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ममता बनर्जी, शरद पवार को लेकर बीजेपी-विरोधी मोर्चे की जुगत में हैं तेजस्वी?

ममता बनर्जी, शरद पवार को लेकर बीजेपी-विरोधी मोर्चे की जुगत में हैं तेजस्वी?

क्या तेजस्वी यादव ममता बनर्जी, शरद पवार और अखिलेश यादव को साथ लेकर तीसरे मोर्चे के गठन की तैयारी में हैं? 

क्या तेजस्वी यादव ममता बनर्जी, शरद पवार और अखिलेश यादव को साथ लेकर तीसरे मोर्चे के गठन की तैयारी में हैं? क्या वे इसके लिए इन नेताओं को इस पर राजी करा पाएंगे कि किसी सर्वमान्य नेता पर सहमति तैयार करने का इंतजार किए बग़ैर ही विपक्ष के इन सभी नेताओं को एकजुट हो जाना चाहिए और बीजेपी के ख़िलाफ़ एक संगठित मोर्चा बना लेना चाहिए।

राष्ट्रीय जनता दल के इस नेता ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से बात करते हुए कहा कि सभी राजनीतिक दलों को आपसी मतभेद भुला कर और अहम छोड़ कर एकजुट हो चाहिए वर्ना इतिहास उन्हें माफ़ नहीं करेगा। 

उन्होंने व्यक्ति आधारित राजनीति के बजाय मुद्दों पर आधारित राजनीति पर ज़ोर दिया और कहा कि विपक्ष के पास मुद्दों की कमी नहीं है, इन मुद्दों के इर्द-गिर्द रणनीति तैयार की जानी चाहिए।

क्या कहा तेजस्वी ने?

कई राज्यों में लगातार हार का सामना कर रही और तेज़ी से सिकुड़ रही कांग्रेस पार्टी को भी पूरी अहमियत के साथ लेकर चलने की सलाह देते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि कांग्रेस वह दल है, जो बीजेपी के ख़िलाफ़ 200 सीटों पर चुनाव लड़ती है। लिहाज़ा, भविष्य की किसी भी बीजेपी-विरोधी राजनीति में कांग्रेस को छोड़ कर आगे नहीं बढ़ा जा सकता है। 

उन्होंने कहा, “हम अगर लोगों को समझा नहीं पाते, तो इसमें हमारी कमी है। शायद हम उन्हें एकजुट दिखाई नहीं देते, इसीलिए हमें अपने सारे मतभेद भुलाने होंगे, अपने-अपने अहंकार को दरकिनार रखना होगा और ये देखे बिना आगे बढ़ना होगा कि अगर हम जीते तो हमें क्या मिलेगा।”उन्होंने बीजेपी को रोकने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा,

देश बचेगा, तभी तो नेतागिरी बचेगी। लेकिन बीजेपी वाले ज़्यादा वक़्त तक रहे, तो देश में कुछ नहीं बचेगा।


तेजस्वी यादव, नेता, राष्ट्रीय जनता दल

क्षत्रपों को एकजुट करने की रणनीति!

तेजस्वी यादव ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सभी राजनीतिक दल अपने-अपने इलाक़ों में सिमटे हुए हैं, लेकिन वे सब एकजुट कर बीजेपी को राष्ट्रीय स्तर पर चुनौती दे सकते हैं। 

उन्होंने कहा, "आरजेडी बिहार तक सीमित है, तो कोई पश्चिम बंगाल या सिर्फ़ महाराष्ट्र में अपना प्रभाव रखता है। ऐसे में हमें एकजुट होना होगा और मिलकर विभिन्न राज्यों में जाना होगा। हमें लोगों को मुद्दे समझाने होंगे, हमें मेहनत करनी होगी, हमें लोगों को याद दिलाना होगा कि किन वादों के साथ बीजेपी सत्ता में आयी थी, जिन्हें उसने पूरा नहीं किया।"

उन्होंने यह तो नहीं कहा कि इस दिशा में कोई ठोस कार्य योजना उनके पास है या नहीं, पर यह ज़रूर कहा कि अब समय आ गया है कि इस पर काम किया जाए। 

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ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल

उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि जल्द ही इस दिशा में कुछ होगा। विपक्ष के सभी प्रमुख नेता साथ बैठकर इस बारे में बात करेंगे।" राष्ट्रीय जनता दल के इस तेज़-तर्रार नेता ने कहा, 

जब मुझसे कोई पूछता है, तो मैं कहता हूँ कि समय आ गया है और हमें जल्द से जल्द बीजेपी सरकार के ख़िलाफ़ एक मज़बूत गठबंधन तैयार करना चाहिए।


तेजस्वी यादव, नेता, राष्ट्रीय जनता दल

सपा के साथ!

तेजस्वी यादव का यह बयान बेहद अहम इसलिए है कि इसके पहले भी वे इस तरह की बात कह चुके हैं और अपनी ओर कुछ कोशिश भी की है। 

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अखिलेश यादव, नेता, समाजवादी पार्टी

इसे इससे समझा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले तेजस्वी यादव ने संकेत दिया है कि वे वहाँ समाजवादी पार्टी का समर्थन करेंगे। हालांकि उत्तर प्रदेश की राजनीति में राष्ट्रीय जनता दल की बड़ी भागेदारी फिलहाल नहीं हो सकती क्योंकि उसंका वहा बड़ा राजनीतिक आधार नहीं है। 

समाजवादी पार्टी को समर्थन देने का एलान कर तेजस्वी यादव ने यह संकेत दिया है कि वे बीजेपी के ख़िलाफ़ उसके साथ हैं। समझा जाता है कि वे यादव-बहुल इलाकों में चुनाव प्रचार कर सकते हैं और कुछेक सीटों पर अपने उम्मीदवार भी खड़े कर सकते हैं।

ममता के लिए किया था चुनाव प्रचार

ठीक इसी तरह पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के कुछ उम्मीदवारों का समर्थन करने वे वहाँ गए थे और कुछ हिन्दी भाषी बहुल इलाक़ों में पार्टी का प्रचार भी किया था।

पश्चिम बंगाल की राजनीति में भी आरजेडी का बड़ा स्थान नहीं है, पर प्रवासी बिहारियों से टीएमसी को समर्थन करने का एलान कर उन्होंने यह संकेत दिया था कि वे बीजेपी के ख़िलाफ़ और ममता बनर्जी के साथ हैं।

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शरद पवार, नेता, एनसीपी

इसी तरह ममता बनर्जी ने बीच चुनाव प्रचार में तेजस्वी यादव समेत विपक्ष के कई नेताओं को चिट्ठी लिख कर बीजेपी को हराने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया था। 

ममता बनर्जी के इस बीजेपी-विरोधी मुहिम और बीजेपी को अकेले और अपने बूते बुरी तरह हराने का असर यह पड़ा है कि महाराष्ट्र में भी लोग कहने लगे हैं कि वे ममता बनर्जी की राह पर चलेंगे और बीजेपी को शिकस्त देंगे। 

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