सांसद मिमी चक्रवर्ती ने फर्जी टीकाकरण केंद्र पर टीका लिया, एक गिरफ़्तार
अभिनेत्री से टीएमसी सांसद बनीं मिमी चक्रवर्ती कथित तौर पर एक फ़ेक कोविड टीकाकरण केंद्र के झांसे में आ गईं। इस केंद्र पर सैकड़ों लोगों को टीके लगा दिए गए। टीएमसी सांसद मिमी चक्रवर्ती ने संदेह होने पर शिकायत दर्ज कराई तो उस टीकाकरण की व्यवस्था करने वाले और ख़ुद आईएएस अधिकारी होने का दावा करने वाले व्यक्ति को बुधवार को गिरफ़्तार किया गया। पुलिस ने जाँच के लिए नमूने भेजे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि शिविर में लोगों को असली या नकली टीके दिए गए थे।
पुलिस ने जिसको गिरफ़्तार किया है उसकी पहचान होसेनपुर के 28 वर्षीय देबंजन देब के रूप में हुई है। उसने कथित तौर पर ख़ुद को कोलकाता नगर निगम के संयुक्त आयुक्त के रूप में पेश किया और शिविर का आयोजन किया।
मिमी चक्रवर्ती ने पुलिस से शिकायत तब की जब उन्हें टीका लेने के बाद कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई। चक्रवर्ती ने कहा कि उन्होंने लोगों को टीका लगाने के लिए प्रोत्साहित करने और वायरस के प्रसार को रोकने में मदद करने के लिए कोविड शॉट लिया था। रिपोर्टों में कहा गया है कि शिविर में लगभग 250 लोगों को टीका लगाया गया।
देबंजन देब ने कथित तौर पर एक आईएएस अधिकारी होने का दावा करते हुए उन्हें शिविर में आमंत्रित किया। उसने कथित तौर पर उन्हें बताया कि टीकाकरण का प्रयास कोलकाता नगर निगम द्वारा आयोजित किया गया था। यह भी बताया गया था कि वह ट्रांसजेंडर और विक्लांगों के लिए यह विशेष शिविर था। वह देबंजन देब द्वारा आयोजित टीकाकरण शिविर में मुख्य अतिथि के रूप में गई थीं।
मिमी चक्रवर्ती ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा, 'उन्होंने कहा कि वह ट्रांसजेंडर और विशेष रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए एक विशेष अभियान चला रहे थे और उन्होंने मेरी उपस्थिति का अनुरोध किया।' उन्होंने कहा, 'मैंने टीके के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए शिविर में कोविशील्ड का टीका लिया। लेकिन मुझे CoWIN से पुष्टि करने वाला संदेश कभी नहीं मिला।'
मिमी चक्रवर्ती ने कहा कि उन्होंने देखा कि लोगों के लिए CoWIN के साथ पंजीकरण करने के लिए आधार कार्ड का कोई विवरण नहीं लिया गया था, इसलिए खुराक के बाद किसी को कोई संदेश नहीं मिला।
इसी संदेह के आधार पर चक्रवर्ती ने तब कोलकाता पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण उपनगरीय डिवीजन के डीसी राशिद मुनीर ख़ान ने कहा, 'आरोपी ने दावा किया है कि उसने स्वस्थ भवन और बागड़ी बाज़ार के बाहर से टीके खरीदे थे। हम यह जाँचने के लिए नमूने भेज रहे हैं कि वे असली टीके थे या नहीं।'
पुलिस के अनुसार, उन्हें यूको बैंक भवन में लगाए जा रहे टीकाकरण शिविर के बारे में पता चला। चूँकि स्थानीय पुलिस स्टेशन को क्षेत्र में ऐसे किसी भी शिविर के बारे में सूचित नहीं किया गया था, एक पुलिस दल वहाँ पहुँचा और पाया कि बड़ी संख्या में लोग उस 'टीकाकरण' केंद्र पर इकट्ठा हुए थे।
रिपोर्ट के अनुसार, एक पुलिस अधिकारी ने कहा, 'शिविर के प्रभारी व्यक्ति से मौक़े पर पूछताछ की गई और यह पाया गया कि वह कोलकाता नगर निगम के संयुक्त आयुक्त के रूप में ख़ुद को पेश कर रहा था। उन्होंने अपने एनजीओ के विज्ञापन और पीआर गतिविधियों के लिए मुफ्त टीकाकरण कार्यक्रम का आयोजन किया था। वह एक आईएएस अधिकारी और कोलकाता नगर निगम के झूठे फर्जी दस्तावेजों, मुहरों, नीली बत्ती और टिकटों का इस्तेमाल कर रहा था।'
पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले लोगो, स्टिकर के साथ एक झंडा और नीली बत्ती से सज्जित उसकी कार को जब्त कर लिया।