मणिपुर पुलिस इतनी निरीह कि एक भीड़ आती है और उसके हथियार लूट लेती है
मणिपुर पिछले तीन महीने से हिंसा की आग में जल रहा है। करीब 150 लोगों की मौत और हजारों लोगों के विस्थापन के बाद भी मणिपुर में हिंसा का कुचक्र खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इस हिंसा में जो बात सामने आ रही है वह यह कि, इसका एक बड़ा कारण भीड़ द्वारा पुलिस से लूटे हुए हथियार हैं। इन हथियारों का इस्तेमाल कर हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है।
लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि आखिर मणिपुर पुलिस और राज्य के दूसरे सशस्त्र बलों से भीड़ हथियार कैसे लूट ले रही है। क्या पुलिस का डर लोगों के मन से खत्म हो चुका है? क्या कानून का राज मणिपुर से खत्म हो चुका है? मणिपुर में पुलिस और सशस्त्र बल इतने निरीह और कमजोर कैसे हो गए कि एक भीड़ आती है और उनके थानों-कैंप पर हमला करती है और उनके हथियार छीन कर ले जाती है। इन हमले में वे बेहद आसानी से हथियार ले जाने देते हैं। ध्यान देने की बात है कि इस जातीय हिंसा की शुरुआत से ही हथियार लूटे जाने की घटनाएं हो रही हैं और पिछले गुरुवार तक हुई हैं।
पुलिस से हथियार छीनने की ऐसी घटनाएं तो पंजाब और कश्मीर जैसे आतंकवाद प्रभावित राज्यों में भी नहीं होती थी।
वहीं मणिपुर में 7वीं मणिपुर राइफल्स बटालियन, 8वीं इंडिया रिजर्व बटालियन के साथ-साथ पूरे मणिपुर में स्थानीय पुलिस स्टेशन के शस्त्रागारों और थानों से हथियार लूटे जा चुके हैं।
पिछले गुरुवार को भी भीड़ ने लूटे थे हथियार
स्थिति कितनी खराब है इसे इस बात से समझा जा सकता है कि हिंदुस्तान टाइम्स की शुक्रवार की एक रिपोर्ट के मुताबिक
पिछले गुरुवार को मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में इंडिया रिजर्व बटालियन (आईआरबी) के शिविर पर हमला करने के बाद 500 लोगों की भीड़ ने असॉल्ट राइफलों और मोर्टार सहित हथियार और गोला-बारूद लूट लिया।
मोइरांग पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत में, द्वितीय आईआरबी बटालियन के क्वार्टर मास्टर ओ प्रेमानंद सिंह ने कहा कि हमलावरों ने सुबह 9:45 बजे के आसपास शिविर में घुसने के बाद मुख्य द्वार पर संतरी और क्वार्टर गार्ड को अपने कब्जे में ले लिया।
उन्होंने बटालियन के शस्त्रागार के दो दरवाजे तोड़ दिए और बड़ी संख्या में हथियार, गोला-बारूद, युद्ध सामग्री और अन्य सामान लूट लिया।
शिकायत में कहा गया है कि लूटे गए हथियारों और गोला-बारूद की संख्या को सूचीबद्ध करने वाले एक रजिस्टर में कहा गया है कि उनमें असॉल्ट राइफलें, पिस्तौल, मैगजीन, मोर्टार, डेटोनेटर, हथगोले, बम, कार्बाइन, हल्की मशीन गन और 19,000 से अधिक राउंड गोलियां शामिल हैं ।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक लूटे गए हथियारों में एक एके सीरीज असॉल्ट राइफल, 25 इंसास राइफल, 4 घातक राइफल, 5 इंसास एलएमजी, 5 एमपी-5 राइफल, 124 हैंड ग्रेनेड, 21 एसएमसी कार्बाइन, 195 एसएलआर आदि शामिल हैं।
27 मई को पुलिस प्रशिक्षण को बनाया निशाना
