तमिलनाडु: रजनीकांत-हासन के साथ आने की संभावना से नींद क्यों उड़ी दिग्गजों की?

12:54 pm Nov 22, 2019 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

तमिल फ़िल्मों की दो दिग्गज हस्तियों के राजनीति में एकजुट होने की ख़बरों ने तमिलनाडु में सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के बड़े नेताओं और रणनीतिकारों की नींद उड़ा दी है। सुपरस्टार रजनीकांत और कमल हासन ने इस बात के साफ़ संकेत दिए हैं कि दोनों राजनीति के मैदान में एक होकर चुनाव लड़ेंगे। इन दोनों फ़िल्मी सितारों ने कुछ साल पहले ही अपनी-अपनी अलग राजनीतिक पार्टियाँ बनायी थीं। पार्टियों के एलान के समय दोनों के रुख से ऐसा लगता था कि दोनों की नज़र तमिलनाडु की मुख्य मंत्री की कुर्सी पर है और दोनों एक-दूसरे को अपने प्रतिद्वंद्वी की तरह देखते हैं। लेकिन समय के साथ-साथ दोनों के रुख में बदलाव आया और अब यह तय माना जा रहा है कि दोनों एक-साथ आ जाएंगे। 

राजनीति के जानकारों के मुताबिक़, रजनीकांत और कमल हासन दोनों को अब इस बात का अहसास हो गया है कि अकेले दम पर वे अपनी राजनीतिक हैसियत नहीं बना पाएँगे। पिछले डेढ़ साल के दौरान तमिलनाडु में जितने चुनाव हुए हैं उनमें इन दोनों सुपर स्टार का कोई ख़ास बोलबाला नहीं रहा।

फ़िल्म का जादू चलेगा राजनीति में

इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में कमल हासन की पार्टी मक्कल निधि मय्यम (एमएन एम) कुछ ख़ास नहीं कर पायी थी। उसे एक भी सीट नहीं मिली और 2 प्रतिशत से भी कम वोट मिले। लगभग हर सीट पर पार्टी के उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त हो गई। रजनीकांत ने लोकसभा चुनाव से दूरी बनाये रखी। चुनाव से ठीक पहले उन्होंने एलान किया था कि उनकी पार्टी चुनाव से दूर रहेगी और किसी भी राजनीतिक पार्टी का समर्थन नहीं करेगी।

रजनीकांत की लोकप्रियता को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें अपनी ओर खींचने की कोशिश की। लेकिन रजनीकांत इशारों-इशारों में कह चुके हैं कि वे भगवा राजनीति से दूर रहेंगे और द्रविड़ आंदोलन को ही आगे बढ़ाएँगे।

मुख्य मुक़ाबला!

चूंकि कमल भी प्रगतिशील विचारों से प्रभावित हैं, उनके भी बीजेपी के साथ जाने की कोई संभावना नहीं है। तमिलनाडु में 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं। अब तक ऐसा लग रहा था कि मुक़ाबला सत्ताधारी एआईएडीएमके के नेतृत्व वाले एनडीए और डीएमके के नेतृत्व वाले यूपीए के बीच ही होगा। लेकिन रजनीकांत और कमल हासन एक साथ आ जाते हैं तो तीसरा मोर्चा भी बन जाएगा और इसमें कई छोटी-बड़ी पार्टियाँ शामिल होंगी। 

चुनावी समीकरण

मुख्यमंत्री पालनिसामी और उप मुख्य मंत्री पन्नीरसेल्वम के नेतृत्व वाले एआईएडीएमके को इस बात का डर है कि उनकी पार्टी की मुखिया रहीं 'अम्मा' जयललिता के समर्थक रजनी और कमल की ओर आकर्षित हो सकते हैं। वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके के नेता स्टालिन को आशंका है कि सत्ता विरोधी वोट ही रजनी और कमल के खाते में जाएँगे, जिससे उन्हें सबसे ज़्यादा नुक़सान होगा। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो रजनी और कमल - दोनों के लिए साथ आना अब उनकी राजनीतिक मज़बूरी बन गयी है। 

कमल हासन-रजनीकांत को पता चल गया है कि अकेले दम पर दोनों मुख्य मंत्री की कुर्सी के क़रीब भी नहीं पहुँच सकते हैं। इसी वजह से दोनों ने तमिलनाडु के हितों की रक्षा की दुहाई देते ही साथ आने का फ़ैसला कर लिया है।

अगर यह फ़ैसला अमल में लाया जाता है तो साल 2021 में होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला होगा। मुक़ाबला एनडीए, यूपीए और रजनी-कमल मोर्चा के बीच होगा। मुक़ाबला कैसा भी हो, दबदबा क्षेत्रीय पार्टियों का ही ही होगा और राष्ट्रीय पार्टियों को पिछलग्गू बने रहना होगा।

एनडीए तो होगा, लेकिन एआईएडीएमके बड़े भाई की भूमिका में होगी जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का नेतृत्व होने के बावजूद बीजेपी को छोटे भाई की भूमिका में ही संतुष्ट होने पड़ेगा। यूपीए का भी यही हाल रहेगा। यूपीए की कमान डीएमके के स्टालिन के हाथ में रहेगी और कांग्रेस को डीएमके के नेतृत्व में चुनाव लड़ना होगा।