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त्रिपुरा: सीपीएम और तिप्रा मथा के बीच हो सकता है गठबंधन 

त्रिपुरा: सीपीएम और तिप्रा मथा के बीच हो सकता है गठबंधन 

जबकि तिप्रा मथा ने ग्रेटर तिपरालैंड की मांग पर लिखित समझौते के बिना किसी भी गठबंधन में शामिल होने से इंकार कर दिया था। अपनी इस मांग के लिए उसने गठबंधन के लिए भाजपा से भी बात की। लेकिन अंतिम समय तक बात नहीं बनी।   

सीपीएम की त्रिपुरा इकाई के सचिव जितेंद्र चौधरी ने मंगलवार को कहा कि सीपीएम, तिप्रा के साथ गठबंधन के लिए बातचीत कर रही है। आने वाले एक दो दिनों में दोनों ही दलों के बीच सहमति बनने की संभावना है। दो फरवरी तक इस गठबंधन की घोषणा की जा सकती है, विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख भी दो फरवरी ही है।

सीपीएम चुनावों की घोषणा से पहले ही भाजपा विरोधी सभी दलों के एकजुट होकर चुनाव लड़ने की बात करती रही है। सीपीएम की इस अपील के बाद ही कांग्रेस औपचारिक रूप गठबंधन में शामिल हुई थी। जबकि तिप्रा मथा ने ग्रेटर तिपरालैंड की मांग पर लिखित समझौते के बिना किसी भी गठबंधन में शामिल होने से इंकार कर दिया था। अपनी इस मांग के लिए उसने गठबंधन के लिए भाजपा से भी बात की। लेकिन अंतिम समय तक बात नहीं बनी।   

चुनाव की घोषणा से हफ्तों पहले सीपीएम और तिप्रा मथा गठबंधन के लिए बात कर रहे थे लेकिन उस समय भी गठबंधन नहीं हो पाया था। मंगलवार को दक्षिण त्रिपुरा के सबरूम में प्रचार के लिए पहुंचे जितेंद्र चौधरी ने कहा कि हम गठबंधन की संभावनाओं को लेकर कांग्रेस और तिप्रा मथा दोनों   के साथ ही बात कर रहे हैं। तिप्रा मथा अबतक 40 सीटों पर उम्मीदवार उतार चुकी है, लेकिन सबरूम में जितेंद्र चौधरी के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है।

तिप्रा मथा के साथ चल रही बातचीत के बीच चौधरी ने कहा कि केवल उनके चुनाव जीतने भर से भाजपा को नहीं हराया जा सकता है। भाजपा को हराने के लिए तिप्रा मथा का साथ आना जरूरी है। हम किन सीटों पर समझौता कर सकते हैं यह तिप्रा के अध्यक्ष बताएं। उसके बाद हम कुछ सीटों पर समझौता कर सकते हैं। चौधरी ने कहा कि तिप्रा मथा के अध्यक्ष ने उन सीटों की सूची बनाने के लिए भी कहा है जहां तिप्रा मथा अपने उम्मीदवार वापस ले सकती है। हम दो फरवरी तक इस मसले को सुलझा लेगें।

हालांकि पिछले दिनों तिप्रा मथा प्रमुख प्रद्योत किशोर ने साफ कर दिया था कि उनकी पार्टी लिखित आश्वासन के बिना किसी से भी समझौता नहीं करेगी। और अभी तक किसी भी पार्टी ने उनकी मांग को लेकर लिखित समझौता नहीं किया है। हालांकि तिप्रा मथा ने सबरूम निर्वाचन क्षेत्र में कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है क्योंकि जितेंद्र चौधरी वहां से चुनाव लड़ रहे हैं। जो राज्य के प्रमुख  "तिपरासा" आदिवासी हैं। ऐसे में तिप्रा मथा उम्मीदवार उतारकर उनकी लड़ाई को कमजोर नहीं करना चाहती है।

त्रिपुरा की 60 सदस्यों वाली विधानसभा के लिए 16 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। वर्तमान में यहां भाजपा की सरकार है जो माणिक सरकार की 20 साल पुरानी सरकार को हटाकर सत्ता में आई थी।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक चुनाव के लिए वाम मोर्चे ने 47 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। जिसमें सीपीएम ने 43, सीपीआई, फॉरवर्ड ब्लॉक और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी एक-एक सीट पर और कांग्रेस ने 17 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जोकि समझौते में मिली सीटों से 4 ज्यादा है। गठबंधन में इसको लेकर बातचीत चल रही है क्योंकि कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों को वापस करने से मना कर दिया है। 

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