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टीवी समाचार चैनलों को खुद में अनुशासन लाना चाहिएः सुप्रीम कोर्ट 

टीवी समाचार चैनलों को खुद में अनुशासन लाना चाहिएः सुप्रीम कोर्ट 

सुप्रीम कोर्ट ने टीवी समाचार चैनलों को अनुशासन की सलाह दी है। कोर्ट ने कहा है कि टीवी समाचार चैनलों के खुद में बेहतर अनुशासन लाना चाहिए। 

सुप्रीम कोर्ट ने टीवी समाचार चैनलों को अनुशासन की सलाह दी है। कोर्ट ने कहा है कि टीवी समाचार चैनलों के खुद में बेहतर अनुशासन लाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने टीवी चैनलों से खुद में अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए मजबूत स्व-नियमन को लागू करने की बात कही है। 

कोर्ट ने न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन (एनबीएफ) से गलत तरीके से काम करने वाले चैनलों से निपटने के लिए तंत्र को मजबूत करने के तरीके सुझाने को कहा है। 

हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कोर्ट ने एनबीए और एनबीएफ को अपने दिशानिर्देश प्रस्तुत करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। इस अवधि के बाद मामले की दोबारा सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि सख्त स्व-नियामक तंत्र के तहत टीवी समाचार चैनलों के बीच बेहतर अनुशासन होना चाहिए, साथ ही उनके बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए। 

सीजेआई धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा है कि रेग्यूलेशन या विनियमन का पहला स्तर प्रसारकों द्वारा स्व-नियमन है। हम पहले स्तर को ही मजबूत करना चाहते हैं जो संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत उनके अधिकार की रक्षा करता है। भाषण की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति का अधिकार अनुशासन लाता है। इस खंडपीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। 

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यह आदेश एनबीए, जिसे अब न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) कहा जाता है, द्वारा दायर एक याचिका पर दिया गया है। बॉम्बे हाईकोर्ट के 18 जनवरी, 2021 के फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए यह याचिका दायर की गई है। उस फैसले में हाईकोर्ट ने टीवी समाचार चैनलों संघों द्वारा स्वंय को विनियमित करने के लिए अपनाए जाने वाले स्व-नियामक तंत्र को कानूनी मान्यता देने से इंकार कर दिया था।  

एनबीए ने मांगा चार सप्ताह का समय

रिपोर्ट में कहा गया है कि सोमवार को, जैसे ही मामला सुनवाई के लिए आया, एनबीए का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने अदालत को सूचित किया कि उन्हें संशोधित दिशानिर्देश सुझाने के लिए चार सप्ताह का समय चाहिए। वहीं प्रतिद्वंद्वी संघ एनबीएफ ने अदालत को बताया कि एनबीए की इस मामले में कोई कानूनी स्थिति नहीं है क्योंकि वे सरकार के साथ पंजीकृत नहीं हैं। हम उनके द्वारा लाए गए किसी भी दिशा निर्देश से बंधे नहीं हो सकते हैं। आधे समाचार प्रसारक हमारे साथ हैं। एनबीएफ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि जब वे पंजीकृत नहीं हैं तो वे विनियमन की मांग कैसे कर सकते हैं? 

स्व-नियामक दिशानिर्देशों को कड़ा किया जाना चाहिए

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पिछले सप्ताह याचिका पर अपनी प्रतिक्रिया दायर की है जिसमें कहा गया कि 2021 में पेश किए गए केबल टेलीविजन नेटवर्क (सीटीएन) संशोधन नियमों के तहत, प्रसारकों के सभी स्व-नियामक निकायों को सरकार के साथ पंजीकृत होना चाहिए।  

तुषार मेहता ने कहा कि एनबीएसए ने पंजीकरण करने से इनकार कर दिया है, जबकि एनबीएफ का स्व-नियामक निकाय, जिसे प्रोफेशनल न्यूज ब्रॉडकास्टर्स स्टैंडर्ड अथॉरिटी (पीएनबीएसए) कहा जाता है, पंजीकृत है और टीवी समाचार चैनलों के लिए एकमात्र वैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त स्व-नियामक निकाय है।

खंडपीठ ने इस बहस में शामिल होने से इनकार कर दिया कि दोनों प्रतिद्वंद्वियों में से किसे मान्यता प्राप्त है। उसने कहा हम चाहते हैं कि स्व-नियामक दिशानिर्देशों को कड़ा किया जाना चाहिए।हम नहीं चाहते कि यह मुद्दा प्रतिद्वंद्वी विचारधाराओं के शोरगुल में खो जाए। 

महेश जेठमलानी ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि एनबीएफ नियम बना रहा है और इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एएम खानविलकर के साथ बातचीत कर रहा है।

अरविंद दातार ने अदालत को बताया कि 2021 सीटीएन नियमों के तहत पंजीकरण के लिए कम से कम 40 समाचार प्रसारकों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह संख्या पूरी करने के लिए एनबीएफ ने केबल ऑपरेटरों को शामिल कर लिया है। इसने पूर्व सीजेआई जेएस खेहर को अपने स्व-नियामक निकाय का नेतृत्व करने का दावा भी किया है, लेकिन न्यायमूर्ति खेहर का कहना है कि उनका उनसे कोई लेना-देना नहीं है।  

केंद्र ने कहा, विनियमित करने में कानूनी शून्यता नहीं है

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बहस में हिस्सा लेते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा दायर एक हलफनामे का हवाला देते हुए कहा कि वर्तमान में समाचार चैनलों को विनियमित करने पर कोई कानूनी शून्यता नहीं है और एक त्रिस्तरीय तंत्र है। पहले स्तर पर, प्रसारकों द्वारा स्व-नियमन होता है, उसके बाद समाचार प्रसारकों द्वारा बनाए गए अधिकारियों द्वारा स्व-नियमन होता है, और अंत में, केंद्र द्वारा निरीक्षण होता है जो टीवी चैनलों के खिलाफ शिकायतों को संभालने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समिति की बात करता है।

उन्होंने बताया कि मंत्रालय की अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग नीति के  दिशा निर्देशों के तहत 394 टीवी समाचार चैनल पंजीकृत या लाइसेंस प्राप्त हैं। एनबीए या एनबीडीए के 394 समाचार चैनलों में से 71 सदस्य हैं, जबकि एनबीएफ 46 प्रसारकों को सदस्य मानता है।

केंद्र सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि एनबीए और एनबीडीए सरकारी या वैधानिक नियंत्रण से स्वतंत्र, समाचार प्रसारकों के शिकायत निवारण तंत्र के क्षेत्र में "एकाधिकारवादी" अधिकार बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में केंद्र इसे मानने को तैयार नहीं था। 

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