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कांग्रेस टूलकिट मामले में ट्विटर इंडिया प्रमुख से हुई थी पूछताछ

कांग्रेस टूलकिट मामले में ट्विटर इंडिया प्रमुख से हुई थी पूछताछ

कांग्रेस टूलकिट से जुड़े बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा के ट्वीट को मैनिपुलेटेड मीडिया टैग करने के बाद ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक से पूछताछ की गई थी।

कांग्रेस टूलकिट से जुड़े बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा के ट्वीट को मैनिपुलेटेड मीडिया टैग करने के बाद ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक से पूछताछ की गई थी। यह ख़बर ऐसे समय आई है जब सूचना प्रसारण मंत्र रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि इस सोशल मीडिया कंपनी को नियम-क़ानून का पालन करने के कई मौके दिए गए, पर उसने नहीं किया। 

दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने बेंगलुरु स्थित ट्विटर इंडिया के दफ़्तर जाकर प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी से पूछताछ की थी। दिल्ली पुलिस ने कहा था कि ट्विटर इंडिया के जवाब को अस्पष्ट पाने के बाद उसके लोग कंपनी को तीसरा नोटिस देने के लिए उसके मुख्यालय गए थे। 

लंबी पूछताछ

पर समझा जाता है कि दिल्ली पुलिस के लोगों ने ट्विटर इंडिया से इस पर सफाई माँगी थी कि संबित पात्रा के ट्वीट को मैनिपुलेटेड मीडिया क्यों टैग किया गया। उन्होंने इस मुद्दे पर मनीष माहेश्वरी से लंबी पूछताछ की थी। 

संबित पात्रा ने एक टूलकिट को कांग्रेस का बताते हुए 18 मई को ट्वीट किया था, बाद में पाया गया कि यह टूलिकट कांग्रेस ने नहीं, बीजेपी ने ही बनाया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस की एक टीम ट्विटर इंडिया के गुरुग्राम दफ़्तर गई। ं

मीडिया में खबरें छपने के बाद पुलिस ने कहा कि नोटिस देने के लिए वे लोग वहाँ गए थे। इसके एक हफ़्ते बाद दिल्ली पुलिस की टीम ट्विटर इंडिया के बेंगलुरु कार्यालय पहुँच गई। 

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रवि शंकर प्रसाद, सूचना व प्रसारण मंत्री

ट्विटर पर एफ़आईआर

यह ख़बर ऐसे समय आई है जब ट्विटर इंडिया पर नफ़रत फैलाने का आरोप लगाया गया है और उसके ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कर दिया गया है। 

ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने लोनी में एक मुसलिम बुजुर्ग शख़्स के साथ मारपीट और उनकी दाढ़ी काटने के मामले में ट्विटर के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली। पुलिस ने यह एफ़आईआर दंगा भड़काने, नफ़रत फैलाने और धार्मिक भावनाओं को जबरन भड़काने व अन्य धाराओं के तहत दर्ज की है। यह एफ़आईआर मंगलवार रात को दर्ज की गई। 

यह मामला दर्ज कराने के पहले सरकार ने कहा था कि ट्विटर को आईटी एक्ट, 2000 में धारा 79 के तहत मिलने वाली छूट ख़त्म हो चुकी है और अब उस पर भारत के वही क़ानून लागू होंगे जो किसी भी दूसरे पब्लिशर पर लागू होते हैं। 

लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ऐसा नहीं कर सकती है, ट्विटर के इंटरमीडियरी का दर्जा वापस नहीं ले सकत है। नियम-क़ानून नहीं मानने के मामले में वह कंपनी के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर सकती है, पर उसे दिए हुआ दर्ज ख़त्म नहीं कर सकती है।

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सरकार-ट्विटर

बता दें कि इसके पहले केंद्र सरकार ने ट्विटर को नए डिजिटल नियमों के पालन को लेकर ‘अंतिम नोटिस’ भेजा है। सरकार ने कहा है कि अगर ट्विटर सरकार के नियमों को नहीं मानता है तो वह नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहे। 

केंद्र सरकार के नए नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को चीफ़ कम्प्लायेंस अफ़सर, नोडल कांटेक्ट अफ़सर और रेजिडेंट ग्रीवांस अफ़सर को नियुक्त करना होगा और हर महीने सरकार को रिपोर्ट देनी होगी। सरकार ने इन अफ़सरों को नियुक्त करने के लिए तीन महीने का वक़्त दिया था जो 25 मई को ख़त्म हो चुका है। 

सरकार ने कहा था, 'ट्विटर को यह अंतिम नोटिस दिया जा रहा है कि वह नए डिजिटल नियमों का तुरंत पालन करे। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उसे आईटी एक्ट, 2000 में धारा 79 के तहत मिलने वाली छूट वापस ले ली जाएगी और आईटी क़ानून और भारत सरकार के दंड नियमों के नियमों के मुताबिक़ ट्विटर ही नतीजों के लिए उत्तरदायी होगा।'

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