+
आतंकवादी घटनाएँ बढ़ी ही नहीं, ज़्यादा घातक भी होती गईं

आतंकवादी घटनाएँ बढ़ी ही नहीं, ज़्यादा घातक भी होती गईं

पुलवामा की आतंकी घटना कोई पहली घटना नहीं है। इसके बावजूद सरकारें इसे रोक पाने में लगातार असफल रही हैं। ऐसी घटनाओं का कम होना तो दूर की बात है, इसकी संख्या में बढ़ोतरी ही हुयी है।

पुलवामा की आतंकी घटना कोई पहली घटना नहीं है। इसके बावजूद सरकारें इसे रोक पाने में लगातार असफल रही हैं। ऐसी घटनाओं का कम होना तो दूर की बात है, इसकी संख्या में बढ़ोतरी ही हुयी है। अब साल 2018 की घटनाओं की ही 2017 से तुलना करें तो यह अंतर साफ़ दिख जाएगा। गृह मंत्रालय के आँकड़ों में कहा गया है कि 2017 में 342 आतंकवादी घटनाएँ हुयी थीं जो 2018 में बढ़कर 429 हो गयीं। हालाँकि, 2018 में पुलवामा या उरी जैसा बड़ा हमला तो नहीं हुआ, लेकिन छिटपुट घटनाएँ काफ़ी ज़्यादा हुयीं जिनमें जवान भी शहीद हुए और स्थानीय लोगों की जानें भी गयीं। 

पुलवामा हमला : अब इसलाम के नाम पर बरगलाया जा रहा है कश्मीर के युवाओं को

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 2017 में जहाँ 40 नागरिकों की मौत हुई वहीं 2018 में यह संख्या बढ़कर 77 हो गयी। 2017 में जहाँ 213 आतंकवादी मारे गये थे वहीं 2018 में 223 मारे गये। 2017 में 80 सुरक्षा कर्मियों की जानें गयी थीं। 2018 में भी 80 जवान ही शहीद ही हुए।

हाल के सालों में बड़ी आतंकी घटनाएँ 

  • 9 जनवरी, 2017 : आतंकियों ने जम्मू के अखनूर सेक्टर के जीआरईएफ़ कैम्प पर धावा बोल दिया। इस हमले में तीन नागरिक की मौत हो गई थी। 
  • 12 फरवरी, 2017: कुलगाम ज़िले के फ्रिजल इलाक़े में नागबल में हुए आतंकी हमले में 2 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए जबकि 2 नागरिक की भी मौत हो गई थी। इस हमले में 24 घायल हुए। चारों आतंकी मार गिराये गए थे।
  • 14 फरवरी, 2017 : बांदीपुरा जिले के हाजन इलाके में हुए आतंकी हमले में तीन की मौत हो गई थी। छह घायल हुए थे। एक आतंकवादी को भी मार गिराया गया था।
  • 23 फ़रवरी, 2017 : कश्मीर के शोपियां जिले के मुलू चित्रगाम इलाक़े में हुए आतंकी हमले में 4 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए, जबकि एक घायल हुए थे। 
  • 13 जून, 2017 : आतंकियों ने कश्मीर के पुलवामा ज़िले के त्राल इलाक़े में धावा बोल दिया। इसमें 10 सीआरपीएफ़ जवान घायल हो गए थे।
  • 16 जून, 2017: आतंकियों ने अनंतनाग ज़िले के अचबल में पुलिस दल पर घात लगाकर हमला कर दिया। इसमें छह पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।
  • 10 जुलाई, 2017 : आतंकियों ने 56 अमरनाथ श्रद्धालुओं को लेकर जा रही एक बस पर दक्षिणी कश्मीर के श्रीनगर जम्मू नेशनल हाइवे पर धावा बोल दिया था। सात श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 15 घायल हुए थे।
  • 27 अगस्त, 2017 : आतंकियों ने पुलवामा टाउन के हाई सिक्योरिटी जोन माने जानेवाले डिस्ट्रिक्ट पुलिस लाइंस में घुसकर हमला कर दिया था। इसमें आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।
  • 1 सितंबर, 2017 : जम्मू कश्मीर आर्म्ड पुलिस को लेकर जा रही एक बस पर आतंकियों ने धावा बोल दिया था। इस हमले में तीन पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। 
  • 28 सितंबर, 2017 : छुट्टी में अपने घर हाजिन आए बीएसएफ कांस्टेबल रमीज पर्रेय को आतंकियों ने घर से खींचकर गोली मार दी थी।
  • 3 अक्टूबर, 2017 : जैश ए मोहम्मद के तीन आतंकियों ने श्रीनगर एयरपोर्ट के पास बीएसएफ़ के 182वीं बटालियन पर आत्मघाती हमला कर दिया था। इसमें बीएसएफ़ के एक असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर शहीद हो गए, जबकि तीन आतंकी मारे गए थे।

बदलाव : लोकल कश्मीरी का आत्मघाती हमलावर बनना भारत के लिए ख़तरनाक

2016 में उरी से लेकर पठानकोट तक के बड़े हमले

  • 18 सितंबर, 2016 : रविवार को उरी में हुए आतंकी हमले में 20 जवान शहीद हो गए जिसमें 15 जवान बिहार रेजिमेंट और 5 जवान डोगरा रेजिमेंट के थे। 
  • 11 सितंबर, 2016 : यह हमला पठानकोट एयरबेस की तरह हुआ था। 3 दिन लंबे चले इस हमले में 6 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। साथ ही 4 आतंकी भी मारे गए थे।
  • 17 अगस्त, 2016 : हिजबुल संगठन ने श्रीनगर-बारामूला हाईवे पर सेना के काफिले पर हमला किया जिसमें 8 जवान शहीद हुए थे।
  • 26 जून, 2016 : पंपोर के पास श्रीनगर हाइवे पर सीआईपीएफ काफिले पर हमला किया गया जिसमें 8 जवान शहीद हुए थे। 
  • 2 जनवरी, 2016 : पंजाब प्रांत के पठानकोट में जेश-ए-मोहम्मद के 6 आतंकियों ने घुसपैठ की और पठानकोट एयरबेस को निशाना बनाया थे। 4 दिन लंबे चले इस हमले में 7 जवान शहीद हुए थे।
  • 27 जुलाई, 2015 : पंजाब के गुरदासपुर में तीन आतंकियों ने दीना नगर पुलिस स्टेशन पर हमला किया जिसमें एसपी सहित 4 पुलिसकर्मी और 3 सीविलियन भी मारे गए थे।
  • 5 दिसंबर, 2014 : बारामुला के उरी सेक्टर में मोहरा में सेना के 31 फील्ड रेजिमेंट पर हमला हुआ जिसमें एक ले. कर्नल और 7 जवान शहीद हुए थे। जम्मू कश्मीर का एक एएसआई और दो कांस्टेबल भी शहीद हुए थे

आतंकवादियों की ऐसी घटनाएँ पहले भी होती रही हैं। साल 2013 में तो दो जवानों के सर कलम कर मानवता को शर्मसार करने वाला काम किया गया था। 

पुलवामा हमला :  10 प्वाइंट में जानें जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले में क्या हुआ

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें