बिहार: डायन बताकर महिलाओं को पेशाब पिलाया, पीटा, ग्रामीण देखते रहे
बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में तीन महिलाओं के साथ अमानवीयता की सारी हदें पार कर दी गईं। डायन बताकर। बंधक बनाया गया। पीटा गया। अर्द्धनग्न किया गया। बाल काटे गए। फिर मुंडन भी कर दिया गया। पेशाब पिलाया गया और कथित तौर पर मैला भी खिलाया गया। खुलेआम। बड़ी संख्या में ग्रामीणों के सामने। लेकिन न तो किसी की संवेदनाएँ जागीं और न ही किसी को रहम आया। तर्क और वैज्ञानिक सोच की तो दूर-दूर तक बात ही नहीं है!
इस पूरे घटना का किसी ने वीडियो बना लिया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसके बाद पुलिस हरकत में आई। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (पूर्वी) अमितेश कुमार ने बताया कि घटना मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले के दकरामा गाँव में सोमवार को हुई थी। इसके एक दिन बाद ही मंगलवार को 10 लोगों के ख़िलाफ़ रिपोर्ट दर्ज की गई और 9 आरोपियों को गिरफ़्तार भी किया गया। बाद की रिपोर्टों में कहा गया कि 15 लोगों के ख़िलाफ़ नामजद रिपोर्ट दर्ज की गई है।
वैसे यह कोई अकेला ऐसा मामला नहीं है। डायन बताकर यौन अत्याचार करना, उनके बाल काट देना, मुंडन कर देना, अर्द्धनग्न या कई बार पूरी तरह नग्न भी कर देना और फिर गाँव से बहार निकाल देने की घटनाएँ ग्रामीण क्षेत्रों से अक्सर आती रही हैं। लेकिन इसमें ख़ास बात यह है कि डायन सिर्फ़ महिलाएँ ही क़रार दी जाती हैं और वह भी ग़रीब और पिछड़े वर्ग, आदिवासी और दलित समुदाय की महिलाएँ ही। जिनको डायन कहा भी जाता है उनपर आरोप लगाए जाते हैं- पूजा करने को भी डायन बनने की प्रक्रिया क़रार देना, गाय ने दूध देना बंद कर दिया, कुँए में पानी सूख गया, किसी बच्चे की मौत हो गई आदि। ऐसे ही अन्धविश्वासों के कारण महिलाओं को डायन घोषित कर देने के मामले आते रहे हैं। अब जो मुज़फ़्फ़रपुर में हुआ है, वह भी कुछ ऐसा ही है।
मुज़फ़्फ़रपुर की घटना का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसे विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल ने भी ट्विटर पर रीट्वीट किया है। पुलिस के अनुसार घटना के दिन उस बारे में पुलिस को न तो पीड़ितों ने बताया और न ही ग्रामीणों ने जानकारी दी।
लेकिन मुज़फ़्फ़रपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती तीन में से एक पीड़िता 55 वर्षीय माया देवी ने 'द प्रिंट' से कहा कि डायन होने के संदेह में उनको और उनके दो रिश्तेदारों को लाठियों से पिटाई की गई और वहाँ मौजूद बड़ी संख्या में ग्रामीणों से कोई भी बचाने नहीं आया। माया देवी के बेटे भुट्टा सहनी कहते हैं कि वे डरे हुए थे इसलिए पुलिस में शिकायत नहीं कर पाए। उन्होंने यह भी कहा कि दो अन्य पीड़ित महिलाएँ पास के गाँव की रिश्तेदार थीं और दोनों घटना के बाद अपने-अपने घर चली गईं।
महिला के परिवार के सदस्य कहते हैं कि 4 मई की रात को ये महिलाएँ पूजा कर रही थीं तभी ग्रामीणों ने डायन का संदेह जता कर उन्हें पकड़ लिया। इसके बाद उन्हें बांध दिया गया और एक कमरे में बंद कर दिया गया। सुबह उन्हें पीटा गया और प्रताड़ित किया गया। 'द प्रिंट' की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित महिला के परिवार की सदस्य रंगीला देवी कहती हैं कि 'हम ग़रीब हैं इसलिए वे हमारे साथ कुछ भी कर सकते हैं। वे हमें धमकी देते रहे हैं। वे आरोप लगाते रहते थे कि वे डायन हैं लड़कों और पतियों को नुक़सान पहुँचाया है और इसलिए उन्हें गाँव में नहीं रहने देना चाहिए।'