ट्विटर ने ही माना- अमित मालवीय ने फैलाया 'प्रोपेगेंडा'!
अमित मालवीय जिस तरह की 'फ़ेक न्यूज़' को लेकर चर्चा में रहे हैं उस पर अब ट्विटर ने भी 'ठप्पा' लगा दिया है। पुलिस द्वारा किसानों की लाठी से पिटाई की जो तसवीर वायरल हुई थी उसको प्रोपेगेंडा बताने के अमित मालवीय के प्रयास की ट्विटर ने हवा निकाल दी। ट्विटर ने अमित मालवीय द्वारा किए गए ट्वीट के नीचे 'मैनिपुलेटेड मीडिया' लिखा है। 'मैनिपुलेटेड मीडिया' लिखने का मतलब है कि उस वीडियो से छेड़छाड़ किया गया है। अमित मालवीय उस बीजेपी की आईटी सेल के प्रमुख हैं जो ख़ुद को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करती है।
दरअसल, अमित मालवीय का यह ट्वीट उस एक तसवीर से जुड़ा था जिसको राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया था।
अब ज़ाहिर है राहुल गाँधी ने जब बीजेपी सरकार को निशाने पर लिया तो अमित मालवीय बचाव में उतर गए। उन्होंने राहुल गाँधी पर हमला किया। इसके लिए उन्होंने राहुल गाँधी द्वारा ट्वीट की गई तसवीर और एक वीडियो क्लिप का कोलाज बनाया। यह साबित करने के लिए कि राहुल गाँधी ने प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए उस तसवीर को ट्वीट किया है।
अमित मालवीय ने उस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, 'राहुल गाँधी पक्के तौर पर सबसे अधिक बदनाम विपक्षी नेता होंगे। भारत में लंबे समय बाद ऐसा हुआ होगा।'
Rahul Gandhi must be the most discredited opposition leader India has seen in a long long time. https://t.co/9wQeNE5xAP pic.twitter.com/b4HjXTHPSx
— Amit Malviya (@amitmalviya) November 28, 2020
बाद में जब फ़ैक्ट चेक करने वाली वेबसाइट बूम लाइव और ऑल्ट न्यूज़ ने सबूतों के साथ यह बताया कि अमित मालवीय ने जो वीडियो शेयर किया है वह दरअसल एडिट किया हुआ है। यानी वीडियो पूरा सच नहीं है। इसी के बाद ट्विटर ने 'मैनिपुलेटेड मीडिया' की सूचना नीचे लगा दी। इसके साथ ही राहुल गाँधी का वह ट्वीट भी लगाया जिसे उन्होंने ट्वीट किया था।
ट्विटर ने क्या लिखा
ट्विटर ने उस सूचना के साथ बड़े-बड़े और मोटे-मोटे अक्षरों में लिखा है, ‘BoomLive और AltNews के अनुसार, किसानों के प्रदर्शन के दौरान एक बुज़ुर्ग आदमी पर पुलिस का डंडा खाली जाने का वीडियो एडिट किया गया है।’
इसके साथ ही ट्विटर ने इसकी विस्तृत जानकारी भी दी। ट्विटर ने लिखा, ‘किसानों के विरोध-प्रदर्शन में एक अधिकारी द्वारा एक बुजुर्ग व्यक्ति पर हमला करने की पीटीआई के फ़ोटो जर्नलिस्ट रवि चौधरी की तसवीर वायरल हो गई। कांग्रेस नेता राहुल गाँधी द्वारा इसे साझा किए जाने के बाद बीजेपी के अमित मालवीय ने घटना के एक छोटे से संपादित वीडियो के साथ जवाब दिया। मालवीय के संपादित वीडियो में एक अधिकारी दिख रहा है जिसका डंडा बुज़ुर्ग पर नहीं लगता है। हालाँकि, BoomLive ने एक लंबा बिना संपादित किए गए वीडियो का विश्लेषण किया, जो एक दूसरा अधिकारी उसी बुजुर्ग पर अपनी लाठी भाँज रहा दिखता है। BoomLive ने उस किसान की पहचान की है। उसने (किसान ने) कहा था कि वह पीटा गया था और उसने वे निशान दिखाए और कहा कि वे निशान उसी घटना के थे।’
एक वीडियो में दिख रहा है कि बुजुर्ग पर एक दूसरा अधिकारी डंडा बरसा रहा है।
पीटीआई के पत्रकार रवि चौधरी ने भी उस बुजुर्ग की दूसरी तसवीर इंस्टाग्राम पर साझा की है जिसमें दूसरे पुलिस कर्मी का डंडा उनके पैर पर लगता हुआ जान पड़ता है।
