TRP स्कैम: 3 चैनलों की संपत्ति जब्त, रिपब्लिक पर कार्रवाई नहीं?
भारत का नंबर वन अंग्रेजी न्यूज़ चैनल कौन सा है? न्यूज़ चैनल्स की रेटिंग को बढ़ाने के खेल से उपजे टीआरपी घोटाले का सच क्या बाहर आएगा? इसको लेकर अब सवाल खड़े होने लगे हैं। मुंबई पुलिस जो कि गत एक साल से तमाम आरोपों के घेरे में है, ने इस घोटाले को उजागर किया था।
उस समय यह आरोप लगे कि मुंबई पुलिस की कार्रवाई बदले की भावना से की गयी है और और इससे संबंधित एक मामला केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) को सौंप दिया गया। लेकिन जो निष्कर्ष सामने आ रहे हैं उसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
टीआरपी घोटाले को लेकर ईडी ने बुधवार को बड़ी कार्रवाई की। करीब 32 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी जब्त की गयी। मुंबई, दिल्ली, इंदौर और गुरुग्राम में चली इस कार्रवाई के अंतर्गत 'फकत मराठी', 'बॉक्स सिनेमा' व 'महा मूवी' नामक चैनल्स के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत कारवाई की गयी। लेकिन ईडी के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस कार्रवाई में कहीं भी रिपब्लिक चैनल का कोई जिक्र नहीं है। जबकि रिपब्लिक चैनल को इस पूरे घोटाले में मुख्य अभियुक्त बताया जाता है।
दरअसल, टीआरपी घोटाले में अब तक कई उतार-चढ़ाव आये हैं। इन सभी को एक-एक कर देखें तो इस घोटाले में सत्ता और व्यवस्था की पकड़ की पटकथा नजर आएगी। 8 अक्टूबर, 2020 की शाम को अचानक मुंबई पुलिस कमिश्नर की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। जिसमें उन्होंने बताया कि कुछ चैनल पैसे देकर टीआरपी खरीदने का काम कर रहे हैं। इनमें सबसे बड़ा नाम रिपब्लिक टीवी का था।
इसके अलावा फकत मराठी और बॉक्स सिनेमा पर टीआरपी घोटाले का आरोप लगा और बताया गया कि इन दोनों रीजनल चैनलों के मालिकों को गिरफ्तार कर लिया गया है और रिपब्लिक टीवी के पदाधिकारियों से पूछताछ होगी।
पुलिस कमिश्नर ने कहा कि जो इस रैकेट में शामिल होगा उसे नहीं छोड़ा जाएगा, फिर चाहे वो कितनी भी ऊंची कुर्सी पर क्यों न बैठा हो। इसके तुरंत बाद रिपब्लिक टीवी की तरफ से सफाई भी आ गई। चैनल ने एक बयान जारी कर कहा कि, "हमने एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले को लेकर मुंबई पुलिस कमिश्नर से सवाल पूछे थे, इसीलिए हमारा नाम इसमें घसीटा गया है। इसके लिए चैनल पुलिस कमिश्नर के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस करेगा। बार्क की किसी भी रिपोर्ट में रिपब्लिक टीवी का जिक्र नहीं है। भारत की जनता सच जानती है।”
इसके बाद 10 अक्टूबर को रिपब्लिक टीवी की तरफ से बताया गया कि उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले के खिलाफ याचिका दायर की है। दरअसल, रिपब्लिक टीवी के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) को मुंबई पुलिस ने पूछताछ के लिए समन किया था। जिसके बाद इससे राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई।
मुंबई पुलिस ने 11 और 12 अक्टूबर को रिपब्लिक टीवी के सीईओ और सीओओ को टीआरपी घोटाला मामले में पूछताछ के लिए बुलाया। जिसके बाद चैनल के अधिकारी पुलिस के सामने पेश हुए। पुलिस ने कई घंटे तक रिपब्लिक टीवी के अधिकारियों से पूछताछ की।
15 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि रिपब्लिक टीवी को भी किसी आम नागरिक की ही तरह पहले हाई कोर्ट में अपील करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट पर भरोसा रखना चाहिए।
सीबीआई जांच की मांग
दरअसल, रिपब्लिक टीवी ने अपनी याचिका में सीबीआई जांच की भी मांग की थी, जिस पर मुंबई पुलिस की तरफ से पेश हुए वकील ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी पर आरोप लगाया था कि वो गवाहों को धमकाने का काम कर रहे हैं। साथ ही वकील ने ये भी कहा कि आरोपी चैनल ये तय नहीं कर सकता है कि कौन उसकी जांच करेगा। 19 अक्टूबर को बॉम्बे हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई।
अर्णब के वॉट्सएप चैट लीक पर देखिए वीडियो-
