
भारत को 180 करोड़ः ट्रम्प ने मोदी का नाम लेकर विवाद को फिर हवा क्यों दी?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने लगातार तीसरी बार भारत को "मतदाता भागीदारी" के लिए 21 मिलियन डॉलर (180 करोड़) के अपने आरोप को फिर हवा दी। इस मामले में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिया। जबकि इस मुद्दे पर भारत में राजनीतिक विवाद पहले से ही चल रहा है। अपनी नई टिप्पणी में, ट्रम्प ने भारत और बांग्लादेश को प्रस्तावित और अब रोकी गई अलग-अलग यूएसएड फंडिंग का स्पष्ट उल्लेख किया। ट्रम्प के ताजा बयान से इंडियन एक्सप्रेस की उस रिपोर्ट का एक तरह से खंडन किया गया है, जिसमें दावा किया गया था कि यह फंड सिर्फ बांग्लादेश के लिए मंजूर हुआ था, भारत के लिए नहीं।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने पिछले बयान में सिर्फ संकेत दिया था कि इन फंड्स का इस्तेमाल 2024 के लोकसभा चुनावों में दखल देने के लिए किया गया हो सकता है। लेकिन ट्रम्प ने इसका कोई सबूत नहीं दिया कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले किस राजनीतिक दल, संगठन या सरकार को यह पैसा दिया गया था। अब वो अपनी नई टिप्पणी में प्रधानमंत्री मोदी का नाम ले रहे हैं। भारत में विदेश से आने वाला हर पैसा सरकार की निगरानी में होता है।
ट्रम्प ने कहा- "21 मिलियन डॉलर मेरे दोस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत को मतदाता भागीदारी के लिए जा रहे हैं। हम भारत में मतदाता भागीदारी के लिए 21 मिलियन डॉलर दे रहे हैं। हमारे लिए क्या? मैं भी मतदाता भागीदारी चाहता हूं।" यानी ट्रम्प ये कह रहे हैं कि 21 मिलियन डॉलर भारत में मोदी सरकार को जा रहे हैं। इससे अमेरिका को क्या फायदा है। अमेरिका भी ऐसी ही मतदाता भागीदारी के लिए फंड चाहता है।
लो भक्तों, सुन लो…. https://t.co/Za1jEJWq4Z
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) February 22, 2025
ट्रम्प ने इसके बाद बांग्लादेश को "राजनीतिक परिदृश्य को मजबूत करने" के लिए दी गई 29 मिलियन डॉलर की यूएसएड फंडिंग का जिक्र किया। उन्होंने कहा- "बांग्लादेश में 29 मिलियन डॉलर एक ऐसी फर्म को गए, जिसके बारे में किसी ने कभी सुना नहीं था। उस फर्म में केवल दो लोग काम कर रहे थे।"
बीजेपी आईटी सेल में काम करने वाले नेता अमित मालवीय ने इसी वीडियो को एक्स पर पोस्ट करते हुए इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट और विपक्ष पर निशाना साधा। क्योंकि शुक्रवार को विपक्ष ने इंडियन एक्सप्रेस की खबर के आधार पर बीजेपी पर हमला किया था।
मालवीय ने एक्स पर लिखा है- "अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत में मतदाता भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए यूएसएड फंडिंग के प्रयासों के बारे में अपने दावे को दोहराया... लेकिन उन्हें अपने देश के खर्च के बारे में क्या पता? इंडियन एक्सप्रेस और उन्मादी वामपंथी सोचते हैं कि वे बेहतर जानते हैं!"
