सांसद मनोज तिवारी ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की फर्जी प्रोफाइल को प्रमोट किया है। अपने ट्वीट में उन्होंने मुर्मू के नाम पर बने अकाउंट को टैग किया। बदले में 'राष्ट्रपति' ने भी मनोज तिवारी को शुभकामना के लिए धन्यवाद दिया। इस फर्जी धन्यवाद को भी मनोज तिवारी ने रीट्वीट किया। सांसद के वेरिफाइड अकाउंट से ट्वीट और रीट्वीट के कारण ऐसी फर्जी प्रोफाइल के प्रति भ्रम फैल रहा है।
आईटी सेल का यह दिलचस्प खेल है। किसी भी चर्चित व्यक्ति के नाम से ट्विटर में फर्जी आईडी बना ली जाती है। फिर कुछ वेरिफाइड अकाउंट वाले प्रमुख लोगों के जरिये उसे टैग करके ट्वीट और रीट्वीट कराया जाता है। इसके कारण फर्जी प्रोफ़ाइल के फॉलोअर्स की संख्या तेजी से बढ़ने लगती है। कुछ दिनों के बाद ऐसी फर्जी प्रोफ़ाइल का नाम बदलकर झूठ और नफरत फैलाने में दुरुपयोग किया जाएगा।
फ़िलहाल द्रौपदी मुर्मू के नाम पर दर्जनों फर्जी ट्विटर प्रोफाइल सक्रिय हैं। कई वरिष्ठ नेताओं, मंत्रियों, सांसदों और विधायकों ने ऐसी कई फर्जी प्रोफाइल को जाने अनजाने प्रमोट किया है। ऐसे लोगों में कानपुर के भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी, यूपी के वित्तमंत्री सुरेश खन्ना, पूर्व मंत्री स्वाति सिंह, यूपी भाजपा प्रदेश सचिव डॉ. चंद्रमोहन, रोहनिया के पूर्व विधायक सुरेंद्र नारायण जैसे नाम शामिल हैं।
प्रमुख नेताओं द्वारा टैग किए जाने के कारण आम नागरिकों के लिए असली और नकली का फर्क करना मुश्किल हो जाता है। एक फर्जी प्रोफाइल में लगभग 45 हजार फॉलोअर्स बन चुके हैं। एक फर्जी प्रोफाइल के पिन ट्वीट में श्रीमती मुर्मू की ओर से 'धन्यवाद' दिया गया है। इस पर 3800 कमेंट, 4000 रिट्वीट मिले। लाइक भी 39000 हो चुके हैं।
ट्विटर पर किसी के भी नाम पर फर्जी प्रोफाइल बना लेना महज कुछ मिनटों का काम है। नाम की स्पेलिंग में एक अक्षर बदलकर या कोई संख्या जोड़कर किसी की भी प्रोफाइल बनाई जा सकती है। हैरानी की बात है कि राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च संवैधानिक पद की गरिमा का खुला मखौल हो रहा है।
राष्ट्रपति भवन और संचार मंत्रालय ने आवश्यक सावधानी बरती होती, तो यह अपमानजनक स्थिति पैदा नहीं होती। अब तक द्रौपदी मुर्मू का कोई वेरिफाइड ट्विटर अकाउंट सामने नहीं आया है। इसके कारण भ्रम फैलाना आसान हो गया है।
ऐसे मामलों में ट्विटर की बेरुखी भी सवालों के घेरे में है। हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का यह दायित्व बनता है कि फर्जीवाड़े पर नियंत्रण रखे। खासकर जब कोई व्यक्ति चर्चा में हो, तब उसके नाम पर कोई भी फर्जी अकाउंट बनाने की छूट नहीं मिलनी चाहिए।
फ़िलहाल ट्विटर और संचार मंत्रालय के बीच कई विवाद जारी हैं। लेकिन ऐसे फर्जीवाड़े को रोकने पर कोई नीतिगत बात नहीं हो रही। ट्विटर में अकाउंट को वेरिफाई करना एक दुर्लभ काम है। जबकि सारे अकाउंट को वेरिफाइड करके सोशल मीडिया से गंदगी को काफी हद तक कम किया जा सकता है। वेरिफाइड अकाउंट बनाना आसान होना चाहिये। अन-वेरिफाइड अकाउंट बनाना मुश्किल हो ताकि फर्जीवाड़ा रोका जा सके।
दूसरे के नाम पर फर्जी अकाउंट बनाना साइबर क्राइम है। राष्ट्रपति के नाम पर दर्जनों फेक प्रोफाइल बनाने वालों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज करके कड़ी सजा देना मुश्किल नहीं। लेकिन साइबर क्राइम अधिकारी भी ऐसे मामलों में आंख मूंदना पसंद करते हैं। कार्रवाई करेंगे, तो आईटी सेल वालों के चेहरे बेनकाब होंगे। सोशल मीडिया की गंदगी पर रहस्यमय चुप्पी की वजह समझना मुश्किल नहीं।