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तेलंगाना पुलिस का दावा- रोहित वेमुला दलित नहीं थे; क्लोजर रिपोर्ट दायर

तेलंगाना पुलिस का दावा- रोहित वेमुला दलित नहीं थे; क्लोजर रिपोर्ट दायर

हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के पीएचडी स्कॉलर रोहित वेमुला की आत्महत्या के 6 साल बाद आख़िर तेलंगाना पुलिस ने किस आधार पर दलित मानने से इनकार किया? जानिए, इसने क्या कहा है।

रोहित वेमुला को अब तेलंगाना पुलिस ने दलित मानने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही इसने 2016 में हैदराबाद विश्वविद्यालय के पीएचडी स्कॉलर रोहित वेमुला की मौत की जांच बंद कर दी है। अदालत में सौंपी अपनी रिपोर्ट में पुलिस ने दावा किया है कि वह दलित नहीं थे और संभवतः इसी डर के कारण कि उनकी असली जाति उजागर हो जाएगी, उन्होंने आत्महत्या कर ली। इसने सभी आरोपियों को आरोपमुक्त भी कर दिया है। रोहित वेमुला मामले की जांच पिछली केसीआर सरकार में पूरी हुई थी और अब रेड्डी सरकार में यह रिपोर्ट सौंपी गई है। वेमुला के परिवार ने पुलिस के इस दावे को खारिज किया है और कहा है कि वह इसके ख़िलाफ़ लड़ेगा।

पुलिस ने 2016 में आत्महत्या के लिए उकसाने और एससी और एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। आरोपियों में सिकंदराबाद के तत्कालीन सांसद बंडारू दत्तात्रेय, एमएलसी एन रामचंदर राव और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी- सभी भाजपा नेता थे। इनके साथ ही हैदराबाद विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति पी अप्पा राव को भी आरोपी बनाया गया था। क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के साथ ही पुलिस ने आरोपियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। 

हैदराबाद विश्वविद्यालय के 26 वर्षीय छात्र रोहित वेमुला की 17 जनवरी, 2016 को मृत्यु हो गई थी। उन्होंने खुदकुशी की थी। आरोप है कि उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थानीय इकाई की शिकायत के बाद चार अन्य लोगों के साथ विश्वविद्यालय से निलंबित कर दिया गया था। 

इससे पहले रोहित वेमुला को यूनिवर्सिटी ने कथित तौर पर आंबेडकर छात्र संघ के बैनर तले मुद्दों को उठाने के लिए निलंबित कर दिया था। जब वेमुला और अन्य को उनके छात्रावास के कमरों से बाहर निकाल दिया गया तो उनके लिए बिना सरकारी अनुदान के रोजमर्रा की ज़रूरतें पूरी करना मुश्किल हो गया। फिर यूनिवर्सिटी के फ़ैसले का विरोध करने के लिए उन्होंने भूख हड़ताल शुरू कर दी।

वेमुला ने अपने पीछे एक दिल दहला देने वाला नोट छोड़ कर फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी। इसमें उन्होंने एक दलित छात्र के संघर्ष का वर्णन किया था, और एक दलित के रूप में अपने जन्म को एक घातक दुर्घटना बताया था। 

वेमुला की आत्महत्या और चिट्ठी के बाद जेएनयू, एएमयू, जामिया और दिल्ली यूनिवर्सिटी समेत तमाम शहरों में छात्रों ने आंदोलन शुरू कर दिया था। यह आंदोलन उच्च शिक्षा संस्थानों में जातिवाद के खिलाफ था।

बहरहाल, अब तेलंगाना पुलिस ने केस बंद करने की बात कही है। रोहित के भाई राजा वेमुला ने कहा है कि पुलिस के इस फैसले से उनका परिवार सदमे में है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'तेलंगाना पुलिस की ज़िम्मेदारी यह जांच करने की थी कि क्या मेरे भाई को इस हद तक परेशान किया गया था कि उसने अपनी जान ले ली। इसके बजाय, वे फिर से उसकी जाति पर चले गए। हम इसे छोड़ेंगे नहीं, हम लड़ने जा रहे हैं।'

रिपोर्ट के अनुसार राजा ने कहा कि परिवार मामले को फिर से खोलने के लिए तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी से संपर्क करेगा, जिन्होंने पहले हमारा समर्थन किया था।

बता दें कि नवंबर 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने रोहित वेमुला की मां से मुलाकात की थी। रोहित की मां भी यात्रा में शामिल हुई थीं। राहुल ने ट्वीट किया था - रोहित की माँ से मिलने से, यात्रा के लक्ष्य की ओर कदमों को नया साहस मिला और मन को नई ताकत मिली।

रोहित की मां राधिका वेमुला ने अंग्रेजी अख़बार से कहा है कि वह और उनके बच्चे अनुसूचित जाति समुदाय से हैं। उन्होंने कहा, 'मैंने हमेशा कहा है कि हम एससी माला समुदाय से हैं, और मेरा पालन-पोषण एक ओबीसी परिवार में हुआ है। इसमें कोई विवाद नहीं है कि हम अनुसूचित जाति से हैं।'

शुक्रवार को तेलंगाना उच्च न्यायालय में दायर की गई पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि रोहित की आत्महत्या के लिए कोई जिम्मेदार था। इसमें यह भी दावा किया गया कि रोहित द्वारा प्रस्तुत जाति प्रमाण पत्र जाली थे और वह एससी वर्ग से नहीं थे। इसमें आरोप लगाया गया कि उनकी मां ने उन्हें एससी प्रमाण पत्र दिलाने में मदद की थी।

भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के सदस्य रामचंदर राव ने कहा कि पुलिस का फैसला ऐसा ही आने वाला था। उन्होंने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी ने रोहित की आत्महत्या का राजनीतिकरण करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, 'इस मामले में ऐसा क्या था कि हमारा नाम इसमें घसीटा गया? कांग्रेस ने इसका राजनीतिकरण करने की कोशिश की और युवा की दुर्भाग्यपूर्ण आत्महत्या का फायदा उठाया। राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल और सभी 'शहरी नक्सलियों' ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए रोहित और उसके परिवार की मौत का फायदा उठाया। उन्हें रोहित के परिवार से माफी मांगनी चाहिए।'

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