, जिससे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और भलाई के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया था। ट्विटर भारत के कानूनों का पालन करने के लिए बाध्य है।

अंत में अमित मालवीय लिखते हैं - लेकिन इन झूठे बयानों (डोर्सी के) से कांग्रेस और विभिन्न विपक्षी दल क्यों उत्साहित हैं? भारत के खिलाफ बोलने वाले किसी भी व्यक्ति पर शिकंजा कसने में उनकी क्या मजबूरी है? राहुल गांधी विदेश जाते हैं और विदेशी शक्तियों की मदद लेते हैं और भारत में उनके गुर्गे भारत को शैतान बताने के लिए भटकी हुई आवाजों को बढ़ाते हैं ... क्या विदेशी धन और मीडिया के सहारे कांग्रेस आम जनता की राय को कम करके आंक रही है और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को हटाने की उम्मीद कर रही है?

ट्विटर ट्रांसपेरेंसी रिपोर्टभाजपा प्रवक्ता अमित मालवीय ने अपने बयान में 2020-2022 के दौरान ट्विटर की भूमिका का जिक्र किया है। लोगों को याद होगा और यह कोरोना काल था और नदियों में कोरोना से मरने वालों के शव तैरते पाए गए थे। भारत के बदहाल अस्पताल सरकार की नाकामियों का बखान कर रहे थे। इन कहानियों को सामने लाने में सोशल मीडिया की सबसे बड़ी भूमिका थी जिसमें ट्विटर सबसे आगे थे। चलिए इस बात को यहीं छोड़ते हैं और बात करते हैं ट्विटर की ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट की।

ट्विटर ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट

भाजपा प्रवक्ता अमित मालवीय ने अपने बयान में 2020-2022 के दौरान ट्विटर की भूमिका का जिक्र किया है। लोगों को याद होगा और यह कोरोना काल था और नदियों में कोरोना से मरने वालों के शव तैरते पाए गए थे। भारत के बदहाल अस्पताल सरकार की नाकामियों का बखान कर रहे थे। इन कहानियों को सामने लाने में सोशल मीडिया की सबसे बड़ी भूमिका थी जिसमें ट्विटर सबसे आगे थे। चलिए इस बात को यहीं छोड़ते हैं और बात करते हैं ट्विटर की ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट की।

ट्विटर ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट को द हिन्दू, इंडियन एक्सप्रेस, पीटीआई और रॉयटर्स ने प्रकाशित किया था।


माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर ने कहा कि भारत ने जुलाई-दिसंबर 2021 के दौरान ट्विटर पर सत्यापित पत्रकारों और समाचार आउटलेट्स द्वारा पोस्ट की गई सामग्री को हटाने के लिए विश्व स्तर पर सबसे अधिक मांग की है। अपनी नवीनतम पारदर्शिता रिपोर्ट में ट्विटर ने कहा कि ट्विटर खाते की जानकारी मांगने में भारत सिर्फ यूएस से पीछे है। भारत सभी प्रकार के ट्विटर उपयोगकर्ताओं के लिए जुलाई-दिसंबर 2021 के दौरान आदेश जारी करने वाले शीर्ष पांच देशों में शामिल था।

ट्विटर ने कहा कि दुनिया भर में स्थित सत्यापित पत्रकारों और समाचार आउटलेट्स के 349 खातों से सामग्री को हटाने के लिए कहा गया।

रिपोर्ट में कहा गया है, जिन देशों ने ट्विटर से अपने विरोधियों के खाते हटाने या उनकी सामग्री हटाने को कहा उसमें भारत (114%), तुर्की (78%), रूस (55%) और पाकिस्तान (48%) हैं। जिन्होंने अपने कानूनों का हवाला देकर सामग्री हटाने को कहा।

जनवरी से जून 2021 में भारत इस सूची में शीर्ष पर रहा था। उस समय भारत ने कुल 231 ऐसी मांगें उठाईं। हालांकि ग्लोबल स्तर पर अन्य देशों से ऐसी 89 मांग आई थी। ट्विटर ने कहा कि 'कानूनी मांगों' में सरकारी संस्थाओं और व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों दोनों से सामग्री को हटाने के लिए अदालती आदेशों और अन्य औपचारिक मांगों का संयोजन शामिल है।

