तेजस्वी की जन विश्वास यात्रा से क्या रोजगार बनेगा चुनावी मुद्दा ?
बीते 20 फरवरी से बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव जन विश्वास यात्रा पर निकले हैं। अब तक करीब एक दर्जन जिलों में वह रैली कर चुके हैं। सीतामढ़ी, शिवहर, पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सीवान, आरा, छपरा, बक्सर, सासाराम, औरंगाबाद, गया में हुई उनकी रैलियों में भारी भीड़ देखी गई है।
उनकी सभाओं में आ रही भीड़ बिहार में चर्चा का विषय बनी हुई है। अपनी जन विश्वास यात्रा में जहां एक ओर वह नीतीश कुमार और भाजपा पर हमलावर रह रहे हैं वहीं दूसरी ओर रोजगार का मुद्दा उठा रहे हैं। अपनी लगभग हर रैली में वह बता रहे हैं कि कैसे उन्होंने डिप्टी सीएम रहते हुए अपने 17 महीनों के कार्यकाल में 5 लाख लोगों को रोजगार दिया है।
वह जोर देकर कहते हैं कि जो काम 17 वर्ष के शासन नहीं हुआ उसे हमने 17 माह में कर के दिखाया। वह बता रहे हैं कि जो नीतीश कुमार कहते थे कि इतने लोगों को रोजगार देना संभव नहीं है उस काम को हमने सरकार में आने के बाद करवा कर दिखा दिया।
बिहार में महागठबंधन की सरकार के दौरान शिक्षा विभाग राष्ट्रीय जनता दल के पास था जिसने सबसे ज्यादा करीब 4 लाख नौकरियां बांटी हैं। तेजस्वी अपनी सभाओं में कह रहे हैं कि हमने 5 लाख नौकरी देने का काम किया है। भाजपा वाले तलवार बांट रहे हैं। नफरत फैला रहे हैं।
बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले राजनैतिक विश्लेषक मानते हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले हो रही तेजस्वी यादव की इस जनविश्वास यात्रा से राजद को काफी फायदा हो सकता है। इसका सबसे बड़ा फायदा तो यह हो रहा है कि तेजस्वी को सरकार से बाहर होने पर जनसहानुभूति मिल रही है।
घूम-घूम कर बता रहे कि 5 लाख को रोजगार दिया
तेजस्वी घूम-घूम कर यह बता रहे हैं कि उन्होंने 5 लाख बेरोजगारों को रोजगार दिया इससे नीतीश कुमार परेशान हो गए और उनकी बढ़ती लोकप्रियता से परेशान होकर भाजपा में शामिल हो गए। बिहार जैसे राज्य में जहां बेरोजगारी की स्थिति आज भी भयावह है वहां रोजगार अब धीरे-धीरे लोगों के बीच मुद्दा बनता जा रहा है।हाल के दिनों में लाखों युवाओं को नौकरियां मिली हैं और गांव-गांव में लोग अपने आसपास के युवाओं को रोजगार मिलते देख चुके हैं। ऐसे में तेजस्वी को लोगों की सहानुभूति मिल रही है।
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार जैसे राज्य में जहां बेरोजगारी चरम पर होने के बाद भी चुनावी मुद्दा जाति रहता रहा है वहां तेजस्वी रोजगार की बात कर रहे हैं यह बड़ा बदलाव है। तेजस्वी कोशिश कर रहे हैं कि रोजगार की बात कर के वह राष्ट्रीय जनता दल की इमेज को भी बदलने में कामयाब हो।
वह लोगों को भरोसा दिला रहे हैं कि उनकी सरकार आने पर फिर से लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा। ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि बिहार में आने वाले लोकसभा चुनाव में रोजगार एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनने जा रहा है।
वह अपनी सभाओं में जनता के सामने खुद को पीड़ित बताते हुए कहते हैं कि कैसे नीतीश कुमार ने उन्हें धोखा दिया है। वह कहते हैं कि नीतीश कुमार के पास गठबंधन को बदलने का कोई कारण नहीं है। इसके बाद भी वह भाजपा के साथ चले गए। वह कहते हैं कि नीतीश कुमार के पास अब कोई विजन नहीं है।
उन्हें तकलीफ इस बात से थी की एक युवा नेता कैसे इतना काम कर रहा है। कैसे तेजस्वी और राजद अपने किए हुए काम का क्रेडिट भी ले रहा है। वह सवाल उठाते हैं कि हमने लाखों बेरोजगारों को रोजगार दिया तो क्या इसका क्रेडिट नहीं लें? तेजस्वी कहते हैं कि जनविश्वास यात्रा के माध्यम से जनता मालिकों के बीच हूं।
अपने आधार वोट को भी बढ़ा रहे
वह अपनी सभाओं में किसी खास जाति या समुदाय की बात नहीं कर रहे बल्कि अब सभी जातियों और धर्मों को लेकर चलने की बात कह रहे हैं। इससे उनकी कोशिश है कि वह मुस्लिम और यादव के परंपरागत वोट बैंक से आगे जाकर दूसरी जातियों को भी अपने से जोड़े। ऐसा कर वह अपने आधार वोट बैंक को बढ़ाना चाहते हैं।तेजस्वी आरोप लगा रहे हैं कि नीतीश जी एनडीए से गठबंधन डील के तहत विधानसभा भंग करना चाहते है। लगभग एक महीना होने वाला है लेकिन बिहार में कैबिनेट विस्तार नहीं हुआ है। बीजेपी-जेडीयू में अविश्वास की खाई चौड़ी हो चुकी है।
3 नंबर की पार्टी के मुखिया द्वारा विगत 3 साल में 3 बार शपथ लेने के कारण बिहार में अब शासन नाम की कोई चीज नहीं है। सरकार में सब कोई और सब कुछ बेलगाम है। नीतीश कुमार जी ने बिहार के जनमत को अपने पैर की जूती समझ लिया है। नीतीश जी जनता के मत, बुद्धि और विवेक को कुछ समझते ही नहीं।
अपनी सभाओं में तेजस्वी यादव भाजपा पर भी निशाना साधते हैं। वह कहते हैं कि भाजपा एक वाशिंग मशीन है। इस पार्टी को ज्वान करने वाले सभी नेताओं के पाप धुल जाते हैं। जिन नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप होता है वह भाजपा में जैसे ही ज्वाइन कर लेते हैं उन्हें राहत मिल जाती है। विपक्ष के नेताओं को परेशान किया जाता है। भाजाप वाशिंग मशीन के साथ ही अब डस्टबीन भी बन गई है। विपक्ष के छांटे हुए नेताओं को भाजपा में जगह मिल रही है।