इंडियन एक्सप्रेस ने शुक्रवार को एक जांच रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें दावा किया गया कि भारत को 2008 के बाद से यूएसएड से किसी भी चुनाव-संबंधी प्रोजेक्ट के लिए कोई फंडिंग नहीं मिली थी। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि मतदाता भागीदारी के लिए 21 मिलियन डॉलर की एकमात्र यूएसएड ग्रांट 2022 में बांग्लादेश में एक प्रोजेक्ट के लिए मंजूर की गई थी।
ट्रम्प इस मुद्दे को बार-बार उठा रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में एलन मस्क के नेतृत्व वाले डीओजीई (DOGE) ने भारत को 21 मिलियन डॉलर और अन्य देशों को इसी तरह के अनुदान प्रस्तावों को रद्द कर दिया था। 19 फरवरी को, ट्रम्प ने भारत को 21 मिलियन डॉलर देने के मकसद पर सवाल उठाया था। ट्रम्प ने कहा था कि वहां इतना ज्यादा टैरिफ अमेरिका के लिए है, हम 21 मिलियन डॉलर क्यों दें। अगले दिन, ट्रम्प ने पिछले जो बाइडन प्रशासन के भारत को फंड देने के कदम पर सवाल उठाकर हंगामा खड़ा कर दिया और संकेत दिया कि इसका उपयोग चुनावों में हस्तक्षेप के लिए किया गया हो सकता है।
शुक्रवार को ट्रम्प ने रिपब्लिकन गवर्नर्स कॉन्फ्रेंस में फिर से इस आरोप को दोहराया। इस बार फंडिंग को "रिश्वत योजना" करार दिया। उनके शब्द थे- "भारत में मतदाता भागीदारी के लिए 21 मिलियन डॉलर। हम भारत की भागीदारी की परवाह क्यों कर रहे हैं? हमारे पास पर्याप्त समस्याएं हैं... यह एक रिश्वत योजना है, आप जानते हैं।"
ट्रम्प के दावे के चार दिन बाद सरकार ने इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ी और आरोपों को "बेहद परेशान करने वाला" बताया। विदेश मंत्रालय ने भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप को लेकर चिंता व्यक्त की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा- "भारत में कई विभाग और एजेंसियां यूएसएड के साथ काम करती हैं। ये सभी मंत्रालय और एजेंसियां अब इस पर ध्यान दे रही हैं।"
बीजेपी-कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर
इस मुद्दे ने राजनीतिक गलियारों में तूफान खड़ा कर दिया है। बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे पर चुनाव प्रक्रिया में "बाहरी प्रभाव" के दखल का आरोप लगा रहे हैं। बीजेपी ने राहुल गांधी को निशाना बनाया है। 2023 में लंदन में एक कार्यक्रम में उनकी टिप्पणियों का हवाला देते हुए उन पर भारत को कमजोर करने के लिए विदेशी ताकतों के साथ साठगांठ करने का आरोप लगाया। बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने दावा किया कि यूएसएड फंड का बड़ा हिस्सा कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए शासन के दौरान भारत में आया था। हालांकि 2008 के बाद इसके सबूत मिल नहीं रहे हैं। बीजेपी भी ऐसा सबूत नहीं दे पाई है कि कांग्रेस को कितना फंड किस साल मिला।
गौरव भाटिया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि "जब सरकार (भारत में) के लिए फंडिंग बंद हो गई, तो राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान एनजीओ के लिए फंडिंग में वृद्धि हुई ताकि राहुल गांधी को चुनाव से पहले मजबूत किया जा सके और नरेंद्र मोदी को हराने की कोशिश की जा सके।"
कांग्रेस ने भी इस पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कांग्रेस के पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि बीजेपी सबसे लंबे समय तक विपक्ष में रही और यूपीए सरकारों को अस्थिर करने के लिए "बाहरी ताकतों से सीधी मदद" ली। कांग्रेस ने ट्रम्प की टिप्पणियों को "बकवास" करार दिया है, साथ ही मांग की है कि मोदी सरकार भारत में सरकारी संस्थानों और एनजीओ को यूएसएड के समर्थन का विवरण देने वाला एक श्वेत पत्र (व्हाइट पेपर) जारी करे।
(रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)