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टाटा एयरबस प्रोजेक्टः महाराष्ट्र को ठेंगा, मोदी का गुजरात प्रेम सामने है 

टाटा एयरबस प्रोजेक्टः महाराष्ट्र को ठेंगा, मोदी का गुजरात प्रेम सामने है 

प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को वडोदरा गुजरात में टाटा एयरक्राफ्ट सेंटर का उद्घाटन किया। यहां पर देश का पहला देसी एयरक्राफ्ट तैयार होगा। लेकिन यह प्रोजेक्ट विवादों से भरा है। मूल रूप से एयरबस का प्रोजेक्ट महाराष्ट्र के लिए मंजूर किया गया था और इसे कंपनी ने भी महाराष्ट्र में ही लगाने में दिलचस्पी दिखाई थी। लेकिन 2022 में अचानक सबकुछ बदल गया और एयरबस का प्रोजेक्ट गुजरात चला गया। विपक्ष ने उस समय आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र के तमाम प्रोजेक्ट गुजरात ले जाये गये हैं। महाराष्ट्र के साथ यह सौतेला व्यवहार क्योंः

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और स्पेन के राष्ट्रपति पेड्रो सांचेज़ ने सोमवार 28 अक्टूबर को गुजरात के वडोदरा में टाटा-एयरबस C295 विमान प्लांट का उद्घाटन किया। भारत की अत्यधिक महत्वाकांक्षी डिफेंस प्रोजेक्ट्स में से एक, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स (टीएएसएल) परिसर में एयरबस स्पेन के सहयोग से बनाया जाएगा। मोदी ने यहां उद्घाटन से पहले वडोदरा में एक रोड शो बिल्कुल चुनावी अंदाज में किया। यानी यह पूरा कार्यक्रम गुजरात के लोगों को एक चुनावी संदेश देने में बदल गया। लेकिन अगर इस एक बात को छोड़ दिया जाए तो यह प्रोजेक्ट महाराष्ट्र के लिए सबसे पहले आया था लेकिन मोदी इसे गुजरात ले गये। वो विवाद आज भी कायम है। मोदी का गुजरात प्रेम किसी से छिपा नहीं है। 

C-295 प्रोजेक्ट में अभी कुल 56 विमान हैं, जिनमें से 16 सीधे स्पेन से एयरबस द्वारा लाये जा रहे हैं और शेष 40 भारत में बनाए जाने हैं। लेकिन इस मौके पर इस प्रोजेक्ट से जुड़े विवाद के बारे में जानना जरूरी है।

रक्षा मंत्रालय ने अक्टूबर 2022 में देश को बताया कि एयरबस और टाटा समूह गुजरात के वडोदरा में भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के लिए सी-295 परिवहन विमान का निर्माण करेगा, रक्षा मंत्रालय ने 22,000 करोड़ रुपये की परियोजना की घोषणा करते हुए यह बात कही। इससे पहले इस प्रोजेक्ट को महाराष्ट्र के लिए घोषित किया गया था।

एयरबस प्रोजेक्ट महाराष्ट्र से गुजरात ले जाये जाने का घटनाक्रम गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले हुआ था। बाद में भाजपा ने गुजरात के चुनाव में इस बात का जोरशोर से जिक्र किया कि किस तरह पीएम मोदी की वजह से यह प्रोजेक्ट गुजरात को मिला। दिसंबर 2022 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत हुई थी।


विपक्ष ने महाराष्ट्र के साथ हुए इस सौतेले व्यवहार का मुद्दा जोरशोर से उठाया तो बचाव में जोड़तोड़ करके बनी महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ने प्रोजेक्ट के गुजरात जाने की जिम्मेदारी पिछली उद्धव ठाकरे की सरकार पर डाल दी। महाराष्ट्र के तत्कालीन उद्योग मंत्री उदय सामंत ने उस समय कहा था कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पिछली सरकार ने टाटा-एयरबस सैन्य परिवहन विमान परियोजना पर कोई निर्णय नहीं लिया था, इस वजह से यह प्रोजेक्ट गुजरात चला गया। बाद में देवेंद्र फडणवीस ने भी इस बात को जोरशोर से कहना शुरू कर दिया कि उद्धव सरकार की वजह से यह प्रोजेक्ट गुजरात चला गया। लेकिन यह सच नहीं था। रक्षा मंत्रालय ने ही इस प्रोजेक्ट को गुजरात ले जाने में जबरदस्त भूमिका निभाई थी।

बाकी दो प्रोजेक्ट भी महाराष्ट्र से गुजरात और हिमाचल प्रदेश गये। जिसमें वेदांता फॉक्सकॉन और बल्क ड्रग पार्क शामिल हैं। फॉक्सकॉन तो चिप बनाने का बहुत बड़ा प्रोजेक्ट था। लेकिन ये प्रोजेक्ट महायुति सरकार के समय गुजरात चला गया। इसी तरह बल्क ड्रग पार्क हिमाचल चला गया।


सितंबर 2022 में ही फॉक्सकॉन प्रोजेक्ट गुजरात चला गया। यानी गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले। जून 2022 में, अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाले वेदांता समूह और ताइवान स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण दिग्गज फॉक्सकॉन ने 1.63 लाख करोड़ रुपये के निवेश के साथ पुणे के तालेगांव में एक प्लांट स्थापित करने की योजना की घोषणा की। वेदांता का मुख्यालय मुंबई में ही है। लेकिन चार महीने बाद सितंबर में घोषणा की गई कि यह फॉक्सकॉन प्लांट अब गुजरात में लगेगा। 

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 अक्टूबर 2022 को हिमाचल प्रदेश की अपनी यात्रा के दौरान ऊना जिले में एक बल्क ड्रग पार्क की आधारशिला रखी थी। शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने उस समय दावा किया था कि यह प्रोजेक्ट उद्धव सरकार के समय में ही महाराष्ट्र के लिए अनुमोदित हुआ था लेकिन दिसंबर 2022 में हिमाचल विधानसभा चुनाव की वजह से मोदी ने उस प्रोजेक्ट की आधारशिला हिमाचल में रख दी। लेकिन हिमाचल चुनाव भाजपा हार गई। अब इस प्रोजेक्ट का कोई जिक्र नहीं करता। 

2022 के गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र के तीन प्रोजेक्ट थाली में सजा कर उन दोनों राज्यों में पेश कर दिये गये। जिसमें दो प्रोजेक्ट सीधे गुजरात को दे दिये गये। हिमाचल के प्रोजेक्ट में अब केंद्र कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है। जबकि प्रधानमंत्री वहां आधारशिला रखकर आये थे। हैरानी की बात तो यह है कि हिमाचल की कांग्रेस सरकार इस मुद्दे को केंद्र के सामने उठा नहीं रही है। 

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