वैसे, यह पहला मामला नहीं है जब अमित मालवीय ने या तो फ़ेक न्यूज़ शेयर की या फिर छेड़छाड़ वाले वीडियो या तसवीरें शेयर कीं और उसके बारे में फ़ैक्ट चेक करने वाली वेबसाइटों ने इसका खुलासा किया है।
अमित मालवीय ने कई बार बिना किसी आधार के ही या बिना जाँच पड़ताल किए सोशल मीडिया पर वीडियो या मैसेज शेयर किए हैं। 15 जनवरी को मालवीय ने नागरकिता क़ानून के ख़िलाफ़ शाहीन बाग़ में प्रदर्शन कर रहे लोगों के बारे में दावा किया था कि वे पैसे लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। 'ऑल्ट न्यूज़', 'न्यूज़लाउंड्री इन्वेस्टिगेशन' ने इन आरोपों को निराधार बताया था।
Shaheen Bagh protest is sponsored... सारा कांग्रेस का खेल है... pic.twitter.com/JOKIO2qK7P
— Amit Malviya (@amitmalviya) January 15, 2020
पिछले साल 28 दिसंबर को मालवीय ने लखनऊ में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया था कि वे 'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' के नारे लगा रहे हैं।
Since this is a season of pulling out old videos, here is one from Lucknow where anti-CAA protestors can be seen raising ‘Pakistan Zindabad’ slogans... Damn! Someone needs to have a samvaad with them and ask them to carry tricolour and Bapu’s picture for the cameras next time... pic.twitter.com/Lvg7sj2G9Z
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 28, 2019
'ऑल्ट न्यूज़' ने इस दावे को झूठा पाया। प्रदर्शन करने वालों ने पाकिस्तान के समर्थन में नारे नहीं लगाए थे, बल्कि वे 'काशिफ साब ज़िंदाबाद' के नारे लगा रहे थे। वे ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहाद उल मुसलिमीन पार्टी के लखनऊ के प्रमुख काशिफ अहमद का ज़िक्र कर रहे थे। पार्टी के उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष हाजी शौकत अली ने 'ऑल्ट न्यूज़' से कहा था कि काशिफ अहमद ने लखनऊ में 13 दिसंबर को प्रदर्शन का नेतृत्व किया था।
नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ ही प्रदर्शन करने वाले अलीगढ़ मुसलिम यूनिर्सिटी के बारे में अमित मालवीय ने 16 दिसंबर को एक वीडियो शेयर किया था। वीडियो के साथ कैप्शन में उन्होंने लिखा था, 'एएमयू के छात्र हिंदुओं की कब्र खुदेगी, एएमयू की धरती पर...'
AMU students are chanting ‘हिंदुओ की कब्र खुदेगी, AMU की धरती पर...’
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 15, 2019
Chaps at Jamia want ‘हिंदुओं से आज़ादी...’
If this is the mindset that pervades in these ‘minority’ institutions, imagine the plight of Hindus and other minorities in Pakistan, Bangladesh and Afghanistan... pic.twitter.com/VRNeOyhaHY
लेकिन सचाई इससे अलग थी। वास्तव में छात्र हिंदुत्व, सावरकार, बीजेपी, ब्राह्मणवाद और जातिवाद के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी कर रहे थे। वे वीडियो में कहते हैं, 'हिंदुत्व की कब्र खुदेगी, एएमयू की छाती पर..., सावरकर की कब्र खुदेगी, एएमयू की छाती पर..., ये बीजेपी की कब्र खुदेगी, एएमयू की छाती पर..., ब्राह्मणवाद की कब्र खुदेगी, एएमयू की छाती पर..., ये जातीवाद की कब्र....।'
Are you listening;
— Peerzada Mahboob Ul Haq (@peerzadahaq32) December 12, 2019
All the way from AMU.
