मंदिरः अलवर में माहौल गरम, सांसद ने बुधवार को जनता रैली बुलाई
राजस्थान के अलवर में माहौल गरमाने की कोशिश जारी है। अलवर के बीजेपी सांसद योगी बालकनाथ के नेतृत्व में बुधवार को प्रदर्शन होने जा रहा है। जनता से शहीद स्मारक पहुंचने को कहा गया है। जनता से कहा गया है कि धर्म रक्षा के लिए आगे आना होगा। राजस्थान में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस बीच राजस्थान सरकार ने अलवर में प्राचीन शिव मंदिर गिराने के मामले में अलवर नगर पालिका अध्यक्ष, एसडीएम और एक अन्य अफसर को निलंबित कर दिया है। अलवर में अगर बुधवार को ज्यादा भीड़ जुटती है तो सरकार के लिए कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा हो सकती है। इस रैली में भीड़ लाने के लिए बीजेपी ने व्यापक तैयारी की है। उसके तमाम पदाधिकारियों को इस काम में लगाया गया है। सोशल मीडिया पर बीजेपी राजस्थान का हर नेता एक जैसा ही पोस्टर जारी कर रहा है। जिसमें हिन्दुओं की रक्षा के लिए आगे आने को कहा गया है। अलवर में शिव मंदिर गिराने के बाद बीजेपी और उससे जुड़े संगठनों ने मुद्दे को हवा दे दी है। हालांकि नगर पालिका अध्यक्ष सतीश दुहरिया बीजेपी का नेता है। नगर पालिका ने ही उस मंदिर को गिराने का आदेश दिया था। लेकिन बीजेपी ने जबरदस्त पैंतरेबाजी करते हुए यहां राजनीति खेली। नगर पालिका अध्यक्ष के अलावा निलंबित अधिकारियों में राजगढ़ एसडीएम केशव कुमार मीणा, नगर पंचायत के कार्यकारी अधिकारी बनवारी लाल मीणा शामिल हैं।
पालिका अध्यक्ष दुहरिया ने निलंबन पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे गलत बताया। उन्होंने कहा, बोर्ड ने अपने प्रस्तावों में कभी भी किसी मंदिर विध्वंस या मास्टरप्लान का उल्लेख नहीं किया है। मैं हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाऊंगा।अलवर में यह मामला तब बढ़ा जब नगर पालिका ने 81 नोटिस जारी कर सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण खाली करने को कहा। इसके बाद जब अतिक्रमण विरोधी अभियान शुरू हुआ तो बीजेपी और कांग्रेस के बीच राजनीतिक संघर्ष शुरू हो गया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी नगर पालिका को नियंत्रित करती है, जिसने डिमोलिशन का संचालन किया। लेकिन बीजेपी ने जिम्मेदारी कांग्रेस पर डालते हुए कहा कि कांग्रेस ने मंदिर गिराकर हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाई है।
बहरहाल, अलवर जिला कलेक्टर ने सरकार को तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजी है। रिपोर्ट के मुताबिक 8 सितंबर 2021 को नगर पालिका बोर्ड की दूसरी बैठक में मास्टर प्लान और गौरव पथ में दिक्कतें बताते हुए अतिक्रमण हटाने का प्रस्ताव पास किया गया था। 6 अप्रैल को सभी अतिक्रमणों को चिन्हित कर नोटिस जारी किया गया था।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि नगर पालिका के कार्यपालक अधिकारी (ईओ) ने 12 अप्रैल 2022 को अतिक्रमण हटाने के दौरान पुलिस कर्मियों की मांग की थी। दो दिन पहले सभी को अतिक्रमण हटाने की सूचना दी गई थी। जिस मंदिर को लेकर विवाद है, उसके बारे में रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इसे हाल ही में एक नाले पर बनाया गया था। अतिक्रमण हटाए जाने से पहले ही मूर्तियों को हटा दिया गया था। हटाई गई मूर्तियों को राजगढ़ नगर पालिका द्वारा कानून के अनुसार अन्यत्र स्थापित किया जा रहा है।