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 यूपी में बीजेपी बनाएगी सरकार, 'मोदी मैजिक' ने सपा को बहुमत से किया दूर

 यूपी में बीजेपी बनाएगी सरकार, 'मोदी मैजिक' ने सपा को बहुमत से किया दूर

यूपी विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती जारी है। लेकिन रुझान बता रहे हैं कि बीजेपी राज्य में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। 

यूपी का किला बीजेपी फिर से जीतने जा रही है। अभी तक आए रुझानों के मुताबिक बीजेपी पूर्ण बहुमत से भी ज्यादा सीटें हासिल करने जा रही है। समाजवादी पार्टी इस बात पर संतोष कर सकती है कि उसने 2017 विधानसभा चुनाव के मुकाबले अपनी स्थिति बेहतर की है, लेकिन वो सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। यह रिपोर्ट अभी तक प्राप्त रुझानों के आधार पर तैयार की गई है।

कोविड 19 की दूसरी लहर के दौरान लापरवाही के लिए योगी सरकार की कड़ी आलोचना हुई थी। इसके अलावा किसान आंदोलन, जबरदस्त बेरोजगारी को लेकर युवकों के गुस्से के बावजूद लोगों ने बीजेपी को फिर से मौका दिया है। सभी एग्जिट पोल ने भी बीजेपी की जीत की भविष्यवाणी की थी।

वोटों की गिनती गुरुवार को सातवें घंटे में प्रवेश करने जा रही है। सुबह 9:30 बजे से कुछ समय पहले, एनडीटीवी ने यूपी की 403 सीटों में से बीजेपी को 250 से अधिक सीटें मिलने का अनुमान लगाया था। सुबह 10 बजे तक, ऐसा लग रहा था कि बीजेपी 300 सीटों का आंकड़ा को पार कर सकती है। लेकिन उस महत्वाकांक्षी आंकड़े को छूना अब जरा मुश्किल लग रहा है।हर बढ़ते मिनट के साथ अखिलेश यादव की उम्मीदें धूमिल होती जा रही हैं। बीएसपी और कांग्रेस का प्रदर्शन तो बहुत ही खराब रहा है। उसकी सीटों का आंकड़ा दो अंकों में भी पहुंचना मुश्किल लग रहा है। ताजा रुझानों के अनुसार, अपना दल (सोनेलाल) 11 सीटों पर और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) सात सीटों पर आगे चल रहा है।

गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ, करहल से अखिलेश यादव, जसवंत नगर से शिवपाल यादव और सिराथू से उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य आगे चल रहे हैं।

यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं। 2024 में आम चुनाव है। यूपी में बीजेपी की स्थिति बता रही है कि वो 2024 में भी यूपी से अच्छी सीटें ले जा सकती है। हालांकि इसे पक्की तौर पर नहीं कहा जा सकता। इसे सिर्फ एक संकेत समझा जा सकता है।

भारत की 135 करोड़ की आबादी में हर पांचवां घर, यूपी से सबसे ज्यादा सांसद भेजता है। यूपी में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती मानी जाने वाली सपा ने छोटे दलों के साथ एक गठबंधन बनाया था, जिससे उम्मीद थी कि ओबीसी मतदाताओं के साथ मुस्लिम-यादव समर्थन के आधार पर वो आसानी से जीत हासिल कर लेगी। लेकिन सारे समीकरण धरे रह गए।

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