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तिरुपति ट्रस्ट में आख़िर विदेशी मुद्राओं का ढेर क्यों लग गया?

तिरुपति ट्रस्ट में आख़िर विदेशी मुद्राओं का ढेर क्यों लग गया?

देश के सबसे ज़्यादा चढ़ावा पाने वाले ट्रस्ट तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के पास विदेशी मुद्राओं का ढेर क्यों लगता जा रहा है? आख़िर वो मुद्राएँ क्यों नहीं जमा ली जा रही हैं?

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम यानी टीटीडी के पास चढ़ावा ही इतना आता है कि उसके पास रुपयों का ढेर लगा रहता है, लेकिन अब उसको विदेशी मुद्राओं के ढेर लगने से उसके सामने एक अलग ही दिक्कत खड़ी हो गई है। देश के सबसे अमीर ट्रस्ट टीटीडी को चढ़ावा में मिले 26 करोड़ रुपये से ज़्यादा की रक़म विदेशी मुद्राओं में जमा हो गई है, लेकिन उनको उसके बैंक खाते में जमा नहीं लिया जा रहा है। ट्रस्ट के सामने यह दिक्कत इसलिए आई है कि इसका एफ़सीआरए यानी विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम के तहत पंजीकरण को नवीनीकृत नहीं किया जा सका है।

किसी ट्रस्ट या फिर संस्था को विदेशों से चंदा या चढ़ावा जैसी कुछ भी चीज हासिल करने के लिए एफसीआरए लाइसेंस का होना ज़रूरी होता है। चूँकि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के तहत कई मंदिर आते हैं और दान पेटियों में कोई भी शख्स चढ़ावा चढ़ाता है इसलिए ये मुद्राएँ इकट्ठी होती जा रही हैं।

कहा जा रहा है कि टीटीडी का पिछले तीन वर्षों से एफसीआरए के तहत पंजीकरण निलंबित है। इस वजह से गुमनाम रूप से नकदी में विदेशी मुद्रा का "हुंडी" संग्रह के रूप में बढ़ता भंडार इसके बैंक खाते में जमा नहीं किया जा सकता है। टीटीडी तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर और 70 अन्य मंदिरों का प्रबंधन करता है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अब टीटीडी ने सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है ताकि विदेशी चढ़ावा के रूप में मिली इन मुद्राओं का निपटारा हो सके।

रिपोर्ट के अनुसार टीटीडी ने हाल ही में गृह मंत्रालय को विदेशी मुद्राओं की रक़म की डिटेल भेजी है। उसमें कहा गया है कि 11.50 करोड़ रुपये मूल्य के अमेरिकी डॉलर; मलेशियाई रिंगगिट 5.93 करोड़ रुपये और सिंगापुर डॉलर 4.06 करोड़ रुपये मूल्य के हैं। इसके अलावा, यूएई का दिरहम, ब्रिटेन का पाउंड, यूरोपीय यूनियन का यूरो, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर, कनाडाई डॉलर आदि मुद्राओं की रक़म शामिल हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, लेकिन बदले में सरकार की ओर से ट्रस्ट को जुर्माना नोटिस भेजा गया है। द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि 5 मार्च को गृह मंत्रालय के एफ़सीआरए डिवीजन ने टीटीडी के मुख्य कार्यकारिणी को पत्र लिखकर बताया कि उनका वार्षिक रिटर्न 'ग़लत' प्रारूप में है और 3.19 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। समझा जाता है कि यह जुर्माना 2019 के अंत में एफसीआरए पंजीकरण के नवीनीकरण में विफल रहने के बाद टीटीडी द्वारा पहले ही भुगतान किए गए 1.14 करोड़ रुपये के जुर्माने के अतिरिक्त है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह 'तकनीकी विसंगतियाँ' है और धन का कोई दुरुपयोग नहीं है, इस कारण टीटीडी के एफ़सीआरए पंजीकरण को पिछले तीन वर्षों से ठंडे बस्ते में रखा गया है।

एफसीआरए अधिनियम में 2020 के संशोधन के अनुसार, एनजीओ द्वारा एसबीआई में एक खाता खोला जाना था। हालाँकि, दाताओं की पहचान अज्ञात होने के कारण एसबीआई ने विदेशी मुद्रा जमा करने से इनकार कर दिया है। सरकार को भेजे एक पत्र में टीटीडी ने कहा है कि एफसीआरए अधिनियम स्वैच्छिक योगदान के लिए प्रक्रिया को तय नहीं करता है 'एक हुंडी में प्राप्त रक़म जहां व्यक्ति की जानकारी नहीं होती है।' 

मंत्रालय ने टीटीडी द्वारा अपने विदेशी दान पर अर्जित ब्याज के 'उपयोग' पर भी आपत्ति जताई है, इसकी एफ़सीआरए के तहत अनुमति नहीं है। अख़बार ने लिखा है कि इस मामले में संपर्क करने पर भी टीटीडी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

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