मणिपुर में बीते 27 मई को, भीड़ ने इंफाल पूर्व के पांगेई में मणिपुर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र पर हमला कर दिया था। यहां से राइफल, मशीन गन, कार्बाइन, ग्रेनेड, आंसू गैस के गोले और हजारों राउंड गोला बारूद सहित हथियारों का जखीरा लूट लिया था।
4 हजार से अधिक हथियार लूटे जा चुके हैं
3 मई को मणिपुर में मैतई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा शुरू होने के बाद से भीड़ द्वारा पुलिस स्टेशनों और शस्त्रागारों पर हमला करने की घटनाएं होने लगी है।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक लगभग 4,000 हथियार और 5 लाख राउंड गोलियां लूट ली गई हैं। हिंसा में 150 लोगों की जान चली गई है और करीब 50,000 लोग विस्थापित हो चुके हैं।
रिपोर्ट कहती है कि पिछले महीने के अंत तक केवल लगभग 1,000 हथियार ही बरामद हो पाए थे। बिष्णुपुर में ताजा हथियारों की लूट क्षेत्र में कड़ी सुरक्षा के बीच हुई है।
इनकी बरामदगी तक हिंसा नहीं होगी खत्म
द प्रिंट की एक रिपोर्ट कहती है कि मणिपुर में पुलिस से लूटे गए हथियारों में AK-47 से लेकर कार्बाइन तक शामिल हैं।
पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, लूटे गए करीब 4,500 से अधिक हथियारों में से अब तक केवल 1,195 ही बरामद किए गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन हथियारों की बरामदगी तक मणिपुर में हिंसा खत्म नहीं होगी।
द प्रिंट की रिपोर्ट कहती है कि मणिपुर में जो रक्तपात हो रहा है उसको बढ़ावा पुलिस के शस्त्रागारों से लूटे गए हथियारों से मिल रहा है।
इन हथियारों के दर्ज रिकॉर्ड की कमी भी इनकी बरामदगी में बड़ी बाधा है। लूट के समय कई जगहों पर हिंसक भीड़ ने हथियारों के रिकॉर्ड रखे जाने वाले रजिस्टरों को भी लूट लिया था। इसके कारण कई जगहों पर तो कितने हथियारों की लूट हुई इसकी सही संख्या भी नहीं मालूम चल पा रही है।
इन हथियारों की बरामदगी में दूसरी सबसे बड़ी बाधा मणिपुर में पुलिस के बीच जातीय विभाजन है। इस के कारण पुलिस पर आरोप लग रहा है कि अपने जातीय समूह की भीड़ के प्रति वह सख्ती नहीं बरत रही है। आरोप यहां तक लग रहे हैं कि कई जगहों पर पुलिस ने बिना प्रतिरोध के ही हथियारों को भीड़ द्वारा लूटे जाने दिया। ऐसे में इन हथियारों को फिर से हासिल करना एक चुनौती है।
इसके साथ ही हथियारों के लूट कांड की जांच और गिरफ्तारी की कमी, स्थानीय लोगों का प्रतिरोध और सुरक्षा बलों का गिरा हुआ मनोबल भी इसकी बरामदगी में बड़ी बाधाएं हैं।
मौत का सबसे बड़ा कारण ये हथियार ही हैं
द प्रिंट की रिपोर्ट कहती है कि जब पिछले दिनों में मणिपुर के कांगवई और मोरेह में हिंसा का ताजा दौर शुरू हुआ तो इसमें जमकर गोलीबारी हुई। लोगों के घर जलाए गए और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। इन हिंसाओं में एक बात जो सभी समान रूप से देखी गई थी वह यह थी कि इनमें पुलिस से लूटे गए हथियारों का इस्तेमाल हुआ था।
अगर अस्पतालों के आंकड़ों को देखें तो इन हथियारों के गंभीर परिणामों का पता चलता है। ये आंकड़े बताते हैं कि मणिपुर में सबसे अधिक मौतों का कारण गोली लगना है।