Long Live AMU#AMUrejectscab#CABBill2019#CitizenshipAmendmentBill pic.twitter.com/WN77Kwvcz9
'द वायर' की आरफ़ा ख़ानम के अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में दिए संबोधन के वीडियो को अमित मालवीय ने 26 जनवरी को शेयर किया था। इसमें उन्होंने दावा किया था कि आरफ़ा एक इसलामिक समाज की स्थापना को बढ़ावा दे रही थीं और प्रदर्शनकारियों से आग्रह कर रही थीं कि जब तक ऐसे समाज का निर्माण नहीं हो जाता तब तक ग़ैर-मुसलिमों को समर्थन करने का ढोंग करना चाहिए।
The Islamists want CAA protests to be ‘inclusive’ only till the time you, the non Muslims, start accepting their religious identity, beliefs and supremacist slogans as gospel... Long live the dream of ‘Ghazwae-Hind’! pic.twitter.com/va564eghL8
— Amit Malviya (@amitmalviya) January 26, 2020
'स्क्रॉल डॉट इन' ने लिखा है कि आरफ़ा का कहने का मतलब इसके उलट था- उन्होंने लोगों से आग्रह किया था कि वे धार्मिक नारों का उपयोग न करें और इस आंदोलन के धर्मनिरपेक्ष रूप को बरकरार रखें।
नेहरू पर निशाना
नवंबर 2017 में मालवीय ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की अलग-अलग महिलाओं के साथ तसवीरों का कोलाज बनाकर एक ट्विट किया था। जबकि सचाई यह है कि नेहरू की वे सारी तसवीरें बहन, भतीजी या दुनिया की बड़ी हस्तियों के साथ की हैं। 'स्क्रॉल डॉट इन' ने लिखा है कि बाद में मालवीय ने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया था।27 नवंबर 2018 को बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख मालवीय ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक वीडियो से छोटे से क्लिप को काटकर ट्वीट किया था। इसमें मनमोहन सिंह को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि 'मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारें काफ़ी अच्छी थीं।' इस वीडियो को शेयर कर यह संदेश देने की कोशिश की गई थी कि तब इन दोनों राज्यों में बीजेपी की सरकार अच्छी थी और मनमोहन सिंह ख़ुद तारीफ़ कर रहे थे।
Former Prime Minister Dr Manmohan Singh contradicts Rahul Gandhi, says governments of Madhya Pradesh and Chattisgarh were ‘very good’... Waters down everything Congress President has been saying over the last few days! pic.twitter.com/cLqCL0al7q
— Amit Malviya (@amitmalviya) November 27, 2018
'स्क्रॉल डॉट इन' के अनुसार, वीडियो की पड़ताल में पाया गया कि क्लिप को काटकर सिंह के बयान को ग़लत तरीक़े से पेश किया गया। जबकि वीडियो में मनमोहन सिंह ने पूरी बात यह कही थी, 'मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारों के साथ मेरे संबंध काफ़ी अच्छे थे।'
ट्रंप के ट्वीट भी 'मैनिपुलेटेड मीडिया'
हाल के दिनों में डोनल्ड ट्रंप के कुछ ऐसे ही ट्वीट के साथ 'मैनिपुलेटेड मीडिया' लिखा दिख रहा था। उसमें कहा गया था कि वह तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश कर रहे थे।— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) June 19, 2020
हाल के दिनों में अमेरिकी चुनाव में भी बिना किसी सबूत के अनियमितताओं के आरोप लगाने के मामले में ट्रंप की आलोचना होती रही है। ट्रंप जब टीवी चैनल पर लाइव भाषण दे रहे थे और 'झूठ' बोलने लगे थे तो टीवी चैनलों ने उनका भाषण बीच में ही रोक दिया था। इसके साथ ही एंकरों ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति बिना किसी सबूत के तथ्य पेश कर रहे हैं या फिर झूठ बोल रहे हैं इसलिए उनका प्रसारण रोक रहे हैं।