कश्मीर में फिर आतंकी हमला, जवान की मौत, मेजर सहित 4 सैन्यकर्मी घायल, एलओसी पर तनाव
जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा पर शनिवार 27 जुलाई को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान एक सैनिक शहीद हो गया और चार अन्य घायल हो गए। सेना ने कहा कि मुठभेड़ में एक "पाकिस्तानी व्यक्ति" भी मारा गया।
सूत्रों का कहना है कि यह पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम (बीएटी) का हमला लगता है। बीएटी फरवरी 2021 में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम समझौते से पहले कई हमलों में शामिल रही है।
एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा, "यह एक आक्रामक कार्रवाई है और स्पष्ट रूप से एलओसी पर तनाव बढ़ गया है।" यह 'कारगिल विजय दिवस' के एक दिन बाद हुआ है जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी थी और कहा था कि भारतीय सेना हर आतंकी चुनौती को हरा देगी।
Firing in Macchal Sect
— Chinar Corps🍁 - Indian Army (@ChinarcorpsIA) July 27, 2024
There has been exchange of fire with unidentified personnel on a forward post in Kamkari, Macchal Sector on the line of control. One Pakistani person has been killed while two of our soldiers have suffered injuries and have been evacuated.
Operations are… pic.twitter.com/DAOCpovrYT
एक्स पर एक बयान में सेना ने कहा कि अज्ञात लोगों के साथ गोलीबारी हुई, लेकिन पाकिस्तानी सेना या आतंकवादियों का नाम नहीं लिया गया। सेना ने कहा- "नियंत्रण रेखा पर माछिल सेक्टर में एक अग्रिम चौकी पर अज्ञात कर्मियों के साथ गोलीबारी हुई है। एक पाकिस्तानी व्यक्ति की मौत हो गई है, जबकि हमारे दो सैनिक घायल हो गए हैं और उन्हें निकाल लिया गया है। ऑपरेशन जारी है।"
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इस हमले से इस महीने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हिंसा में मरने वाले सैन्यकर्मियों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है।
इससे पहले 24 जुलाई को, जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास संदिग्ध पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ टकराव के दौरान घातक गोली लगने से भारतीय सेना ने गैर-कमीशन अधिकारी (एनसीओ) नायक दिलवर खान को खो दिया। 23 जुलाई को, 7 जाट रेजिमेंट के 28 वर्षीय लांस नायक सुभाष चंदर की पुंछ जिले के कृष्णा घाटी बेल्ट में घुसपैठ विरोधी अभियान के दौरान मौत हो गई। इससे पहले, 15 जुलाई को डोडा जिले में गोलीबारी में 10 राष्ट्रीय राइफल्स के एक कैप्टन और तीन सैनिक मारे गए थे। 8 जुलाई को कठुआ जिले के माचेडी जंगल में घात लगाकर किए गए हमले में 22 गढ़वाल राइफल्स के पांच सैनिकों की जान चली गई थी। . .
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इस सप्ताह की शुरुआत में उसी क्षेत्र में एलओसी का दौरा किया और घुसपैठ और आतंकवादी हमलों से निपटने के लिए बलों की तैयारियों की समीक्षा की थी। इसी तरह बढ़ती आतंकी घटनाओं के बीच, पीएम मोदी ने भी हाल ही में जम्मू-कश्मीर की स्थिति का आकलन करने के लिए एक समीक्षा बैठक की थी। लेकिन आतंकी घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।
गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने प्रधानमंत्री को केंद्र शासित प्रदेश की सुरक्षा संबंधी स्थिति और सशस्त्र बलों द्वारा किए जा रहे आतंकवाद विरोधी अभियानों की पूरी जानकारी दी थी। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से भी बात की। सिन्हा ने भी उन्हें स्थानीय प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री ने अधिकारियों से सशस्त्र बलों की आतंकवाद विरोधी क्षमताओं का पूरा स्पेक्ट्रम तैनात करने को कहा है।
केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 यह कह कर हटाई थी कि इससे आतंकवाद का सफाया हो जाएगा। उसने उसी के साथ पूरे जम्मू कश्मीर को तीन हिस्सों में बांट दिया था। भारतीय सेना की सबसे ज्यादा तैनाती कश्मीर घाटी में है। करीब एक लाख सैनिक जम्मू कश्मीर में चप्पे-चप्पे पर तैनात हैं। जम्मू कश्मीर के तमाम राजनीतिक और अलगाववादी नेता अपना महत्व और रुतबा खो चुके हैं। हाल के लोकसभा चुनाव में कश्मीर के दो प्रमुख नेता उमर अब्दुल्लाह और महबूबा मुफ्ती चुनाव हार गए। कश्मीर का अवाम क्या चाहता है, केंद्र सरकार इसे समझ नहीं पा रही है।