तमिल गान से 'द्रविड़' शब्द हटाने पर विवाद; राज्यपाल को हटाए केंद्र- स्टालिन

10:00 pm Oct 18, 2024 | सत्य ब्यूरो

तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि फिर से तब विवादों में फँस गए जब एमके स्टालिन ने कहा कि राज्यपाल आरएन रवि की उपस्थिति में तमिल गान गाए जाने के दौरान 'द्रविड़' शब्द वाली एक पंक्ति को छोड़ दिया गया। स्टालिन ने केंद्र से राज्यपाल को हटाए जाने की मांग कर दी है। स्टालिन पहले से ही हिंदी और तमिल विवाद को लेकर ग़ुस्से में हैं। मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा था कि गैर-हिंदी भाषी राज्य में हिंदी का जश्न मनाना अन्य भाषाओं को नीचा दिखाने के प्रयास के रूप में देखा जाता है।

दरअसल, यह विवाद तब हुआ जब केंद्र द्वारा चेन्नई दूरदर्शन के स्वर्ण जयंती समारोह मनाया गया। इसी के साथ-साथ हिंदी माह के समापन का जश्न भी मनाया गया। इस कार्यक्रम में राज्यपाल आरएन रवि भी शामिल हुए। समारोह के दौरान तमिल गान 'तमिल थाई वझथु' गाया गया, लेकिन इसकी एक पंक्ति को छोड़ दिया गया। यह पंक्ति द्रविड़ भूमि की महानता का संदर्भ देने वाली है। तमिल गान, तमिल थाई वझथु, हर सरकारी कार्यक्रम की शुरुआत में गाया जाता है और 'द्रविड़' शब्द मुख्य रूप से दक्षिणी राज्यों के लोगों की नस्लीय पहचान को दर्शाता है। दूरदर्शन के समूह ने राष्ट्रगान गाते समय वह पंक्ति छोड़ दी जिसमें यह शब्द था। इसी को लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने आपत्ति जताई। 

केंद्र से राज्यपाल को वापस बुलाने की मांग करते हुए स्टालिन ने उन पर राष्ट्रीय एकता का अपमान करने का आरोप लगाया है। दरअसल, मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम पर ही आपत्ति जताई थी और कहा था कि गैर-हिंदी भाषी राज्य में हिंदी का जश्न मनाना अन्य भाषाओं को नीचा दिखाने के प्रयास के रूप में है।

हालाँकि, राज्यपाल कार्यालय ने डीएमके प्रमुख के आरोप का खंडन करते हुए कहा कि आरएन रवि केवल समारोह में शामिल हुए थे और राज्य गीत का पाठ कर रहे कलाकारों ने अनजाने में यह पंक्ति छोड़ दी। 

बहरहाल, स्टालिन ने पूछा है कि क्या राज्यपाल रवि राष्ट्रगान से भी इस शब्द को हटाने की हिम्मत करेंगे। उन्होंने राज्य के गान से 'द्रविड़' शब्द को हटाने को तमिलनाडु और तमिल भाषा का अपमान बताया। उन्होंने कहा, 'द्रविड़ शब्द को हटाना और तमिल थाई अभिवादन करना तमिलनाडु के कानून के खिलाफ है! जो व्यक्ति कानून के अनुसार नहीं चलता और अपनी मर्जी से काम करता है, वह उस पद पर रहने के योग्य नहीं है। भारत का जश्न मनाने की आड़ में राज्यपाल देश की एकता और इस भूमि पर रहने वाले विभिन्न जातियों के लोगों का अपमान कर रहे हैं।'

मुख्यमंत्री ने कहा,

क्या द्रविड़ एलर्जी से पीड़ित राज्यपाल राष्ट्रगान में द्रविड़ शब्द को हटाने के लिए कहेंगे? केंद्र सरकार को तुरंत राज्यपाल को वापस बुलाना चाहिए जो जानबूझकर तमिलनाडु और राज्य के लोगों की भावनाओं का अपमान कर रहे हैं।


एमके स्टालिन, तमिलनाडु मुख्यमंत्री

हालाँकि, एक बयान में कहा गया कि राज्यपाल आरएन रवि केवल समारोह में शामिल हुए थे और राज्य गीत से 'द्रविड़' शब्द को हटाने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। राज्यपाल के मीडिया सलाहकार थिरुगनाना संबंदम ने शुक्रवार को एक्स पर एक पोस्ट डाली, जिसमें कहा गया कि 'कार्यक्रम की शुरुआत में, तमिल थाई वझथु का पाठ करने वाले समूह ने अनजाने में एक पंक्ति छोड़ दी, जिसमें द्रविड़ शब्द शामिल था। इस मामले को तुरंत आयोजकों के ध्यान में लाया गया और संबंधित अधिकारियों को मामले की जांच करने के लिए कहा गया है'। 

राज्यपाल ने स्टालिन पर भी निशाना साधते हुए कहा कि स्टालिन ने उनके खिलाफ 'अफसोसजनक बयान' पोस्ट किया और उन्हें 'नस्लवादी' कहा। आरएन रवि ने एक बयान में कहा, 'उन्होंने मेरे खिलाफ नस्लवादी टिप्पणी की और तमिल थाई वाझथु के प्रति अनादर दिखाने का झूठा आरोप लगाया।'

इस बीच, सरकारी सार्वजनिक प्रसारक दूरदर्शन ने भी स्पष्टीकरण जारी किया और 'अनजाने में हुई गलती' के लिए माफ़ी मांगी।

इधर अभिनेता-राजनेता कमल हासन ने राज्य गान में 'द्रविड़' को छोड़ने पर अपनी 'कड़ी निंदा' की और कहा कि तमिल नफरत के बदले में आग उगलेगा। उन्होंने कहा, 'द्रविड़ का स्थान न केवल तमिल थाई अभिवादन में है, बल्कि राष्ट्रगान में भी है।...यदि आप नफरत फैलाएंगे, तो तमिल आग उगलेगा! मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं।'

जानिए, स्टालिन ने हिंदी को लेकर क्या कहा

इससे पहले एमके स्टालिन ने हिंदी माह समापन समारोह के आयोजन की कड़ी निंदा की। एक्स पर एमके स्टालिन की पोस्ट में कहा गया, 'मैं चेन्नई दूरदर्शन के स्वर्ण जयंती समारोह के साथ-साथ हिंदी माह समापन समारोह के आयोजन की कड़ी निंदा करता हूं।'

उन्होंने कहा, 'माननीय प्रधानमंत्री, भारत का संविधान किसी भी भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा नहीं देता है। बहुभाषी राष्ट्र में, गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी माह मनाना अन्य भाषाओं को नीचा दिखाने के प्रयास के रूप में देखा जाता है। इसलिए, मेरा सुझाव है कि गैर-हिंदी भाषी राज्यों में इस तरह के हिंदी-उन्मुख आयोजनों को टाला जाना चाहिए, और इसके बजाय संबंधित राज्यों में स्थानीय भाषा माह मनाने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।'

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि यदि सरकार अभी भी गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी माह मनाना जारी रखना चाहती है, तो उसे स्थानीय भाषा, इस मामले में तमिल, का भी जश्न मनाना चाहिए।