रेवंत रेड्डी ही होंगे तेलंगाना के अगले कांग्रेस सीएम, सिर्फ घोषणा बाकी
तेलंगाना कांग्रेस प्रमुख रेवंत रेड्डी के अगला मुख्यमंत्री होने की संभावना है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस नेतृत्व ने इस हरी झंडी दिखा दी है और रेड्डी के बुधवार या गुरुवार को शपथ लेने की संभावना है। तेलंगाना प्रभारी डीके शिवकुमार और कांग्रेस पर्यवेक्षकों ने मंगलवार दोपहर को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। उसके मुताबिक रेवंत रेड्डी के नाम पर सहमति बनती नजर आ रही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उत्तम कुमार रेड्डी और भट्टी विक्रमार्क को उपमुख्यमंत्री पद दिया जा सकता है या उन्हें किसी अच्छे पोर्टफोलियो पर समायोजित किया जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि राज्य में कोई रोटेशनल मुख्यमंत्री फॉर्मूला नहीं होगा। रेवंत रेड्डी के तेलंगाना के नए मुख्यमंत्री होने की चर्चा के बीच उत्तम रेड्डी कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख डी के शिवकुमार से मिलने उनके आवास पर पहुंचे। जब उनसे पूछा गया कि रेवंत मुख्यमंत्री की पसंद हैं या बीआरएस ने कांग्रेस विधायकों से संपर्क किया है, तो उत्तम रेड्डी ने चुप रहना बेहतर समझा।
तेलंगाना के सीएम का फैसला कांग्रेस मंगलवार को करने जा रही है। तेलंगाना के एआईसीसी प्रभारी माणिकराव ठाकरे और विशेष पर्यवेक्षक डीके शिवकुमार मंगलवार दोपहर 12 बजे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से दिल्ली में उनके आवास पर मिले और सोमवार को हैदराबाद में हुई सीएलपी बैठक की रिपोर्ट सौंप दी।
सोमवार को कांग्रेस सीएलपी की बैठक में विधायकों ने आमराय से फैसला लिया कि तेलंगाना के सीएम का नाम तय करने की जिम्मेदारी पार्टी आलाकमान निभाए, उसका जो फैसला होगा, उसे मान लिया जाएगा। हालांकि ज्यादातर विधायक रेवंत रेड्डी के पक्ष में नजर आ रहे हैं। रेवंत इस समय प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी है। वो पार्टी आलाकमान की भी पसंद हैं।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी तेलंगाना का सीएम चेहरा तय करने से पहले सभी औपचारिकताएं पूरी करना चाहती है ताकि पार्टी में गलत संदेश न जाए। उसे अपने पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट मिलने के बाद ही यह फैसला लेना है। क्योंकि कांग्रेस में यह पुरानी परंपरा है। फैसला आलाकमान ही करता है लेकिन निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया जाता है।
हालांकि रेवंत रेड्डी सबसे आगे हैं। लेकिन पार्टी के सीएलपी नेता भट्टी विक्रमार्क ने भी शीर्ष पद के लिए अपनी महत्वाकांक्षाएं स्पष्ट कर दी हैं। सूत्रों ने कहा कि एक सुझाव यह है कि पार्टी को कर्नाटक का रास्ता अपनाना चाहिए. जहां एक नेता को मुख्यमंत्री पद मिलेगा, वहीं दूसरे को राज्य का उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया जाएगा। यानी सिद्धरमैया को सीएम बनाया गया और डीके शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री बनाया गया।
भट्टी विक्रमार्क और रेवंत रेड्डी के बीच अंदरूनी कलह की अफवाहें हैं और कांग्रेस को किसी भी नतीजे से बचने के लिए सुलह का रास्ता अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। रेवंत रेड्डी और भट्टी विक्रमार्क दोनों ने अपने-अपने गृह निर्वाचन क्षेत्रों कोडंगल और मधिरा से जीत हासिल की।
भट्टी विक्रमार्क, जो 1990 से कांग्रेस में हैं, 2009 में विधायक चुने गए थे। रेवंत रेड्डी 2017 में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) से कांग्रेस में शामिल हुए थे। कांग्रेस के वफादार के रूप में उनकी परीक्षा बाकी है। कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि विक्रमार्क का पुराना कांग्रेसी होना आंतरिक सत्ता संघर्ष की खास वजह है।
तेलंगाना कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रमुख उत्तम कुमार रेड्डी और रेवंत रेड्डी के बीच भी मतभेद है। कांग्रेस आलाकमान पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को नजरन्दाज करके रेवंत या भट्टी विक्रमार्क में से किसी को चुन सकता है। भट्टी ने खम्मम के मधिरा निर्वाचन क्षेत्र से लगातार तीन बार जीत हासिल की है।
रेवंत रेड्डी को तेलंगाना में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का श्रेय दिया जाता है, जहां दो महीने पहले तक बहुत कम या कोई गति नहीं थी। दो साल पहले तेलंगाना कांग्रेस प्रमुख की भूमिका संभालने के बाद से, रेवंत तेलंगाना की राजनीति में एक प्रमुख चेहरा रहे हैं और उन्होंने पार्टी के भीतर कई लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। जब उन्होंने कांग्रेस पार्टी के 'हाथ से हाथ जोड़ो अभियान' अभियान के तहत पदयात्रा की तो उन्हें राजनीतिक गति मिली। हालाँकि, उन्हें प्रमुखता दिए जाने से पार्टी में नाराज़गी भी पैदा हुई है।