तृणमूल कांग्रेस की पहली बार चुनी गई सांसद महुआ मोइत्रा ने अपने पहले ही भाषण में नरेंद्र मोदी सरकार पर ज़बरदस्त हमला करते हुए उसे फ़ासीवाद से जोड़ा। उन्होंने फ़ासीवाद के सात लक्षण गिनाते हुए बीजेपी पर ज़ोरदार हमले किए।
कृष्णनगर की सांसद ने अमेरिकी होलोकॉस्ट मेमोरियल म्यूज़ियम के बाहर लगे पोस्टर की चर्चा की, जिस पर फ़ासीवाद के सभी लक्षण लिखे हुए हैं। उन्होंने इसके साथ ही पूछा, ‘हमें यह तय करना होगा कि हम इतिहास के किस तरफ होना चाहते हैं-उस तरफ जो संविधान की रक्षा करता है या उस तरफ जो संविधान को ख़त्म कर देना चाहता है।’
उन्होंने तीखे तंज के साथ कहा कि ‘आप यह कह सकते हैं कि अच्छे दिन आ गए हैं और सरकार ऐसा भारतीय साम्राज्य बनाना चाहती है जिसमें सूरज कभी नहीं डूबेगा, लेकिन आप खोलने पर पाएँगे कि देश के टुकड़े-टुकड़े होने के लक्षण दिख रहे हैं।’
फ़ासीवाद के 7 लक्षण
इनवेस्टमेंट बैंकर से राजनेता बनी इस सांसद ने फ़ासीवाद के जो 7 लक्षण गिनाए, उनमें प्रमुख हैं- दिखावे का राष्ट्रवाद जो देश के ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करता हो, मानवाधिकारों के प्रति ज़बरदस्त नफ़रत, असहमति को दबाना, संचार माध्यमों पर नियंत्रण, राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति अत्यधिक मोह और धर्म व सरकार का गठजोड़।उन्होंने कहा कि ‘दिखावे का, संकीर्ण और विदेश से घृणा करने वाला राष्ट्रवाद निर्णय करने की वासना है, एक होने की इच्छा नहीं।’
उन्होंने असम के नागरिक रजिस्टर के बारे में नाम लिए बगैर नरेंद्र मोेदी और स्मृति ईरानी पर तंज करते हुए कहा, जिस देश में मंत्री गण यह सर्टिफ़िकेट नहीं दिखा सकते कि वे किस कॉलेज से पास हुए हैं, वहाँ ग़रीब और वंचित लोगों से उम्मीद की जाती है कि वे यह साबित करें कि वे इसी देश में रहते हैं।
ज़ाहिर है, मोइत्रा की काफ़ी टोकाटोकी हुई और सरकारी पक्ष के कई सासंदो ने बीच में ही काफ़ी हो हल्ला मचाया। टोकाटोकी करने पर उन्होने कहा, महाशय, इस महान हॉल में टोकाटोकी करने वाले पेशेवरों के लिए कोई जगह नहीं है।
नफ़रत से होने वाले अपराध
उन्होंने यह भी कहा कि पहलू ख़ान से लेकर झारखंड की ताज़ा घटना तक देश में नफ़रत की वजह से होने वाले अपराध लगातार बढ़े हैं। उन्होंने कहा, नफ़रत की वजह से होने वाले अपराध साल 2014 और 2019 के बीच अपराध दस गुण बढ़े हैं। यह तो ई-कॉमर्स स्टार्ट अप की तरह लगता है। देश में ऐसे लोग हैं जो इस तरह के अपराध को आगे बढ़ा रहे हैं।
मीडिया की चर्चा करते हुए महुआ मोइत्रा ने कहा कि मीडिया को जिस तरह झुकाया गया है, उसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता। देश के पाँच सबसे बड़े मीडिया घराने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से एक आदमी से नियंत्रित हो रहे हैं या उसके ऋणी हैं।
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने राष्ट्रीय मीडिया पर चलने वाले सरकार विरोधी टिप्पणियों पर नज़र रखने के लिए 120 लोगों को तैनात कर रखा है।
मोईत्रा ने फ़ेक न्यूज की चर्चा की और कहा कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर जरूरत से ज़्यादा चिंतित है। उन्होंने कहा, उन्होंने सत्तारूढ़ बीजेपी के प्रचार की तुलना नात्सी राजनीतिज्ञ जोजफ़ गोएबल्स से तुलना करते हुए कहा कि आप एक झूठ को तब तक दुहराते रहते हैं जब तक वह सच नहीं बन जाता।