ट्विटर ने इनका कोई विवरण नहीं दिया। उसने बताया कि जनवरी-जून के दौरान 11 ट्वीट्स को रोकना पड़ा। जबकि 2021 की दूसरी छमाही के दौरान विश्व स्तर पर सत्यापित पत्रकारों और समाचार आउटलेट्स के 17 ट्वीट्स को रोका गया।

ट्विटर ने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन एक संदर्भ 2021 अगस्त में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ट्वीट से था जब उन्होंने एक नाबालिग दलित लड़की के माता-पिता की तस्वीर साझा की थी, जिसके साथ कथित रूप से बलात्कार किया गया था। इसमें कहा गया है, "एक उच्च पदस्थ राजनीतिक व्यक्ति द्वारा प्रकाशित कथित ट्वीट को भारत सरकार के अनुरोध और वहां के कानून के अनुपालन में भारत में रोक दिया गया था।

ट्विटर को उपयोगकर्ताओं के खाते की जानकारी मांगने के लिए यूएस के बाद दूसरे नंबर पर सबसे अधिक भारत से सरकारी कानूनी अनुरोध प्राप्त हुए।

ट्विटर ने कहा कि यूएस ने इस रिपोर्टिंग अवधि के दौरान सबसे अधिक सरकारी सूचना अनुरोध प्रस्तुत किए, जो कुल ग्लोबल मांग का 20% और खास ग्लोबल खातों का 39% है। इसके बाद भारत का नंबर है, जहां से कुल ग्लोबल मांग का 19 फीसदी और खास ग्लोबल खातों का 27 फीसदी शामिल है। अमेरिका, भारत के बाद टॉप पांच देशों में जापान, फ्रांस और जर्मनी शामिल हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, "ट्विटर को भारत से 63 (+3%) अधिक नियमित अनुरोध प्राप्त हुए, जबकि इस रिपोर्टिंग अवधि के दौरान 7,768 खातों के लिए कुल 2,211 अनुरोधों के लिए खास नियमित खातों की संख्या में 205 (+3%) की वृद्धि हुई।" ग्लोबल "संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस रिपोर्टिंग अवधि के दौरान सबसे अधिक सरकारी सूचना अनुरोध प्रस्तुत किए, जो वैश्विक मात्रा का 20% और निर्दिष्ट वैश्विक खातों का 39% है।

इसने कहा, "अनुरोधों की दूसरी सबसे बड़ी तादाद भारत से आई, जिसमें ग्लोबल सूचना अनुरोधों का 19 प्रतिशत और निर्दिष्ट वैश्विक खातों का 27 प्रतिशत शामिल है।" मात्रा के हिसाब से शीर्ष पांच देशों में जापान, फ्रांस और जर्मनी अन्य तीन देश थे। रिपोर्ट में कहा गया है, "ट्विटर को भारत से 63 (+3%) अधिक नियमित अनुरोध प्राप्त हुए, जबकि इस रिपोर्टिंग अवधि के दौरान 7,768 खातों के लिए कुल 2,211 अनुरोधों के लिए निर्दिष्ट नियमित खातों की संख्या में 205 (+3%) की वृद्धि हुई।" ग्लोबल स्तर पर, ट्विटर को 11,460 अनुरोध प्राप्त हुए। 

ट्विटर ने भारत में 88 खातों और 303 ट्वीट्स को रोक दिया। ट्विटर रिपोर्ट के मुताबिक प्रवर्तन (एनफोर्समेंट) और अन्य सरकारी एजेंसियों ने ट्विटर खातों की जानकारी मांगी। ट्विटर की इस ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट से साफ है कि भारत से 2020-22 के दौरान सबसे ज्यादा मांग या अनुरोध ट्विटर खातों को बंद करने या उनकी ट्वीट हटाने के लिए किया गया। फिर से बताना होगा कि ट्विटर ने आज तक इस ग्लोबल ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट को वापस नहीं लिया है।

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