इस सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने मुंबई पुलिस से कहा कि वो रिपब्लिक टीवी के मालिक और एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी को समन कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि अगर अर्णब इस केस में आरोपी हैं या फिर बनाए जाते हैं तो मुंबई पुलिस उन्हें पूछताछ के लिए बुला सकती है। इसी सुनवाई के दौरान अर्णब गोस्वामी के वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि मुंबई पुलिस अर्णब को गिरफ्तार कर सकती है, इसीलिए उनकी गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाई जाए। वहीं साल्वे ने कहा कि अगर पुलिस समन करती है तो अर्णब गोस्वामी जांच में सहयोग करेंगे।
लेकिन 20 अक्टूबर को इस मामले में नया मोड़ आ गया। टीआरपी मामले में सीबीआई ने एक केस दर्ज किया वह भी मुंबई में चल रही जांच को लेकर नहीं, बल्कि यूपी में दर्ज एक शिकायत के आधार पर। लखनऊ में गोल्डन रैबिट कम्युनिकेशंस ने टीआरपी घोटाले को लेकर एक शिकायत दर्ज करवाई थी, जिसे यूपी सरकार ने सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया।
ठाकरे सरकार का दांव
सीबीआई की एंट्री के बाद यह बहस शुरू हो गयी थी कि कहीं सुशांत सिंह केस की तरह ये केस भी मुंबई पुलिस से लिया जा सकता है क्या? इसे देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने तुरंत एक फैसला लिया। ठाकरे सरकार ने कहा कि वो राज्य में CBI जांच के लिए दिए गए जनरल कंसेंट को वापस ले रहे हैं। यानी सीबीआई को महाराष्ट्र में किसी केस की जांच के लिए पहले सरकार की इजाजत लेनी होगी।
20 नवंबर 2020 को केन्द्रीय जांच एजेंसी ने प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआरआर) दाखिल की और उसमें आरोप मुंबई पुलिस की प्राथमिकी के समान ही दर्ज किये गए। ईडी ने अक्टूबर में दाखिल की गई मुंबई पुलिस की प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद यह मामला दर्ज किया था, जिसमें रिपब्लिक टीवी चैनल, दो मराठी चैनलों और कुछ अन्य लोगों को नामजद किया गया था।
अब सवाल ये खड़े हो रहे हैं कि क्या जांच में लीपापोती की जा रही है या किसी को बचाया जा रहा है? मुंबई पुलिस द्वारा उजागर किये गए टीआरपी घोटाले को शुरुआत में सीमित महत्व का बताये जाने की कोशिश की गयी थी लेकिन बाद में यह गहराता चला गया।
मुंबई पुलिस की ओर से फाइल की गई सप्लीमेंट्री चार्जशीट में बतौर सबूत शामिल किए गए वॉट्सऐप चैट सामने आने से इस प्रकरण के साजिश वाले पहलू अचानक बेहद गंभीर हो गए थे। इस मामले में रिपब्लिक टीवी के वितरण प्रमुख समेत 12 लोगों को आरोपी बनाया गया। हंसा रिसर्च के पूर्व कर्मचारी, चैनल रेटिंग का आकलन करने वाली एजेंसी और रेटिंग में हेरफेर करने के आरोपी दो और चैनल के लोगों को भी आरोपी बनाया गया।
पार्थो दासगुप्ता का आरोप
मुंबई पुलिस द्वारा दायर पूरक चार्जशीट के अनुसार, ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) इंडिया के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता ने मुंबई पुलिस को दिए हाथ से लिखे एक बयान में बताया कि उन्हें टीआरपी से छेड़छाड़ करने के बदले रिपब्लिक चैनल के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी से तीन सालों में दो फैमिली ट्रिप के लिए 12,000 डॉलर और कुल 40 लाख रुपये मिले थे। इस पूरे मामले में साफ तौर पर यह बात सामने आयी कि एक खास चैनल की तरफ से उसको फायदा पहुंचाने के लिए बार्क में अहम पदों पर बैठे कुछ लोगों का इस्तेमाल किया गया।
यह बात भी सामने आयी कि कोई चैनल या पत्रकार खुद को नंबर वन दिखाने के लिए सत्ता में अपनी पहुंच का कैसा इस्तेमाल कर सकता है? साथ ही यह सवाल भी उठा कि सत्ता में अपनी पहुंच बनाए रखने के लिए वह खबरों के साथ कैसा खिलवाड़ करता होगा।
दरअसल, मई 2017 में प्रसारण शुरू होने से पहले, रिपब्लिक टीवी ने कथित तौर पर देशभर में कई केबल टीवी संचालकों से अपने चैनल को लैंडिंग पेज बनाने के लिए हाथ मिला लिया था। लांच होने से पहले, रिपब्लिक टीवी ने अपनी शुरुआत की घोषणा करते हुए जगह-जगह विशालकाय होर्डिंग भी लगाए थे।
चैनल ने- "जिसकी आवाज को चुप न कराया जा सके" होने का दावा किया था। इस चैनल ने टाइम्स नाउ को पहले हफ्ते में दूसरे स्थान पर धकेल दिया तो हर कोई स्तब्ध रह गया था। मुंबई के मीडिया पर पैनी नजर रखने वाले कहते हैं, "हमें सही में लगा कि अर्णब गोस्वामी पूर्व टाइम्स नाउ के एक व्यक्ति ने अंग्रेजी समाचार जगत पर जादू करके असंभव को संभव बना दिया।”
लेकिन जब टीआरपी घोटाले का जिन्न बोतल से बाहर निकला तो यह सामने आने लगा कि कैसे किसी चैनल की रेटिंग तय की जाती है। बार-ओ-मीटर से लेकर बार्क कैसे काम करता है यह सभी को समझ में आने लगा। लेकिन क्या इस घोटाले का सत्य बाहर आएगा!