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हाथरस में टीएमसी सांसदों से पुलिस ने की बदसलूकी, सपाइयों पर लाठीचार्ज

हाथरस में टीएमसी सांसदों से पुलिस ने की बदसलूकी, सपाइयों पर लाठीचार्ज

शायद यूपी पुलिस ने यह तय कर लिया है कि किसी भी शख़्स को उनकी इजाजत के बिना हाथरस की पीड़िता के घर तक नहीं पहुंचने दिया जाएगा। 

शायद योगी आदित्यनाथ और उनकी पुलिस ने यह तय कर लिया है कि किसी भी शख़्स को उनकी इजाजत के बिना हाथरस की पीड़िता के घर तक नहीं पहुंचने दिया जाएगा। गुरूवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को रोकने में सारी ताक़त का इस्तेमाल करने वाली यूपी पुलिस ने शुक्रवार को भी यही कारनामा किया। 

हाथरस में पीड़िता के परिवार से मिलने जा रहे तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसदों के साथ उत्तर प्रदेश की पुलिस ने जिस तरह की बदतमीजी की है, वह बेहद ही शर्मसार करने वाली है। इसके अलावा हाथरस की घटना के विरोध में ही लखनऊ में मार्च निकाल रहे समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को पुलिस ने रोक दिया और उन पर लाठिया भांजी। 

शुक्रवार को टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन के साथ हाथरस के ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा ने धक्का-मुक्की कर उन्हें जमीन पर गिरा दिया। टीएमसी के सांसद दिल्ली से यही इरादा लेकर आये थे कि वे पीड़िता के परिवार से मिल सकेंगे। लेकिन पीड़िता के गांव के बाहर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात हैं, जिनकी सिर्फ एक ही ड्यूटी है कि पीड़िता के घर तक कोई न पहुंच जाए। भले ही, उत्तर प्रदेश में हत्या, लूट, बलात्कार, अपहरण, छिनैती, चोरी-डकैती का धंधा जोर-शोर से चल रहा हो। लेकिन इस सरकार और इसकी पुलिस को शर्म आती नहीं दिखती। 

ब्रायन के साथ डॉ. ककोली घोष दस्तीदार, प्रतिमा मोंडल और पूर्व सांसद ममता ठाकुर भी शामिल थीं। सांसदों का कहना था कि वे शांतिपूर्ण तरीक़े से पीड़िता के परिवार से मिलना चाहते थे लेकिन फिर भी उन्हें रोका गया। उन्होंने पूछा कि यह किस तरह का जंगलराज है जहां पर निर्वाचित सांसदों को एक पीड़ित परिवार से नहीं मिलने दिया जा रहा है। 

टीएमसी की एक सांसद ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि हम लोग पीड़िता के घर जाने की कोशिश कर रहे थे कि एक पुरूष अफ़सर ने महिला सांसद से छेड़छाड़ की। इसे लेकर ब्रायन की अफ़सर से जमकर बहस भी हुई। सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल हो रहा है। मतलब साफ है कि पीड़िता के गांव न जाने देने के लिए यूपी पुलिस का एक मर्द अफ़सर महिला सांसद के साथ भी बदतमीजी कर सकता है। 

पुलिसिया तानाशाही चरम पर 

पुलिस ने 14 सितंबर को उस दलित युवती के साथ हुए सामूहिक बलात्कार को मानने से मना कर दिया है। अपनी सरकारी रिपोर्ट में उसने अभियुक्तों की पिटाई के कारण लकवाग्रस्त हो चुकी दलित युवती को लगी चोटों का जिक्र नहीं किया। रात में सफदरजंग से शव को हाथरस पहुंचा दिया, परिजनों की लाख मनुहार के बाद उनकी बेटी का चेहरा उन्हें नहीं देखने दिया और युवती का दाह संस्कार कर दिया। 

पीड़िता की भाभी ने एक न्यूज़ चैनल से रोते हुए कहा- ‘हमसे कह रहे हैं कि तुम्हारी लड़की अगर कोरोना से मर जाती तो क्या मुआवज़ा मिल जाता। पापा को धमकियां मिल रही हैं। अब ये लोग हमें यहां नहीं रहने देंगे। डीएम चालबाजी कर रहे हैं और हम पर दबाव बना रहे हैं।’

इसके अलावा पत्रकारों से बदतमीजी की जा रही है, पीड़िता के घरवालों पर दबाव बनाया जा रहा है, सबूतों को मिटाया जा रहा है और हाथरस में पुलिसिया गुंडागर्दी चरम पर है। कुल मिलाकर पीड़िता के पक्ष में उठने वाली हर उस आवाज़ को कुचलने की कोशिश की जा रही है, जिससे उसे इंसाफ़ मिल सके। पीड़िता के परिवार वाले लगातार कह रहे हैं कि उन पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है, डीएम दबाव बना रहे हैं और उन्हें मीडिया से बात नहीं करने दी जा रही है। 

पीड़िता के परिवार को क्यों धमका रही है योगी सरकार, देखिए चर्चा- 

योगी सरकार न जाने क्यों हाथरस के सच को छुपाने में लगी है। वह आख़िर क्यों मीडिया को वहां नहीं जाने दे रही। क्यों उसके आला अफ़सर बार-बार कह रहे हैं कि पीड़िता के साथ बलात्कार नहीं हुआ जबकि पीड़िता के कई वीडियो हैं, जिसमें उसने बलात्कार की बात कबूली है। डीएम ने हाथरस जिले में धारा 144 लगा दी है और 31 अक्टूबर तक बॉर्डर्स को सील कर दिया गया है। 

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