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टीएमसी : मोदी की केदारनाथ यात्रा आचार संहिता का उल्लंघन

टीएमसी : मोदी की केदारनाथ यात्रा आचार संहिता का उल्लंघन

तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ यात्रा के दौरान मंदिर के मास्टर प्लान बनने का एलान किया, जनसभा की और इसे लगातार टेलीविज़न पर दिखाया गया है। 

तृणमूल कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केदारनाथ यात्रा को चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन क़रार देते हुए चुनाव आयोग से शिकायत की है। 

टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने मुख्य चुनाव आयुक्त को चिट्ठी लिख कर कहा है कि चुनाव प्रचार 17 मई शाम 6 बजे ही ख़त्म हो गया, पर मोदी केदारनाथ पहुँचे हुए हैं और उनकी इस यात्रा के पल-पल का ब्योरा टेलीविज़न चैनलों पर दिखाया जा रहा है। यह एक तरह का प्रचार ही है और इसलिए आचार संहिता का उल्लंघन है। 

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तृणमूल ने कहा, 'मोदी ने यह घोषणा भी की है कि केदारनाथ का मास्टर प्लान बन तक तैयार है। इसके अलावा उन्होंने वहाँ एक जनसभा को भी संबोधित किया।'

टीएमसी ने कहा कि वहाँ मौजूद लोग 'मोदी मोदी' के नारे लगा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने अपरोक्ष रूप से वहाँ चुनाव प्रचार का रास्ता निकाल लिया। 

तृणमूल ने चुनाव आयोग की आलोचना करते हुए कहा, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि चुनाव आयोग गूंगा-बहरा बना बैठा है। उसने आयोग से माँग की है कि इस पर तुरन्त कार्रवाई की जाए और मोदी की यात्रा को टेलीविज़न पर दिखाए जाने से रोका जाए। 

तृणमूल कांग्रेस ने इसके पहले भी चुनाव आयोग से मोदी की शिकायत की थी। उन्होंने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए थे। पश्चिम बंगाल में अंतिम चरण में होने वाले मतदान के लिए चुनाव प्रचार समय से पहले ही ख़त्म करने के चुनाव आयोग के फ़ैसले को ममता बनर्जी ने भेदभावपूर्ण क़रार दिया था। उन्होने आयोग की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि यह फ़ैसला भारतीय जनता पार्टी को फ़ायदा पहुँचाने के लिए किया गया है।  इसके पहले आयोग ने कहा कि गुरुवार रात 10 बजे के बाद पश्चिम बंगाल की 9 लोकसभा सीटों पर चुनाव प्रचार नहीं किया जा सकेगा। बता दें कि पहले चुनाव प्रचार शुक्रवार शाम 5 बजे होना था। चुनाव आयोग ने एडीजी (सीआईडी) और राज्य के प्रधान सचिव (गृह) को भी हटा दिया है।

बंगाल में इस बार भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल में जोरदार लड़ाई है। लोकसभा चुनाव के छह चरणों में लगातार हिंसा हुई है। चुनाव से पहले कई बार बीजेपी ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी ने उन्हें जनसभा और पदयात्रा करने से रोकने की कोशिश की है। बीजेपी की रणनीति है कि लोकसभा चुनाव में अगर उसे कुछ राज्यों में सीटों का नुक़सान होता है तो वह उसकी भरपाई बंगाल से कर ले। दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस का लक्ष्य है कि वह पश्चिम बंगाल से जीती गई मौजूदा 34 लोकसभा सीटों को न केवल बरक़रार रखे बल्कि बीजेपी को राज्य में न घुसने दे।

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