एससी-एसटी-ओबीसी वर्ग के हज़ारों पद खाली, केंद्र सरकार की खिंचाई
एक संसदीय पैनल ने आरक्षण नीति पर सही ढंग से अमल न करने के लिये केंद्र सरकार की खिंचाई की है। पैनल ने कहा है कि केंद्र सरकार के छह अहम मंत्रालयों में अनुसूचित जाति के 7,000 से ज़्यादा, अनुसूचित जनजाति के 6,000 से ज़्यादा और ओबीसी वर्ग के 10,000 से ज़्यादा पदों को नहीं भरा गया है। कार्मिक, लोक शिकायत, क़ानून और न्याय मामलों के इस पैनल के प्रमुख बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव हैं। पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ये आंकड़े गंभीर गड़बड़ियों की ओर इशारा करते हैं।
पैनल ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह बिना देर किये और विशेष अभियान चलाकर इन खाली पदों पर नियुक्तियां करे। पैनल की ओर से कहा गया है कि सरकार को बैकलॉग रिक्तियों के कारणों का पता लगाना चाहिए और इस दिशा में तुरंत क़दम उठाना चाहिए। जिन छह अहम मंत्रालयों में पदों के रिक्त होने की बात कही गई है, उनमें डाक विभाग, परमाणु ऊर्जा, रक्षा, रेलवे, आवास और शहरी मामले और गृह मंत्रालय हैं। सबसे ज़्यादा बैकलॉग गृह मंत्रालय के आरक्षित वर्ग में है जिसमें अनुसूचित जाति के 5,850, अनुसूचित जनजाति के 5,383 और ओबीसी के 6,260 पद खाली हैं।
पैनल ने 1,494 आईएएस अधिकारियों की कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि नौकरशाहों की कमी से होने वाली समस्याओं की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए। पैनल ने सिफ़ारिश की है कि आईएएस अफ़सरों की बिना सोचे-समझे या बेतरतीब ढंग से पोस्टिंग नहीं की जानी चाहिए बजाय इसके उन्हें उनकी कुशलता, योग्यता और उनकी रूचि के अनुसार बांटा जाना चाहिए।
हाल ही में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले को लेकर ख़ासा विवाद हो चुका है। कोर्ट ने कहा है कि अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए राज्य सरकारें बाध्य नहीं हैं क्योंकि यह मौलिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई मूल अधिकार नहीं है, जिसके आधार पर कोई व्यक्ति प्रमोशन में आरक्षण का दावा कर सके। ऐसे में एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग की नौकरियों का बढ़ता बैकलॉग निश्चित रूप से बेहद गंभीर विषय है और सरकार को खाली पदों को भरने की दिशा में जल्द और ठोस क़दम उठाने चाहिए जिससे संविधान के हिसाब से इन वर्ग के लोगों को दिये गये आरक्षण का सही लाभ उन्हें मिल सके।